रांची: ‘झारखंड रेन वाटर हार्वेस्टिंग रेगुलेशन-2017’ की अधिसूचना सभी शहरी निकायों के लिए जारी की गयी है. इसमें प्रावधान किया है कि वर्ष 2010 के बाद 300 वर्ग मीटर (3229.17 वर्ग फुट) या इससे अधिक के प्लॉट में बने भवनों में हर हाल में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना होगा. ऐसा न करने पर जुर्माने […]
रांची: ‘झारखंड रेन वाटर हार्वेस्टिंग रेगुलेशन-2017’ की अधिसूचना सभी शहरी निकायों के लिए जारी की गयी है. इसमें प्रावधान किया है कि वर्ष 2010 के बाद 300 वर्ग मीटर (3229.17 वर्ग फुट) या इससे अधिक के प्लॉट में बने भवनों में हर हाल में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना होगा. ऐसा न करने पर जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है. नगर निकायों को जुर्माने लगाने का अधिकार भी रेगुलेशन में दिया गया है.
झारखंड के शहरी क्षेत्र में भू-जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा है. कई इलाकों में तो 400 फीट की बोरिंग भी फेल हो जा रही है. इसी को देखते हुए राज्य सरकार ने पूर्व में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की थी. तब इसे लोगों की इच्छा पर छोड़ दिया गया था, लेकिन लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. यही वजह है की सरकार को इसके लिए रेगुलेशन बना दिया है.
कमेटी बनेगी : रेन वाटर हार्वेस्टिंग की मॉनिटरिंग के लिए राज्य व जिला स्तर पर कमेटी का गठन किया जायेगा. राज्य स्तरीय कमेटी के अध्यक्ष नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव होंगे. वहीं, जिला स्तरीय कमेटी के अध्यक्ष जिला के उपायुक्त होंगे. इस कमेटी में एक तकनीकी सेल भी होगा जो रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए लोगों को तकनीकी सहायता उपलब्ध करायेगी. राज्य स्तरीय कमेटी की बैठक कम से कम तीन महीने में एक बार होगी. कमेटी राज्य में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की स्थिति की समीक्षा करेगी.
दंड का भी है प्रावधान : रेन वाटर हार्वेस्टिंग के नियमों का उल्लंघन करने की स्थिति में भवन का अॉक्योपेंसी सर्टिफिकेट नहीं जारी किया जायेगा. वहीं, 2010 या इसके बाद बने भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं होने पर पानी के बिल का 25 प्रतिशत पहले तीन महीने के लिए उसके बाद के तीन महीने में 50 प्रतिशत दंड लगेगा. इस अवधि के बाद दंड की रकम पानी के बिल के बराबर हो जायेगी. अपार्टमेंट में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं करने पर बिल्डर पर जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
क्या है अधिसूचना में : विभाग में जारी अधिसूचना में लिखा गया है कि यह रेगुलेशन झारखंड के सभी पब्लिक, प्राइवेट, गवर्मेंट इंस्टीट्यूशन/बिल्डिंग में लागू होगी. यह सभी क्षेत्रीय विकास प्राधिकार और सभी अरबन लोकल बॉडीज के लिए है. विभाग ने इसके उद्देश्यों के बारे में लिखा है कि राज्य में बारिश के पानी को जमा करना, ग्राउंड वाटर रिचार्ज करना और मिट्टी में नमी व हरियाली बनाये रखना है.
रेगुलेशन में कहा गया है कि वर्ष 2010 के पूर्व से कोई मकान 300 वर्ग मीटर या उससे अधिक के क्षेत्रफल में बना हुअा हो, उसमें रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था नहीं की गयी हो और अब इसके लिए जमीन नहीं बची हो तो ऐसी स्थिति में निकाय परिस्थितियों के हिसाब से आदेश निर्गत करेंगे. लिखा गया है कि वैसे मकान या भवन जहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग जरूरी हो, लेकिन वहां जगह नहीं है, तो ऐसी स्थिति में सामुदायिक रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की जायेगी. लोग आपस में मिलकर इसकी व्यवस्था कर सकते हैं. यह भी कहा गया है कि अपार्टमेंट में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था करना बिल्डर का दायित्व होगा.