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खाद्य सुरक्षा के क्रियान्वयन में हो रही अनियमितता

भरनो/रांची: गुमला जिला के भरनो प्रखंड मुख्यालय परिसर में मंगलवार को खाद्य सुरक्षा अधिनियम पर सर्वेक्षण के बाद जन-सुनवाई हुई. मौके पर जाने माने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज व रीतिका खेड़े की टीम उपस्थित थी. मौके पर लोगों ने गांव-गांव में राशन की कालाबाजारी व कम राशन मिलने की शिकायत की. कार्यक्रम शुरू होने पर सबसे […]

भरनो/रांची: गुमला जिला के भरनो प्रखंड मुख्यालय परिसर में मंगलवार को खाद्य सुरक्षा अधिनियम पर सर्वेक्षण के बाद जन-सुनवाई हुई. मौके पर जाने माने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज व रीतिका खेड़े की टीम उपस्थित थी.

मौके पर लोगों ने गांव-गांव में राशन की कालाबाजारी व कम राशन मिलने की शिकायत की. कार्यक्रम शुरू होने पर सबसे पहले सर्वेक्षण कर रहे स्वयं सेवकों ने अपनी रिपोर्ट पढ़ कर सुनायी. भरनो के राशन डीलरों की पोल खोल दी. हजारों की संख्या में उपस्थित लोगों ने भी जन वितरण से संबंधित समस्याएं रखी.

राशन कार्ड नहीं बनने, राशन कम मिलने, समय पर राशन नहीं मिलने, डीलरों की मनमानी, डीलर द्वारा कार्ड बनाने के नाम पर पैसे लेना व एमओ की लापरवाही की शिकायत की गयी. इस दौरान लोगों ने नारे लगाये. हम अपना अधिकार मांगते, नहीं किसी से भीख मांगते. बीडीओ ने भी एमओ के खिलाफ शिकायत की. इस पर अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज ने पैनल से कहा कि जब भरनो एमओ की इतनी शिकायत आ रही है, एमओ अपना काम नहीं कर रहे हैं, तो उन्हें बरखास्त करें. इसपर अपर समाहर्ता ने कहा कि सरकार को कार्रवाई के लिए प्रतिवेदन भेजा गया है. तीन दिन में एमओ के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.

अधिकारियों का पसीना छूट रहा था
राशन की कालाबाजारी पर ज्यां द्रेज व रीतिका खेड़े के सवालों से अधिकारियों के पसीने छूट रहे थे और जनता तालियां बजा रही थी. डीएसओ ने कहा कि भरनो एमओ ने शत प्रतिशत डाटा जमा नहीं किया था, जिस कारण सैंकड़ों लोगों का राशन कार्ड नहीं मिल पाया. भरनो में कई गावों के लोगों का राशन नहीं बना है. छूटे हुए लोगों का राशन कार्ड बनाने का काम जुलाई से शुरू होगा. ग्रामीणों ने कहा कि राशन कार्ड का आवेदन जमा करते हैं, पर उन्हें कुएं में फेंक दिया जाता है, तो कैसे बनेगा कार्ड. इस पर बीडीओ को कहा गया कि प्रत्येक पंचायत में शिविर लगा कर आवेदन जमा करवायें.

बीडीओ ने कहा प्रत्येक गुरुवार को पंचायतों में शिविर लगाये जायेंगे़ कार्यक्रम में स्वयं सेवक सोफिया अब्बास, शिखा नेहरा, प्रांकुर गुप्ता, सोम्या गुप्ता, प्रकाश वैभव, नमन गर्ग व अदिति प्रिया ने सर्वेक्षण किया है. जनसुनवाई में जनता के सवालों का जवाब देने के लिए गुमला के अपहर समाहर्ता अशोक कुमार साह, जिला आपूर्ति पदाधिकारी विनोद शंकर मिश्र, कार्यपालक दंडाधिकारी रवि शंकर, पीएमआरडीएफ प्रांजल व बीडीओ श्वेता वेद थे. कार्यक्रम से भरनो एमओ सुशील कंडीर गायब थे. इसपर अधिकारियों ने कहा कि भरनो के एमओ तीन दिन में हटाये जायेंगे.
क्या है सर्वेक्षण रिपोर्ट में
सर्वेक्षण रिपोर्ट में पता चला कि जिन 661 परिवारों का सर्वेक्षण हुआ था, उनमें से लगभग सभी परिवार राज्य सरकार के मापदंडों के अनुसार राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सस्ते अनाज के पात्र हैं. इनमें से केवल 74 प्रतिशत परिवारों के पास ही नया राशन कार्ड (प्राथमिकता या अंत्याेदय) है. कानून लागू होने के बाद कई अन्य परिवार जन वितरण प्रणाली के दायरे में आए हैं, परंतु इसमें कई क्षेत्रीय भिन्नताएं हैं. कई लोगों के नाम उनके परिवार के राशन कार्ड से छूट गये हैं. झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में 86 प्रतिशत परिवारों को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सस्ता अनाज मिलना है, पर सर्वेक्षण किये गये गांवों में इस अनुपात से कम परिवारों को इस कानून का लाभ मिल रहा है. कानून के अनुसार परिवारों के हर व्यक्ति को मासिक पांच किलो राशन मिलना है, परंतु सर्वेक्षण में कई लोगों ने यह शिकायत की, कि उन्हें इससे कम राशन मिल रहा है. लगभग 16 प्रतिशत कम. पिछले दो महीनों में तो कई परिवारों को इससे भी कम मिला, क्योंकि झारखंड के कई राज्यों में अनाज की आपूर्ति नहीं हुई.

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