इस कारण तत्कालीन राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी के साथ मुलाकात में उन्हें विलंब हुआ. गर्वनर साहब निर्धारित समय पर अपने कमरे से नीचे आये लेकिन निदा साहब उस समय रास्ते में ही थे. लगभग 20 मिनट तक इंतजार करने के बाद गर्वनर साहब नाराज होकर अपने कमरे में चले गये. राजभवन में निदा साहब के साथ डॉ मुजीबी, डाॅ सरवर साजिद, डाॅ असलम परवेज अौर मैं गवर्नर हाउस पहुंचे, तो गर्वनर साहब के तत्कालीन पीआरअो एसएस अख्तर ने गवर्नर साहब की नाराजगी से हमें अवगत कराया. हमलोगों को राजभवन में कुछ देर इंतजार करना पड़ा. निदा साहब बोल पड़े-मैं बड़े महलों का कायल नहीं, हम फकीरों को सत्ता के केंद्र‘ से क्या लेना-देना. आखिरकार गवर्नर साहब कुछ देर में आये अौर निदा साहब से खुशगवार माहौल में मुलाकात हुई, लेकिन तब शिकवा नहीं था गुफ्तगू में. गवर्नर साहब ने टीम इंडिया में शामिल महेंद्र सिंह धौनी के साथ निदा फाजली को भी शाॅल अोढ़ाकर सम्मानित किया.
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रांची के मौसम के मुरीद थे फाजली साहब
डॉ शाहनवाज कुरैशी रांची के खूबसूरत मौसम के कायल लोगों में मशहूर शायर निदा फाजली का नाम भी शुमार है. निदा फाजली 29 दिसंबर 2005 को अलशफा वेलफेयर सोसाइटी के बैनर तले तसलीम महल में आयोजित मुशायरे में शिरकत करने के लिए रांची तशरीफ लाये थे. मुशायरे में निदा साहब की शायरी ने ऐसा समां […]
डॉ शाहनवाज कुरैशी
रांची के खूबसूरत मौसम के कायल लोगों में मशहूर शायर निदा फाजली का नाम भी शुमार है. निदा फाजली 29 दिसंबर 2005 को अलशफा वेलफेयर सोसाइटी के बैनर तले तसलीम महल में आयोजित मुशायरे में शिरकत करने के लिए रांची तशरीफ लाये थे. मुशायरे में निदा साहब की शायरी ने ऐसा समां बांधा कि दिसंबर की सर्द रात में भी भारी संख्या में मौजूद लोगों में गर्मजोशी आ गयी. लोग उनके हर अल्फाज को सुनते और सराहते रहे.
निदा साहब को रांची बुलाने का श्रेय डाॅ सिद्दीक मुजीबी को जाता है. कार्यक्रम से एक रात पहले निदा साहब की तबीयत थोड़ी नासाज हो गयी अौर उन्होंने कार्यक्रम में आने में असमर्थता जता दी, लेकिन डाॅ मुजीबी की जिद के आगे झुकते हुए वे रांची आये.
उन्हें डोरंडा स्थित होटल युवराज पैलेस में ठहराया गया. इस दौरान इस अजीम शख्सीयत की बेबाकी अौर सादगी को करीब से देखने का मौका मिला. निदा साहब मुल्क के विभाजन के प्रखर विरोधी अौर हिन्दू-मुसलिम एकता के कट्टर समर्थक थे.
रांची आगमन पर निदा साहब ने प्रभात खबर द्वारा आयोजित एक कार्यकम में भी भाग लिया. उन्होंने अपनी कई कविताएं सुनायी. इस दौरान हरिवंश जी के साथ चाय पर भी गुफ्तगू की. यहां से रवाना होने के बाद उनकी गाड़ी के ट्रैफिक में फंसने की वजह से उन्हें राजभवन पहुंचने में देर हो गयी.
निदा साहब 30 दिसंबर को जब इस शहर से मुंबई रवाना हुए, तो उन्हें एयरपोर्ट पर अलविदा कहने के लिए बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे. निदा साहब शहर की मेहमाननवाजी से काफी प्रभावित थे.
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