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छठी अनुसूची बचायेगी राज्य को : सूर्य सिंह बेसरा

रांची : पूर्व विधायक व झारखंड आंदोलनकारी सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि पांचवीं अनुसूची नहीं, बल्कि छठी अनुसूची बनाने से झारखंड बचेगा. झारखंड को कैसे छठी अनुसूची में शामिल करे, इसके लिए जमीनी आंदोलन करने की जरूरत है. सूर्य सिंह बेसरा ने उक्त बातें रविवार को डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान परिसर में […]

रांची : पूर्व विधायक व झारखंड आंदोलनकारी सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि पांचवीं अनुसूची नहीं, बल्कि छठी अनुसूची बनाने से झारखंड बचेगा. झारखंड को कैसे छठी अनुसूची में शामिल करे, इसके लिए जमीनी आंदोलन करने की जरूरत है. सूर्य सिंह बेसरा ने उक्त बातें रविवार को डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान परिसर में आयोजित सम्मेलन में कही.

सम्मेलन का आयोजन अखिल भारतीय आदिवासी केंद्रीय धुमकुड़िया के तत्वावधान में किया गया था. सूर्य सिंह बेसरा ने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि अब झारखंड में बिरसा की तरह उलगुलान नहीं होता, सिदो-कान्हो की तरह हूल नहीं होता. आदिवासी अब मुखिया, विधायक बन रहे हैं, तो वे बिरसा या सिदो कैसे बनेंगे. अधिवक्ता मुमताज खान ने कहा कि पावरफुल लोग संविधान की व्याख्या अपने तरीके से करते हैं. आदिवासियों के लिए बने संवैधानिक प्रावधानों का पालन नहीं किया जा रहा है. मोती कच्छप ने कहा कि पांचवीं अनुसूची के बारे में कोई भी विधायक सवाल नहीं उठाता है.

2037 के मास्टर प्लान में कई गांवों को नगर निगम में शामिल करने की बात कही जा रही थी, हमलोगों ने इसका विरोध किया है. बंधन लकड़ा ने कहा कि पांचवीं अनुसूची के संबंध में हमें मिल-बैठ कर विचार करने की जरूरत है. अन्यथा जो अधिकार हमें मिले हैं, वे भी हाथ से निकल जायेंगे. छत्रपति शाही मुंडा, प्रभाकर कुजूर सहित अन्य ने भी विचार रखे. मौके पर अभय भुंटकुंवर, प्रेमशाही मुंडा सहित अन्य मौजूद थे.

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