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न कंप्यूटर ऑपरेटर है, न नेट कनेक्टिविटी
ऑनलाइन म्यूटेशन करने में आ रही हैं कई अड़चनें रांची : जमीन का रिकॉर्ड अॉनलाइन करने में कई अड़चनें आ रही हैं. खास कर अॉनलाइन म्यूटेशन में ज्यादा परेशानी हो रही है, क्योंकि अंचल कार्यालयों में कंप्यूटर अॉपरेटर ही नहीं हैं. जो कंप्यूटर अॉपरेटर हैं, वो दूसरे सारे काम देख रहे हैं और उन पर […]
ऑनलाइन म्यूटेशन करने में आ रही हैं कई अड़चनें
रांची : जमीन का रिकॉर्ड अॉनलाइन करने में कई अड़चनें आ रही हैं. खास कर अॉनलाइन म्यूटेशन में ज्यादा परेशानी हो रही है, क्योंकि अंचल कार्यालयों में कंप्यूटर अॉपरेटर ही नहीं हैं. जो कंप्यूटर अॉपरेटर हैं, वो दूसरे सारे काम देख रहे हैं और उन पर अत्याधिक कार्य बोझ है.
म्यूटेशन के काम के लिए अंचलों ने एक अलग अॉपरेटर की मांग की है, जो नहीं मिल पाया है.नेट कनेक्टिविटी का भी हाल काफी खराब है. अधिकतर जगहों पर नेट कनेक्टिविटी भी नहीं है. अंचल कार्यालय के सारे कर्मी अॉपरेटर व नेट कनेक्टिविटी का रोना रो रहे हैं.
अॉपरेटर को देने के लिए पैसा नहीं
अंचल कायार्लय के पास अॉपरेटरों को देने के लिए पैसे तक नहीं हैं. फिलहाल यह तय नहीं किया गया है कि म्यूटेशन के लिए जो अॉपरेटर रखे जायेंगे, उन्हें कैसे भुगतान होगा. वहीं जो पहले से अॉपरेटर हैं, उनका भी ठीक से भुगतान नहीं हो रहा है. सामाजिक सुरक्षा की मद से उन्हें भुगतान किया जाता है. जून के बाद से राशि नहीं मिली है, इसलिए उनका भी भुगतान नहीं हुआ है.
डोंगल का इस्तेमाल, ठप रहती है कनेक्टिविटी
कुछ अंचलाधिकारियों का कहना है कि नेट कनेक्टिविटी नहीं होने से वे कोई काम नहीं कर पा रहे हैं. इसके लिए राशि की भी व्यवस्था नहीं है. कई जगहों पर डोंगल का इस्तेमाल कर काम कर रहे हैं. खुद का पैसा लगा कर नेट पैक लेते हैं. डोंगल की वजह से बार-बार कनेक्टिविटी फेल भी हो जाती है.
सरकार ने विकसित किया वसुधा वेब पोर्टल
रांची : झारखंड सरकार की तरफ से विकसित वसुधा वेब पोर्टल से राज्य का प्रत्येक नागरिक अपनी जमीन की वस्तुस्थिति की जानकारी ले सकता है. वसुधा में राजधानी रांची समेत 13 जिलों की जमीन से संबंधित दस्तावेजों का ब्योरा दिया गया है. इसमें रैयतवार, खाता-खेसरा वार, प्लाटवार, जिलावार जमीन की जानकारी शामिल की गयी है. कंप्यूटर के एक क्लिक पर सभी तरह की जानकारी सर्च इंजन के माध्यम से कुछ सेकेंड में लोगों को मिल रही है.
राजधानी रांची समेत बोकारो, लोहरदगा, रामगढ़, सरायकेला-खरसांवां, खूंटी, दुमका, पूर्वी सिंहभूम, लातेहार जिले के आंकड़े इसमें शामिल किये गये हैं.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के इस एप्लीकेशन में अपना खाता देखने, रजिस्टर-2 देखने, ऑनलाइन दाखिल-खारिज का आवेदन देने, आवेदन की स्थिति, भूमि का नक्शा देखने की सुविधा दी गयी थी.
खाता नंबर और अंचल का नाम लिख कर ले सकते हैं जानकारी : पोर्टल को काफी व्यावहारिक बनाया गया है. इसमें जिला का नाम, अंचल का नाम और खाता नंबर देकर जमीन का पूरा इतिहास देखा जा सकता है. यह जानकारी भी ली जा सकती है कि जमीन का लगान और शिक्षा सेस कब से बकाया है. कब-कब संबंधित जमीन बेची गयी है. इसमें जमीन की खरीद-बिक्री का विवरण भी शामिल किया गया है.
यदि व्यक्ति चाहे, तो वह जमीन का प्रिंट आउट भी ले सकता है. इसमें रैयत के आधार पर भी जमीन की विवरणी देखी जा सकती है. चूंकि इसमें जमीन की खरीद-बिक्री से संबंधित नवीनतम रजिस्टर-2 (पंजी-2) की स्कैन कॉपी शामिल की गयी है. इसलिए नोट में लिखा गया है कि यह कंप्यूटर जनित प्रिंट आउट है. इसकी वैधता नहीं है.
फरजीवाड़े पर लगेगी रोक
इस पोर्टल से फरजीवाड़े पर भी रोक लगेगी. मूल रैयतों को इस बात का पता चल जायेगा कि फरजी करनेवाले व्यक्ति ने कैसे उसकी जमीन बेच दी. इससे मूल रैयत निबंधित दस्तावेज को चुनौती भी दे पायेंगे और वास्तविकता का पता भी लगा पायेंगे. सरकार ने भूमि दस्तावेजों की हेर-फेर से बचने के लिए सभी चीजें ऑनलाइन कर दी हैं.
भूमि दस्तावेजों का कंप्यूटरीकरण 2009 में हुआ था शुरू
एनएलआरएमपी के तहत अंचलों के कंप्यूटरीकरण का काम हुआ था
रांची : झारखंड सरकार ने नेशनल लैंड रिकार्डस मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम (एनएलआरएमपी) के तहत राज्य के अंचलों के कंप्यूटरीकरण का काम वर्ष 2009-10 में शुरू किया था. इसमें भूमि के दस्तावेजों को कंप्यूटरीकृत करते हुए उसे डिजिटल फार्म में उपलब्ध कराने, ग्रामीण नक्शे (विलेज मैप) से संबंधित कैडेस्ट्रल शीट, अंचल और जिला स्तरीय डाटा सेंटर का निर्माण और राजस्व कार्यालयों के बीच इंटर कनेक्टिविटी का काम लिया गया था. इसके अतिरिक्त पुनरीक्षण सर्वे का काम भी करना अनिवार्य किया गया था.
चार जिले नहीं किये गये थे शामिल
राज्य सरकार ने पहले चरण में चार जिलों को शामिल नहीं किया था. इसमें गिरिडीह, गढ़वा, सिमडेगा समेत चार जिले थे. अन्य जिलों में कंप्यूटरीकरण का काम समय पर शुरू कर दिया गया था. राज्य सरकार के राजस्व, निबंधन और भूमि सुधार विभाग के निदेशक भू अभिलेख और परिमाप को प्रत्येक माह कार्य की प्रगति की जवाबदेही सौंपी थी. राजधानी के 18 अंचलों में से दस का काम झारखंड स्पेश एप्लीकेशन सेंटर (जेसैक) को दिया गया था. जेसैक की तरफ से राजधानी के दस अंचलों को ऑनलाइन कर दिया गया है.
शेष आठ अंचलों को भी जिला प्रशासन की तरफ से आनलाइन कर दिया गया है. 131 अंचलों के कंप्यूटरीकरण का काम जेसैक के माध्यम से कराया जा रहा है. इसमें रांची समेत राज्य के 13 जिले शामिल हैं. कंप्यूटरीकरण के कार्य में रजिस्टर-2 और खतियान को स्कैन कर उसे डिजिटल स्वरूप दिया गया है. इसमें खाता, खेसरा, प्लाट नंबर, खेवट नंबर और अन्य जानकारियां शामिल की गयी हैं.
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