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चाईबासा व धनबाद में भी फूड लैब बनाने की अनुशंसा

केंद्र सरकार को भेजा गया है प्रस्ताव रांची : खाद्य संरक्षा अधिनियम-2011 के प्रावधानों को बेहतर ढंग से लागू करने के लिए राज्य में तीन और खाद्य जांच प्रयोगशाला (फूड टेस्ट लैब) बनायी जानी है.यह तीनों प्रयोगशाला राज्य मुख्यालय (आरसीएच परिसर, नामकुम) में संचालित राज्य खाद्य जांच प्रयोगशाला के अतिरिक्त होगी. राज्य बजट से दुमका […]

केंद्र सरकार को भेजा गया है प्रस्ताव

रांची : खाद्य संरक्षा अधिनियम-2011 के प्रावधानों को बेहतर ढंग से लागू करने के लिए राज्य में तीन और खाद्य जांच प्रयोगशाला (फूड टेस्ट लैब) बनायी जानी है.यह तीनों प्रयोगशाला राज्य मुख्यालय (आरसीएच परिसर, नामकुम) में संचालित राज्य खाद्य जांच प्रयोगशाला के अतिरिक्त होगी. राज्य बजट से दुमका (संताल परगना प्रमंडल) में ग्रेड-टू की एक प्रयोगशाला का भवन बन चुका है. इसके लिए उपकरणों की खरीद प्रक्रियाधीन है. उपकरण लग जाने के बाद चालू वित्तीय वर्ष से ही दुमका प्रयोगशाला को शुरू कर देने का लक्ष्य है.

उधर, केंद्र ने झारखंड सरकार से ग्रेड-टू के दो लैब बनाने के लिए जगह चिह्न्ति कर सूचित करने को कहा था. इसके बाद खाद्य संरक्षा आयुक्त सह विभागीय सचिव के विद्यासागर के निर्देश पर चाईबासा (कोल्हान प्रमंडल) व धनबाद (उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल) में लैब बनाने की अनुशंसा की गयी है.

इसका प्रस्ताव केंद्र को भेज दिया गया है. इन दोनों जगहों पर प्रयोगशाला बनाने की स्वीकृति के बाद सिर्फ पलामू प्रमंडल में खाद्य जांच प्रयोगशाला की जरूरत होगी. राज्य सरकार चाहे, तो दुमका की तरह राज्य बजट से वहां प्रयोगशाला बना सकती है.

सिर्फ प्रयोगशाला काफी नहीं

आम लोगों को सुरक्षित व गुणवत्तापूर्ण खाद्य उपलब्ध कराने के उद्देश्य से खाद्य सैंपल की जांच करने के लिए प्रयोगशालाएं स्थापित की जा रही हैं, पर बेहतर सैंपल कलेक्शन के अभाव में प्रयोगशाला का अपेक्षित लाभ न सरकार को होगा और न ही जनता को.

खाद्य निदेशालय के सूत्रों के अनुसार अभी राज्य में सिर्फ तीन खाद्य निरीक्षक हैं. वहीं सरकार ने वर्ष 2013 में सीएचसी व पीएचसी के 188 चिकित्सा प्रभारियों को भी खाद्य सैंपल इकट्ठा करने के लिए अधिकृत कर दिया है.

इस तरह वर्तमान में कुल 191 (3+188) लोगों को फूड सैंपल इकट्ठा कर प्रयोगशाला पहुंचाने का अधिकार है. इधर, राज्य भर के चिकित्सा पदाधिकारियों ने वर्ष 2014 में जनवरी से दिसंबर तक सिर्फ 60 सैंपल ही इकट्ठा किया है. इससे पता चलता है कि वे खाद्य संरक्षा के मुद्दे पर कितने गंभीर हैं.

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