गुमला/चाईबासा : डीजीपी राजीव कुमार ने गुरुवार को गुमला और चाईबासा पुलिस लाइन में पुलिस कैंटीन का उदघाटन किया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि अब पुलिसकर्मियों को सस्ते दर पर घरेलू सामान मिलेगा. इससे उन्हें बचत होगी.
चाईबासा में पुलिस कैंटीन का उदघाटन करने के बाद डीजीपी ने पत्रकारों से कहा: जल्द ही सिपाहियों के रिक्त पड़े 10 हजार पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होगी. इसकी तैयारी कर ली गयी है. चार-पांच माह के भीतर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी कर ली जायेगी. इस बार पहले उम्मीदवारों की लिखित परीक्षा ली जायेगी, फिर शारीरिक जांच होगी. लिखित परीक्षा प्रखंड स्तर पर ली जायेगी.
डीजीपी के साथ आइजी ऑपरेशन मुरारी लाल मीणा, रांची जोन के आइजी एमएस भाटिया, रांची डीआइजी प्रवीण सिंह, चाईबासा के एसपी नरेंद्र सिंह, सार्जेट मेजर अनिल कुमार सिंह भी कार्यक्रम में उपस्थित थे. डीजीपी ने कहा कि नक्सलियों को मुख्यधारा में लाने के लिए बनी सरेंडर पॉलिसी को और बेहतर बनाया जा रहा है. डीजीपी ने स्वीकार किया कि सरेंडर पॉलिसी कमजोर होने की वजह से नक्सली झारखंड के बजाय ओड़िशा में सरेंडर कर रहे हैं. सरेंडर पॉलिसी में बदलाव के बाद नक्सलियों को मुख्यधारा में वापस लाने में मदद मिलेगी.
विभिन्न जिलों में कई सालों से तैनात पुलिस पदाधिकारियों के लिए ट्रांसफर पॉलिसी बनायी जा रही है. इस नियम को जल्द ही लागू किया जायेगा. इसके बाद बड़े पैमाने पर पुलिसकर्मियों का तबादला होगा. डीजीपी ने माना कि अब तक ट्रांसफर पॉलिसी नहीं बनने के कारण ही कई जिलों में लंबे समय से पदस्थापित पुलिस कर्मियों का तबादला नहीं हो सका है.
नक्सलियों के खिलाफ संयुक्त अभियान चलायें
गुमला व सिमडेगा में नक्सल अभियान की समीक्षा करते हुए डीजीपी ने दोनों जिलों के एसपी और सीआरपीएफ के कमांडेंट को निर्देश दिया कि वह नक्सलियों व उग्रवादियों के खिलाफ संयुक्त अभियान चलायें. डीजीपी ने नक्सलियों के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान की समीक्षा भी की. डीजीपी ने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ चलाये जा रहे अभियानों का फायदा अब दिखने लगा है. पहले की अपेक्षा नक्सली घटनाओं में कमी आयी है.
