रांची. राजधानी रांची की सड़कों पर ई-रिक्शा का बोलबाला है. हर चौक-चौराहे और गली-मोहल्लों में ये झुंड के शक्ल में जहां-तहां खड़े दिखाई देते हैं. ई-रिक्शा के संचालन ने जहां एक हद तक लोगों की छोटी दूरी के आवागमन को आसान बनाया है, वहीं इनकी बढ़ती संख्या ने यातायात व्यवस्था को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है. इन ई-रिक्शा की संख्या पर लगाम लगाने के लिए रांची नगर निगम ने 244 सिटी बसों की खरीद का प्रस्ताव तैयार किया था. लेकिन तीन साल गुजरने के बाद भी अब तक इस योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है. ऐसे में ये बसें कब तक राजधानी की सड़कों पर उतरेंगी, यह कहने की स्थिति में नगर निगम के अधिकारी भी नहीं हैं. 244 सिटी बसों की खरीद के लिए नगर निगम द्वारा 10 बार टेंडर निकाला गया. लेकिन टेंडर की शर्तों के कारण हर बार एजेंसियां इसमें भाग नहीं लेती थीं. नतीजतन निगम ने टेंडर में संशोधन किया. 10वीं बार के टेंडर में दो एजेंसियों ने भाग लिया. इसके बाद इस प्रस्ताव को अनुमोदन के लिए नगर विकास विभाग को भेजा गया. फिलहाल कई माह से यह प्रस्ताव विभाग में पड़ा हुआ है. नतीजा, अब तक टेंडर फाइनल नहीं हो पाया है.
6800 से अधिक ई-रिक्शा दौड़ रहे शहर के सड़कों पर
कम कीमत होने के कारण लोग कम पूंजी लगाकर ई-रिक्शा खरीद रहे हैं और सड़कों पर उतर जा रहे हैं. संख्या नियंत्रण को लेकर कोई ठोस नियम नहीं बनाये जाने का असर यह है कि हर माह शहर की सड़कों पर 200 नये ई-रिक्शा उतर रहे हैं. जिला परिवहन विभाग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक शहर की सड़कों पर 6800 से अधिक ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं. यह संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. अगर कोई नियम नहीं बनाया गया तो आने वाले कुछ दिनों में इनकी संख्या 10 हजार पार कर जायेगी. ई-रिक्शा की बढ़ती संख्या ने सड़कों को जाम करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है. चौक-चौराहों पर नियम-कानून को धता बताते हुए ये एक लाइन से खड़े रहते हैं. ट्रैफिक पुलिस भी इनकी कारगुजारियों को देखकर मुकदर्शक बनी रहती है.
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