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अब लीवर ट्रांसप्लांट आसान : डॉ सिब्बल

ब्लड ग्रुप के नहीं मिलने पर भी हो सकता है ट्रांसप्लांट तसवीर राज वर्मा देंगे-अपोलो में हर रोज होते हैं 100 गुर्दा ट्रांसप्लांटवरीय संवाददाता, रांचीअपोलो ग्रुप के मेडिकल डायरेक्टर डॉ अनुपम सिब्बल ने कहा कि मेडिकल साइंस में हर दिन नयी खोज हो रही है. इसी का नतीजा है कि आज बगैर ब्लड ग्रुप के […]

ब्लड ग्रुप के नहीं मिलने पर भी हो सकता है ट्रांसप्लांट तसवीर राज वर्मा देंगे-अपोलो में हर रोज होते हैं 100 गुर्दा ट्रांसप्लांटवरीय संवाददाता, रांचीअपोलो ग्रुप के मेडिकल डायरेक्टर डॉ अनुपम सिब्बल ने कहा कि मेडिकल साइंस में हर दिन नयी खोज हो रही है. इसी का नतीजा है कि आज बगैर ब्लड ग्रुप के मिलने के बावजूद लीवर ट्रांसप्लांट हो जाता है. इसके लिए मरीज के शरीर के एंटी बॉडीज को निकालना होता है. इसके बाद प्लाजमा फेरेसिस को हटा दिया जाता है, तब ट्रांसप्लांट आसान हो जाता है. डॉ सिब्बल शुक्रवार को पत्रकारों से बात कर रहे थे. उन्होंने कहा कि वर्ष 1998 में पहला लीवर ट्रांसप्लांट हुआ. आज स्थिति यह है कि 100 में 90 मरीज सामान्य जीवन जीते हैं. डॉ सिब्बल ने बताया कि लीवर फेल होने की स्थिति में इसका ट्रांसप्लांट किया जाता है. पीलिया का बढ़ना व लीवर में कैंसर होने के कारण लीवर ट्रांसप्लांट किया जाता है. अगर विदेशों में होनेवाले ट्रांसप्लांट की बात करें, तो इसमें 45-50 लाख रुपये खर्च होते हैं. लेकिन भारत में 12 से 20 लाख रुपये के अंदर यह हो जाता है. डॉ सिब्बल ने बताया कि बड़ों में ट्रांसप्लांट के लिए 18 से 19 लाख रुपये व बच्चों में 12 से15 लाख रुपये खर्च आते हैं. उन्होंने बताया कि लीवर डोनर आठवें दिन तक घर चले जाते हैं, वहीं मरीज को18वें दिन हॉस्पीटल से छुट्टी मिल जाती है. मौके पर नेफ्रोलॉजी इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पीटल के डॉ संजीव जसूजा भी मौजूद थे.

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