मनोज लाल, रांची : राज्य भर में म्यूटेशन (दाखिल खारिज) के 39034 मामले पेंडिंग हैं. वहीं 30 दिनों से अधिक समय से 5775 मामले लंबित रखे गये हैं. इन आवेदन में किसी तरह का ऑब्जेक्शन नहीं किया गया है. बिना आपत्ति के ही इसे पेंडिंग रखा गया है. यह आंकड़ा राज्य के सारे अंचलों को मिला कर है.
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राज्य भर में म्यूटेशन के 39034 मामले पेंडिंग
मनोज लाल, रांची : राज्य भर में म्यूटेशन (दाखिल खारिज) के 39034 मामले पेंडिंग हैं. वहीं 30 दिनों से अधिक समय से 5775 मामले लंबित रखे गये हैं. इन आवेदन में किसी तरह का ऑब्जेक्शन नहीं किया गया है. बिना आपत्ति के ही इसे पेंडिंग रखा गया है. यह आंकड़ा राज्य के सारे अंचलों को […]
यह पाया गया है कि रांची जिले में सर्वाधिक 8940 म्यूटेशन के मामले लंबित हैं. इसके बाद धनबाद के 3972, हजारीबाग के 3631, बोकारो के 3102 मामले लटके हुए हैं.
यह भी पाया गया है कि 4212 मामले 90 दिनों से अधिक समय से लंबित हैं, लेकिन इसमें अॉब्जेक्शन किया गया है. वहीं हजारीबाग में 30 दिनों से अधिक समय तक सबसे ज्यादा 1061 आवेदन लटके हुए हैं. इसमें कोई आपत्ति नहीं है, फिर भी आवेदन पेंडिंग हैं. इसका निबटारा नहीं किया गया है.
म्यूटेशन समय से नहीं करने पर गंभीर हैं सीएम : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन राइट टू सर्विस एक्ट के तहत तय समय के अंदर म्यूटेशन नहीं होने के मामले को गंभीरता से लिया है. उन्होंने पूछा है कि क्यों म्यूटेशन के मामले लटका कर रखे जाते हैं.
तय समय के अंदर म्यूटेशन क्यों नहीं होता है. विभाग से इस पर रिपोर्ट मांगी गयी है. उन्होनें जानना चाहा है कि राइट टू सर्विस एक्ट का पालन क्यों नहीं होता है. मुख्यमंत्री इस मामले की समीक्षा करेंगे और आवश्यक निर्देश दें.
जिलावार म्यूटेशन के पेंडिंग आवेदन की स्थिति
जिला कुल पेंडिंग लंबे समय से पेंडिंग
कोडरमा 1449 77
खूंटी 337 05
गढ़वा 1603 688
हजारीबाग 3631 1061
सिमडेगा 177 37
साहेबगंज 495 385
सरायकेला- 979 15
खरसावां
लोहरदगा 263 06
लातेहार 502 97
रामगढ़ 624 06
रांची 8940 825
बोकारो 3102 111
पाकुड़ 1329 152
प सिंहभूम 375 43
पलामू 2083 257
पू सिंहभूम 1191 74
धनबाद 3972 743
देवघर 490 27
दुमका 36 08
जामताड़ा 37 10
चतरा 745 196
गोड्डा 41 21
गिरिडीह 2254 585
गुमला 748 346
मुख्यमंत्री ने पूछा है : क्यों लटका कर रखा जाता है म्यूटेशन का मामला
म्यूटेशन को लेकर हर दिन दौड़ रहे हैं लोग
हर दिन म्यूटेशन व लगान को लेकर अंचल कार्यालयों का चक्कर लगाते लोगों को देखा जा सकता है. आवेदन देने के बाद भी लोग दौड़ते रहते हैं. कभी संबंधित राजस्व उप निरीक्षक के पास, तो कभी अंचलाधिकारी के पास. पेंडिंग मामलों में से सबसे ज्यादा मामले राजस्व उप निरीक्षकों के पास लटके होते हैं. यह पाया गया है कि अंचल निरीक्षक से ज्यादा मामले अंचल निरीक्षक के पास निबटारा के लिए पड़े हैं.
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