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झारखंड लिटरेरी मीट 2020: लेखिका मृदुला गर्ग ने कहा- बोल्‍ड का मतलब अश्‍लीलता नहीं

रांची : टाटा स्‍टील द्वारा और प्रभात खबर के सहयोग से दो दिवसीय झारखंड लिटरेरी मीट 2020 का आगाज शानिवार से हुआ. कार्यक्रम का उद्घाटन साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार से सम्‍मानित मशहूर लेखिका मृदुला गर्ग ने किया. मृदुला गर्ग ने कलम की धार पर-जीवन भर निडरता से बेबाक लेखन के सफर पर सुजाता से बातचीत की. […]

रांची : टाटा स्‍टील द्वारा और प्रभात खबर के सहयोग से दो दिवसीय झारखंड लिटरेरी मीट 2020 का आगाज शानिवार से हुआ. कार्यक्रम का उद्घाटन साहित्‍य अकादमी पुरस्‍कार से सम्‍मानित मशहूर लेखिका मृदुला गर्ग ने किया. मृदुला गर्ग ने कलम की धार पर-जीवन भर निडरता से बेबाक लेखन के सफर पर सुजाता से बातचीत की. उन्‍होंने लेखकों के मौजूदा दौर और स्‍त्री लेखन पर भी खुलकर अपनी राय रखी.

मृदुला गर्ग ने अपने उपन्‍यास चितकोबरा को जिक्र करते हुए कहा कि, अगर इसे कोई पुरुष लिखता तो यह विवादास्‍पद नहीं माना जाता, क्‍योंकि इसे एक स्‍त्री ने लिखा तो परेशानी हुई. मुझपर फेमिनिज्‍म का भी आरोप लगा.’

उन्‍होंने कहा ,’ हम स्‍त्री सहयोग की तब से लेकर अब तक अनदेखी नहीं कर सकते. गांधी जी ने महिलाओं से सहयोग मांगा था, कितनी ही महिलाएं सादगी से सामने आईं थीं. उस समय से लेकर आज तक महिलाएं किसी भी क्षेत्र में कम नहीं हैं. वे शुरू से ही मजबूत थीं, बस उन्‍हें मौका नहीं मिला. सिर्फ लेखन ही नहीं, हर क्षेत्र में महिलाएं आगे हैं.’

मृदुला गर्ग ने एक सवाल का जवाब देते हुए कहा,’ आज लोग लोग फेमिनिज्‍म पर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं. लेकिन इसपर गहराई से बहुत कम लोग सोच पाते हैं. मैं महिला लेखकों की बात करूं तो हर मुद्दे पर सबका नजरिया अलग होता है. महिलाएं उन बातों को अपने लेख में लेकर आती हैं जिससे वह रूबरू होती हैं. जिसे वो समाज में देखती है. मैं अपनी बात करूं तो जो मेरे मस्तिष्‍क में होता है, वहीं मेरे लेख में होता है.’

देश में हो रही रेप की घटनाओं पर मृदुला गर्ग खुलकर कहती हैं,’ बलात्‍कार के पीछे पुरुषों में पनप रही हीन-भावना है. महिलाओं से आगे बढ़ने से वह कहीं न कहीं खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा है. पुरुष जब हारता है तो उसके भीतर प्रतिशोध की भावना जन्‍म लेती है. लेकिनऐसी कोई घटना घटती है तो अंत में कसूरवार महिला को ही ठहराया जाता है. हमें अपने बच्‍चों को बचपन से सिखाना चाहिये कि लड़के और लड़कियों में कोई अंतर नहीं है.’

मृदुला गर्ग ने अपने उपन्‍यासों में खुलकर विचारों को प्रकट करती हैं. वे कहती हैं कि,’ कठगुलाब को लेकर कई लोगों ने मेरी आलोचना की, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ता जो मैं सोचती हूं वह मैं लिखती हूं.’ उन्‍होंने अपने उपन्‍यास कठगुलाब का जिक्र करते हुए कहा कि, रोना सिर्फ कमजोरी को नहीं दर्शाता है, यह आपके अंदर के साहस और दृढ़निश्‍चय को भी दर्शाता है.

एक सवाल को जवाब देते हुए उन्‍होंने कहा,’ बोल्‍ड लेखक का अर्थ लोगों ने गलत निकाल लिया है. बोल्‍ड का अर्थ है साहसी, न कि अश्‍लीलता से.’ अपने लेखन के सफर के बारे में वह कहती हैं,’

साल 2013 में मृदुला गर्ग को साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. इस उपन्‍यास के बारे में उन्‍होंने कहा,’ सच कहूं, बस लिख दिया. इस उपन्‍यास के शुरू होने के 9 साल लग गये. यह दो ब‍हनों की कहानी है. भारत का इतिहास चलता है. चीन के आक्रमण के बाद का परिदृश्‍य चलता है. मुझे 9 साल लग गये शिल्‍प तलाशने में.’

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