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रांची : स्थानीय नीति में होगा बदलाव : हेमंत सोरेन

सुनील चौधरी रांची : शपथ ग्रहण की पूर्व संध्या पर हेमंत सोरेन ने प्रभात खबर से खास बातचीत की. ताजा राजनीतिक हालात से लेकर राज्य के मुद्दों पर उन्होंने अपनी बातें रखीं. श्री सोरेन ने कहा कि सरकार स्थानीय नीति में संशोधन करेगी. जन भावनाओं के अनुरूप इसमें संशोधन होगा. उन्होंने कहा कि जल-जंगल-जमीन, सीएनटी-एसपीटी […]

सुनील चौधरी
रांची : शपथ ग्रहण की पूर्व संध्या पर हेमंत सोरेन ने प्रभात खबर से खास बातचीत की. ताजा राजनीतिक हालात से लेकर राज्य के मुद्दों पर उन्होंने अपनी बातें रखीं.
श्री सोरेन ने कहा कि सरकार स्थानीय नीति में संशोधन करेगी. जन भावनाओं के अनुरूप इसमें संशोधन होगा. उन्होंने कहा कि जल-जंगल-जमीन, सीएनटी-एसपीटी एक्ट और पत्थलगड़ी से जुड़े मामले पर जनभावना के अनुरूप कानून काम करेगा.
श्री सोरेन ने कहा कि अब सड़क पर महिलाएं हड़िया-दारू नहीं बेचेंगी. उन्हें रोजगार से जोड़ा जायेगा. शहीदों के परिजनों से लेकर खिलाड़ियों तक को रोजगार देने की बात उन्होंने कही है. सरकार की प्राथमिकता पर उन्होंने कहा कि एक प्राथमिकता तय नहीं की जा सकती, पर यह जरूर है कि एक-एक आदमी तक सरकार के तंत्र की पहुंच होगी. यहां उनसे हुई बातचीत के खास अंश दिये जा रहे हैं.
Q29 दिसंबर से गठबंधन की नयी सरकार बनने जा रही है. इस सरकार की प्राथमिकता क्या होगी?
इस राज्य की स्थिति ऐसी नहीं है कि कोई एक प्राथमिकता तय की जाये. उसके लिए ब्रॉड विजन, बड़े विचार के साथ आगे बढ़ना होगा. लोगों की अपेक्षाएं व उम्मीदें बहुत हैं. हरेक पर सरकार की निगाह रहेगी. मैं भी खुद को मानसिक रूप से भी तैयार कर रहा हूं, ताकि लोगों की उम्मीदों को पूरा करूं. भ्रष्टाचार के लिए राज्य में कोई जगह नहीं रहेगी. हमलोगों का काम होर्डिंग, बैनर, अखबारों में कम, लोगों के चेहरे पर ज्यादा दिखेगा.
Qअपने समक्ष क्या चुनौतियां देख रहे हैं?
चुनौतियां हैं. आगामी पांच साल राज्य के लिए महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं. यह अवधि झारखंड के लिए मील का पत्थर साबित होगी. पूरे देश में झारखंड की एक अलग पहचान बनेगी. शपथ ग्रहण समारोह के जो लोग गवाह बनेंगे, वो भी इस बात का एहसास करेंगे कि एक परिवर्तन-एक बदलाव का जो शुभारंभ हुआ है, वह आगे चल पड़ा है.
Qक्या आप खुद को राष्ट्रीय राजनीति में प्रोजेक्ट करना चाहते हैं?
क्यों नहीं, क्या मैं राष्ट्रीय राजनीति नहीं कर सकता. आज राजनीति का दायरा एक राज्य में ही सीमित नहीं रह सकता. जहां तक ये दायरा जायेगा, वहां तक ले जायेंगे.
Qघोषणापत्र के वादों का क्या होगा?
अब जो भी है, सरकार के चेयर पर बैठेंगे तब उन सब चीजों को देखेंगे. जो हमने कहा है वह पूरा करेंगे.
Qसीएनटी-एसपीटी, जल-जंगल-जमीन, पत्थलगढ़ी जैसे मुद्दों पर आपका क्या रुख होगा?
इसे हम चुनौती के रूप में नहीं देख रहे हैं. इस चुनौती को हम अपनी ताकत के रूप में देख रहे हैं. उक्त मसलों का समाधान कानून के प्रावधानों के तहत किया जायेगा. सामाजिक समरसता का ध्यान रखते हुए निदान किया जायेगा. विशेष रूप से जल, जंगल और जमीन से जुड़े मसलों का.
Qकई बार भूख से हुई मौत के मुद्दे पर आप भावुक होते दिखे. अब इन मुद्दों पर क्या करेंगे?
यही कह सकता हूं कि अब इस राज्य में किसी व्यक्ति की मौत भूख से नहीं होगी. व्यवस्थाएं दुरुस्त की जायेगी. पीडीएस सिस्टम को बेहतर बनाया जायेगा. जन आकांक्षाओं को सरकार पूरा करेगी. जरूरतमंदों पर विशेष ध्यान होगा. सरकार आम लोगों की मदद के लिए सदैव तत्पर रहेगी.
Qस्थानीय नीति पर आपका कड़ा रूख रहा है, क्या इसमें बदलाव होगा?
बिल्कुल इस नीति पर हमलोग चिंतन-मंथन करेंगे. उसे फिर से हमलोग संशोधित करेंगे. जो त्रुटियां हैं और जो खामियां हैं उसे दूर किया जायेगा. इस राज्य की जनभावना के अनुरूप स्थानीय नीति लागू होगी.
Qक्या सरकार में शामिल दलों के लिए कोई समन्वय कमेटी बनेगी?
अब कुछ चीजें हैं. गठबंधन भी है और सभी दलों की अपनी-अपनी बातें हैं. पर सबको साथ चलना है, तो एक सामंजस्य बना रहे, इसके लिए एक बेहतर फोरम तैयार किया जायेगा. सीएमपी से और भी कोई बढ़िया विकल्प होगा तो बनाया जायेगा. ताकि सरकार समन्वय से चलती रहे.
Qझारखंड आंदोलन में शहीद हुए लोगों के परिजन के लिए आप क्या करेंगे?
आपको तो पता ही है पिछली सरकार में हमने शहीदों के परिजनों को सरकारी नौकरी दी थी. इस बार भी शुरू करेंगे. कोई भी शहीद का परिजन सड़क पर भटकता नजर नहीं आयेगा. साथ ही इस राज्य के प्रतिभाशाली खिलाड़ी भी सड़क पर नौकरी के लिए नहीं भटकेंगे. सरकार उनको नौकरी देगी.
Qमहिलाओं के लिए आपने क्या सोचा है?
पहले उन महिलाओं के लिए काम करेंगे, जो सड़क किनारे पेड़ के नीचे हड़िया-दारू बेचती हैं. उन्हें एेसा करते देख कर मन व्यथित हो जाता है. वैसी महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ेंगे. ताकि सड़क पर हड़िया बेचने की नौबत ही न आये. हमारा प्रयास है कि पांच साल में हम ये सब काम कर सकें.
Qइतनी व्यस्तता के बाद भी खाली वक्त में आप क्या करते हैं?
आज के समय में इतनी व्यस्तता है कि खाली वक्त मिलना मुश्किल है. समय ही नहीं मिलता है कि ऐसा कुछ बता पायें. जो समय मिलता है, उसमें न्यूज देखते हैं, न्यूज पेपर पढ़ते हैं. कभी-कभी कॉलेज -स्कूल के दोस्तों को याद कर लेता हूं. हम जिस क्षेत्र में काम करते हैं उस क्षेत्र में हर दिन एक चुनौती आती है. समय कम है. खाली समय का उपयोग हम राज्य के लिए कर पायें यही लक्ष्य है.

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