-अमिताभ कुमार-
साल 2019 अपने अंतिम पड़ाव पर हैं. कुछ दिनों के बाद हम नये वर्ष यानी 2020 में प्रवेश कर जाएंगे. इस वर्ष झारखंड में कई ऐसे शख्स हुए जिनकी चर्चा हुई. ये लोग राजनीति,खेल, फिल्म जगत और साहित्य के क्षेत्र से जुड़े हैं. ऐसे ही लोगों में से हम दस लोगों को चुनकर आपके लिए लाये हैं. आइए नजर डालते हैं इन 10 शख्सियतों पर…
हेमंत सोरेन
इस वर्ष के अंत में झारखंड में विधानसभा चुनाव हुए जिसमे एक नाम की काफी चर्चा हुई. जी हां , यह नाम है हेमंत सोरेन…वे सूबे के होने वाले नये मुख्यमंत्री हैं. 10 अगस्त 1975 देश में आपात काल लगा हुआ था. तब पूरा बिहार भी आपातकाल के खिलाफ खड़ा हो उठा था. बिहार के ही हजारीबाग (अब रामगढ़)जिले के दूरस्थ एक गांव नेमरा में शिबू सोरेन के दूसरे पुत्र का जन्म हुआ. तब इस बालक के पिता शिबू और माता रूपी सोरेन को इसका भान तक नहीं होगा यह नन्हा शिशु के नन्हें हाथ जब बड़े होंगे तो सत्ता की बागडोर संभालेगा. हेमंत बचपन में खेलकूद में आगे रहते थे. वह बच्चों को लीड करते थे. यानी लीडरशिप का विकास उसी दौरा से आरंभ हो गया था. हेमंत सोरेन की आरंभिक शिक्षा बोकारो सेक्टर-4 स्थित सेंट्रल स्कूल से हुई. 1989 में हेमंत सोरेन ने पटना के एमजी हाइ स्कूल में 10वीं कक्षा में दाखिला लिया. पटना से ही उन्होंने मैट्रिक की पढ़ाई की. 1990 में उन्होंने बोर्ड की परीक्षा पास की. इसके बाद पटना विश्वविद्यालय से आइएससी 1994 में किया. इसके बाद हेमंत ने बीआइटी मेसरा में इंजीनियरिंग में दाखिला लिया.
सबसे कम उम्र की विधायक अंबा प्रसाद
झारखंड विधानसभा चुनाव में बड़कागांव विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी अंबा प्रसाद ने चुनाव जीतकर 2019 में सबसे कम उम्र की विधायक बनने का इतिहास रच दिया. मात्र 27 साल की उम्र में उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आजसू पार्टी के प्रत्याशी रोशनलाल चौधरी को 30,140 मतों से हरा कर जीत दर्ज की. कार्मेल स्कूल से पढ़ाई करने के बाद 12वीं की पढ़ाई डीएवी स्कूल, हजारीबाग से उन्होंने पूरी की. अंबा प्रसाद ने 2009-12 में विभावि से एलएलबी की डिग्री हासिल की जिसके बाद उन्होंने संत जेवियर्स कॉलेज, रांची से 2012-14 में पीजीडीएम (एचआर) की डिग्री लिया. इतना करने के बाद वह सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए दिल्ली चली गईं. इसी क्रम में कफन सत्याग्रह के दौरान माता निर्मला देवी और पिता योगेंद्र साव को जेल भेज दिया गया. अंबा प्रसाद के माता पिता इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं इसलिए उन्हें चुनाव के दौरान ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा. माता-पिता के जेल जाने के बाद अंबा प्रसाद दिल्ली की पढ़ाई छोड़कर हजारीबाग लौट आई. फिर हजारीबाग कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू किया और माता -पिता पर दर्ज मुकदमों को उन्होंने देखना शुरू कर दिया. इस बार कांग्रेस ने उनपर बड़कागांव से भरोसा जताया जिसपर वह खरा उतरीं.
सरयू राय
झारखंड विधानसभा चुनाव में प्रदेश समेत पूरे देश में चर्चा का केंद्र बिंदु रही जमशेदपुर पूर्वी सीट पर आखिरकार भाजपा हार गयी. यहां पर भाजपा की सीधी लड़ाई भाजपा से ही थी. भाजपा से एक तरफ प्रदेश के मुखिया रघुवर दास, तो दूसरी तरफ भाजपा छोड़ मैदान में उतरे कबीना मंत्री रहे सरयू राय. दोनों भाजपाई. अटूट भाजपाई. बस फर्क इतना था कि दोनों एक-दूसरे के खिलाफ. दोनों का अपना-अपना व्यक्तित्व, विचारधारा और चरम पर विरोध. इस खींचतान में फंसे थे, तो सिर्फ भाजपा कार्यकर्ता और मतदाता. उन्हें तय करना था कि वे कौन से भाजपाई (व्यक्तित्व) के साथ जायेंगे (मतदान के बाद सरयू राय को पार्टी से निकला गया). और अंत में कार्यकर्ताओं ने सरयू की जीत की पटकथा लिख दी. इस चुनाव में सरयू राय को 73,945 मत (42.59%), तो मुख्यमंत्री और बीजेपी के उम्मीदवार रघुवर दास को महज 58,112 वोट (33.47%) मिले. अपको बता दें कि रघुवर 1995 से यहां से चुनाव जीत रहे थे और इस बार उनकी नजर छठी जीत पर थी, लेकिन वह जीत के रिकॉर्ड को कायम नहीं रख सके.
महेंद्र सिंह धौनी
झाखंड की बात की जाए और महेंद्र सिंह धौनी का नाम नहीं लिया जाए तो यह न्याय नहीं होगा. इंटरनेशनल क्रिकेट में धौनी ने इस वर्ष अपने 15 साल पूरे किये हैं. 15 साल पहले झारखंड के एक विकेटकीपर ने टीम इंडिया के लिए वनडे में डेब्यू किया था. बांग्लादेश के खिलाफ 5 मैचों की वनडे सीरीज में धौनी अपने पहले ही मैच में शून्य पर आउट हो गए थे. लेकिन इसके बाद की कहानी भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सुनहरे पन्नों में दर्ज हो गयी. भारतीय टीम को दो बार उन्होंने वर्ल्ड कप जिताने का काम किया. फिलहाल धौनी क्रिकेट एक्शन से दूर हैं. वर्ल्ड कप 2011, टी20 वर्ल्ड कप 2007 और चैम्पियंस ट्रॉफी 2013 जिताने का श्रेय धौनी को जाता है. उनकी कप्तानी में टीम इंडिया आईसीसी टेस्ट रैंकिंग और वनडे रैंकिंग में नंबर 1 टीम भी बनी.
प्रियंका केरकेट्टा
झारखंड की राजधानी रांची के होटवार स्थित खेलगांव में आयोजित 59वें नेशनल ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में महिला लॉन्ग जंप में प्रियंका केरकेट्टा ने 6.16 मीटर छलांग लगाकर सूबे को सोना दिलाया. प्रियंका झारखंड के मांडर ब्लॉक में रहतीं हैं और पिता खेतिहर किसान हैं. गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली प्रियंका साई सैग रांची की एथलीट हैं जिन्होंने 2017 में लखनऊ में आयोजित 15वीं फेडरेशन कप नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रिकॉर्ड बनाकर अपना दम दिखाया था. प्रियंका ने लॉंन्ग जंप में 6.30 मीटर की छलांग लगाकर रिकॉर्ड बनाया था. इसके अलावा भी उसने कई नेशनल सीनियर व जूनियर टूर्नामेंट में पदक जीते हैं.
फ्लोरेंस बारला
इस साल झारखंड की फ्लोरेंस बारला ने अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स मीटर में स्वर्ण पदक अपने नाम किया. अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में पहले ही प्रयास में इस खिलाड़ी ने खुद को साबित किया. कजाकिस्तान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय आमंत्रण एथलेटिक्स मीट में फ्लोरेंस ने 400 मीटर दौड़ में 54.73 का समय निकालकर स्वर्ण पदक जीता. झारखंड के नवाडीह की रहने वाली फ्लोरेंस के सिर से पिता विलियम बारला का साया बचपन में उठ गया था. मां रोजिला नवाडीह के खेतों में काम करके घर चलाती है. मां के साथ खेतों में दौड़ने वाली फ्लोरेंस अभ्यास करने के लिए कभी खाली पेट तो कभी माड़ पीकर पहुंच जाती थी और कई घंटों तक कोच ब्रदर सालेप टोप्पनो की देखरेख में अभ्यास करती थीं. ये कभी दोपहर का खाना खाती थी तो कभी नहीं भी. लेकिन जुनून में कहीं कोई कमी नजर नहीं आती थी.
विराट सिंह
इंडियन प्रीमियर लीग 2020 के नीलामी में झारखंड के युवा खिलाड़ी विराट सिंह पर इस बार सनराइजर्स हैदराबाद ने दांव लगाया है. हैदराबाद ने इस युवा खिलाड़ी पर 1.90 करोड़ रुपये की बोली लगाकर अपनी टीम में शामिल किया. विराट की बेस प्राइस 20 लाख रुपये थी. झारखंड के रहने वाले विराट ने सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में अपनी टीम के लिए शानदार प्रदर्शन किया था. बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने 10 पारियों में तीन अर्धशतक की मदद से 343 रन बनाए. इस दौरान इनका स्ट्राइक रेट 142.32 का था. विराट का पूरा नाम विराट विनोद सिंह है. उनका जन्म 8 दिसंबर 1997 में जमशेदपुर में हुआ था. उन्होंने अपना क्रिकेट कैरियर 2012-13 में विनो मांकड़ ट्रॉफी में झारखंड अंडर 19 टीम की ओर से किया था.
सोहन कुमार यादव
चंद्रयान-2 के अभियान में शामिल वैज्ञानिकों में झारखंड के तोरपा (खूंटी) के तपकारा गांव का सोहन कुमार यादव भी थे. सोहन ने जुलाई 2016 में इसरो में योगदान दिया था. वे लिक्विड प्रोपल्सन सिस्टम सेंटर बेंगलुरु में कार्यरत हैं. सोहन के पिता शिवशंकर यादव ट्रक ड्राइवर हैं तथा मां देवकी देवी गृहिणी हैं. सोहन की प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिशु मंदिर तपकारा में हुई. नवोदय विद्यालय से मैट्रिक करने के बाद डीएवी बरियातू से इंटर किया. इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ स्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी, तिरूवनंतपुरम से उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की. यहीं से उसका चयन इसरो के लिए हुआ.
गुंजन सक्सेना
बॉलीवुड के प्रसिद्ध फिल्म निर्माता करण जौहर झारखंड के धनबाद की बहू गुंजन सक्सेना पर फिल्म बना रहे हैं. गुंजन सक्सेना द कारगिल गर्ल नामक यह फिल्म 13 मार्च 2020 को रिलीज होने वाली है. दिवंगत फिल्म अभिनेत्री श्रीदेवी की बेटी जाह्नवी कपूर इस फिल्म में गुंजन की भूमिका निभा रही है. वर्ष 2004 में मां बनने के बाद गुंजन ने वायुसेना की नौकरी छोड़ दी. 44 साल की गुंजन को उनकी वीरता, साहस और देशप्रेम के लिए शौर्य पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. गुंजन ने डंके की चोट पर साबित किया कि महिलाएं न सिर्फ पायलट बन सकती है, बल्कि जंग के मैदान में अपना लोहा मनवा सकती है. गुंजन को यूपी सरकार से शौर्य वीर पुरस्कार मिला.
कथाकार रणेन्द्र और युवा आलोचक राहुल सिंह
वनमाली सृजन पीठ द्वारा प्रत्येक दो वर्षों में दिये जाने वाले प्रतिष्ठित वनमाली कथा सम्मान, वनमाली कथा आलोचना सम्मान और वनमाली साहित्यिक पत्रिका सम्मान इस वर्ष झारखंड के लिए खास रहा. झारखंड के लिए इस वर्ष का सम्मान समारोह इसलिए रहा क्योंकि यहां के दो रचनाकारों कथाकार रणेन्द्र और युवा आलोचक राहुल सिंह का नाम पुरस्कार पाने वालों की सूची में शामिल था.