मधुबन से दीपक पांडेय
अति नक्सल प्रभावित मधुबन थाना क्षेत्र का भोलाटांड़, नावाडीह, वेंकटपुर, जमुनीचुवा, पांडेयडीह, कुरवाटांड़, बेलाटांड़, ये वहीं गांव हैं, जहां पिछले तीन दशकों से वोट देनेवाले को जन अदालत में सजा दी जाती थी. वोट बहिष्कार का गगनभेदी नारा इन्हीं गांवों से बुलंद किया जाता था.
सोमवार को विधानसभा चुनाव के चाैथे चरण में यहां जम कर वोट पड़े. ग्रामीणों ने उत्साह से वोट दिया. नावाडीह भाकपा माओवादी स्पेशल एरिया कमेटी सदस्य नक्सली अजय महताे उर्फ टाईगर उर्फ वासुदेव का इलाका है, जिस पर झारखंड पुलिस ने 25 लाख रुपये का इनाम घाेषित कर रखा है. अजय महताे अविवाहित है, पर उसका पूरा परिवार सोमवार को वाेट देने लाइन में खड़ा था. परिवार के सभी महिला-पुरुष सदस्याें ने वाेट दिया भी.
सोमवार को चौथे चरण के मतदान के दौरान प्रभात खबर की टीम नक्सल प्रभावित बांध पंचायत पहुंची, तो देखा कि अजय महतो के गांव नावाडीह व आसपास के गांव के लोग वोट देेने के लिए उमड़ पड़े हैं. अजय की चाची रश्मि देवी ने अपने परिवार का सबसे पहला वोट दिया.
रश्मि देवी ने बताया कि यहां पर बीएसएफ के जवान सात किमी चल कर वोट कराने आये हैं, वे हमारे विकास के लिए आये हैं. इस कारण ही हम लाेग बेखौफ वोट दे रहे हैं. पुरुषों में राजू महतो ने पहला वोट दिया. उसने बताया कि वोट देने का कारण विकास है. यहां लाेगाें काे के साथ-साथ मुलभूत सुविधाएं भी उपलब्ध हो रही हैं. अंग्रेजों के जमाने से ही साबित हाे चुका है… बंदूक के भय से विकास नहीं हो सकता है. अजय के परिवार के सभी सदस्यों ने कतारबद्ध हो कर मतदान किया और अपने घर की ओर प्रस्थान कर गये.
ऊपरघाट : चिराग के परिजनों ने भी डाले वोट
इधर, बिहार-झारखंड के मोस्ट वांटेड चिराग के पिता नावाडीह प्रखंड अंतर्गत कंजकिरो पंचायत के पिपराडीह निवासी फागुन महतो, मां, भाई धानेश्वर महतो व भाई की पत्नी गिरीबाला देवी ने पिपराडीह मवि स्कूल स्थित बूथ नंबर 226 में मतदान किया. चिराग ने शादी नहीं की है. दसवीं की परीक्षा में असफल होने के बाद वह नक्सली संगठनों से जुड़ा था. बगोदर के माले विधायक महेंद्र सिंह की हत्याकांड में नाम आने के बाद वह सुर्खियों में आया. वर्ष 2015 में बिहार के जमुई स्थित खिजुरवा पहाड़ जंगल सीआरपीएफ के साथ मुठभेड़ में वह मारा गया था.
शंकर उर्फ जीतू महतो की पत्नी ने किया मतदान
नक्सली शंकर उर्फ जीतू महतो की पत्नी सीता देवी ने गांव की अन्य महिलाओं के साथ पिपराडीह मवि स्कूल के बूथ नंबर 227 में अपना वोट डाला. एक समय कंजकिरो पंचायत के पिपराडीह गांव के टैहरवासीरी टोला में अपने मामा घर में रह कर राज मिस्त्री का काम करने वाला शंकर उर्फ जीतू महतो किशन दा से प्रभावित होकर नक्सल आंदोलन से जुड़ा था.
माओवादियों के घटक संगठन क्रांतिकारी किसान कमेटी से जुड़ कर माओवादी सब जोनल कमांडर भी बना. गिरिडीह जिला के चंदौली जंगल में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में वह मारा गया था. जीतू महतो के परिवार में दो बेटी व एक बेटा है. बेटा काम करने दूसरे प्रदेश गया है.