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झारखंड विधानसभा चुनावी यात्रा : राजनीति में धाक तय करता रहा है सिल्ली

कुल वोटर : 220564पुरुष : 104271महिला : 101375 सिल्ली झारखंड विधानसभा की उन सीटों में से एक जिस पर सबकी नजर है. 2014 के चुनाव में झारखंड मुक्ति मोरचा के टिकट पर अमित महतो चुनाव लड़े और लगातार दो बार से चुने जा रहे पूर्व उपमुख्यमंत्री व आजसू अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो को हरा दिया. […]

कुल वोटर : 220564
पुरुष : 104271
महिला : 101375

सिल्ली झारखंड विधानसभा की उन सीटों में से एक जिस पर सबकी नजर है. 2014 के चुनाव में झारखंड मुक्ति मोरचा के टिकट पर अमित महतो चुनाव लड़े और लगातार दो बार से चुने जा रहे पूर्व उपमुख्यमंत्री व आजसू अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो को हरा दिया. एक बार फिर चुनावी बिसात बिछी है लेकिन खिलाड़ी बदले हैं. इस बार झारखंड मुक्ति मोरचा के टिकट पर अमित महतो की पत्नी सीमा महतो चुनाव लड़ रही है. एक मामले में सजा पाने के बाद अमित ने अपनी पत्नी सीमा को चुनावी मैदान में उतारा है. उप चुनाव में मिली जीत से झारखंड मुक्ति मोरचा उत्साह में है पढ़ें अमलेश नंदन सिन्हा के साथ पंकज कुमार पाठक की रिपोर्ट
सिल्ली विधानसभा क्षेत्र का पहला गांव अपनी पहचान खो रहा है
प्रभात खबर डॉट कॉम ने अपनी चुनावी यात्रा में खिजरी विधानसभा खत्म होते ही सिल्ली में पड़ने वाले पहले गांव अमरूद बगान में लोगों से बात की. यहां लोगों ने बताया कि कैसे अमरूद बगान के अमरूद पहले दूसरे राज्यों तक जाते थे. यह इलाका मशहूर था अमरूद के लिए लेकिन अब ना जाने कैसी बीमारी लगी कि अमरूद के पेड़ सुख रहे हैं और उन्हें बचाने वाला कोई नहीं. एक दिन ऐसा ना हो कि इस इलाके का नाम अमरूद बगान रह जाए पर इलाके से अमरूद गायब हो जाएं.
क्या किसी प्रत्याशी ने इन समस्याओं पर बात की इसे आप मुद्दे बना रहे हैं ? इस पर स्थानीय लोगों ने जवाब दिया कि हमने सभी प्रत्याशी से इस समस्या का जिक्र किया है उम्मीद है कि कोई ऐसा जीत कर आयेगा जो इस समस्या को दूर करेगा. इस क्षेत्र में दूसरी समस्या स्कूल की और अस्पताल की भी है.
सुदेश से सवाल- दो बार हार हुई, आपने इस हार से क्या सीखा
1999 में पहली बार विधायक चुने गये सुदेश लगातार दो चुनाव जीते़ सत्ता सीढ़ी और राजनीति में धाक तय करने वाला यह सीट अब सुदेश के लिए चुनौती बन गयी है. सुदेश विधानसभा चुनाव हारे साथ ही उपचुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा. हमने जब सुदेश महतो से बात की तो पहला सवाल यही रखा कि आपने अपनी दो बार हुई हार से क्या सीखा. क्या आप अपनी कमजोरी पकड़ पाये. इस सवाल के जवाब में आजसू सुप्रीमो ने कहा, जनता को छला गया है. अब जनता यह बात समझ रही है. हमारा दूसरा सवाल था कि क्या आप अपने क्षेत्र में प्रचार के लिए वक्त दे सके क्योंकि इस बार आप 50 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं आपको प्रचार के लिए दूसरी जगहों पर भी जाना होता है ? इस सवाल का जवाब देते हुए सुदेश महतो ने कहा, मैं कल आया हूं और वोट देकर चला जाऊंगा. मैं चुनाव नहीं लड़ रहा सिल्ली की जनता लड़ रही है. अगर आप जीतकर आये तो ऐसा कौन सा मुद्दा है जिस पर आप सबसे पहले काम करेंगे ? स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार सहित कई समस्याएं हैं जिस पर काम करने की जरूरत है.
हमने सुदेश महतो से आखिरी सवाल किया कि आपका नारा है अबकी बार गांव की सरकार, आपने नारे में शहर का जिक्र नहीं है ? इसपर सुदेश ने कहा शहर कहां हैं, कोई भी प्लान सिटी या इसके लिए कोई फंड आता है. शहर है ही नहीं हां इंडस्ट्री के कुछ इलाके हैं लेकिन प्लानिंग के साथ किसी शहर को नहीं बसाया गया.
निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं सुनील महतो से सवाल- पैसा कहां से आ रहा है, चुनावी प्रचार में परेशानी हो रही है
यहां सुदेश और उनके विरोधी दोनों ही बेजोड़ फिल्डिंग सेट करते रहे है़ं . कई निर्दलीय मैदान में हैं लेकिन इस क्षेत्र में ज्यादा चर्चा हो रही है सुनील महतो की. सुनील एक्टिविस्ट हैं और आरटीआई को हथियार बनाकर भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करते आये हैं.हमने उनसे पूछा कि निर्दलीय लड़ना कितना मुश्किल है, पैसा कैसे आता है, क्या प्रचार में गांव- गांव तक अकेले पहुंचना संभव होता है ?
सुनील ने कहा, मैं अपने प्रचार से खुश हूं. मैं उन गांवों तक पहुंचने में सफल रहा जहां अबतक कोई विधायक नहीं पहुंचा. मैं बड़ी रैलियों से ज्यादा घर – घर जाकर लोगों का वोट मांग रहा हूं. मेरे साथ कोई बड़ा काफिला नहीं है. मैं यहां हार- जीत की नहीं सोच रहा मैं मुद्दों की सोच रहा हूं. यहां स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क , रोजगार जैसे मुद्दे गायब हैं उन पर बात होनी चाहिए. भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है. अधिकारी अगर गांव में जाकर समय बितायेंगे लोगों की समस्या समझेंगे तो भ्रष्टाचार खत्म हो जायेगा. अधिकारी और आम जनता के बीच का संवाद खत्म हो गया है. बिचौलिये हावी हो गये हैं.
अमित महतो से सवाल- आप आरोप लगाते रहे हैं कि काम नहीं करने दिया जा रहा, जीत गये तो कैसे काम करेंगे
अमित महतो ने अपनी पत्नी सीमा महतो की जीत के लिए दिन रात एक कर दिया. शाम को जब प्रचार से वापस लौटे तो हमने उनसे बात की हमने उनसे पूछा कि इतने सालों में आप कितना काम कर पायें हैं.
अमित ने जवाब दिया कि हमने हमेशा अपना 100 फीसदी देने की कोशिश की है. जनता के लिए खड़े रहे हैं. उनकी समस्याओं को दूर करने की कोशिश की है लेकिन सरकार की नीतियों की वजह से रोजगार, शिक्षा सहित कई समस्याएं खड़ी हुई है. झारखंड में पारा शिक्षक, आंगनबाड़ी सेविकाएं आंदोलन कर रहे हैं. उनकी समस्या को दूर करना हमारा लक्ष्य है. आप आरोप लगाते रहे हैं कि आपको काम करने नहीं दिया जा रहा, अगर आप दोबारा चुनाव जीते और परिस्थितियां वही रही तो आप जनता के लिए दोबारा कैसे काम कर पायेंगे ?
हमें चैलेंज पसंद है, अगर किसी की जिंदगी में चैलेंज नहीं है तो जिंदगी बेकार है.
सिल्ली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत सिल्ली, सोनाहातू, राहे प्रखंड के अलावा अनगड़ा प्रखंड के पांच पंचायत आते है. अगर चुनावी रंजिश की बात करें तो इस विधानसभा क्षेत्र में दो कोणों में मुकाबला सिमटता दिख रहा है़ भाजपा ने इस सीट से प्रत्याशी नहीं दिया है़ भाजपा की अपनी रणनीति है़ इधर आजसू और झामुमो के लिए अपने-अपने कैडर, समर्थक और वोटर को समेट कर रखना चुनौती है़.
क्या कहती है सिल्ली की जनता
यहां की जनता का मिजाज क्या है, यह टटोलना भी जरूरी था हमने अमरूद बगान से वहां की समस्या तो समझ ली थी लेकिन सिल्ली चौराहे पर रहकर अगर सिल्ली की समस्या नहीं समझते तो चुनावी यात्रा अधूरी रह जाती. सिल्ली की जनता की समस्या, बिजली पानी, रोजगार, ,सड़क, स्वास्थ्य सहित कई समस्याएं हैं जो किसी भी प्रत्याशी के लिए हार और जीत का बड़ा कारण बनते हैं.

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