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लाल आतंक : तीन विधानसभा चुनावों में हुए हैं 119 नक्सली वारदात

प्रणव 2009 में 85 वारदात, पुलिस को सर्वाधिक खमियाजा उठाना पड़ा, 2005 में 19 व 2014 में 15 घटनाएं रांची : झारखंड में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. राजनीतिक दल शह-मात के खेल में अपना-अपना पासा फेंक रहे है. वहीं पुलिस प्रशासन शांतिपूर्ण व निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के लिए लगातार कवायद कर […]

प्रणव
2009 में 85 वारदात, पुलिस को सर्वाधिक खमियाजा उठाना पड़ा, 2005 में 19 व 2014 में 15 घटनाएं
रांची : झारखंड में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. राजनीतिक दल शह-मात के खेल में अपना-अपना पासा फेंक रहे है. वहीं पुलिस प्रशासन शांतिपूर्ण व निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराने के लिए लगातार कवायद कर रहा है. इन सबके बीच एक तबका ऐसा भी है, जिनकी गतिविधियां ठप हैं. वह हैं चुनाव के दौरान चुनौती पेश करने वाले नक्सली संगठन.
यह चुप्पी खतरे की ओर इशारा करता है. झारखंड बनने के बाद हुए तीन विधानसभा चुनावों में नक्सलियों द्वारा अंजाम दिये गये वारदातों का जिक्र लाजिमी है. पुलिस थानों में दर्ज मामले बताते हैं कि पहली बार 2005 में हुए चुनाव में 19, दूसरी बार 2009 के चुनाव में 85 और 2014 के चुनाव में नक्सली वारदात की 15 घटनाएं सामने आयी थीं. पुलिस को सबसे ज्यादा खामियाजा 2009 के विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ा था.
2005 में 09 पुलिसकर्मी हुए थे शहीद
03 फरवरी 2005 को छतरपुर के मदयैभलही टोला में नक्सलियों ने बारूदी सुरंग विस्फोट कर पुलिस जीप को उड़ा दिया था. छह पुलिसकर्मी शहीद हो गये थे और एक चालक मारा गया था.07 फरवरी 2005 को पलामू के मनातू-पसहर-मिटार कच्ची सड़क पर बारूदी विस्फोट में बीएसएफ का एक जवान शहीद हो गया था.
जबकि तीन पुलिसकर्मी और एक ग्रामीण घायल हो गये थे. इनके अलावा विभिन्न प्रत्याशियों के वाहन जलाने, मारपीट करने आदि की घटनाएं सामने आयी थीं. 2005 में कुल 19 घटना हजारीबाग, पलामू, गढ़वा, चतरा, लातेहार व गुमला जिले में दर्ज हुई थी.
2009 में विधायक का अपहरण, 10 जवान हुए थे शहीद
नक्सलियों ने सबसे ज्यादा 2009 में वारदात को अंजाम दिया था. लातेहार के मनिका स्थित तरवाडीह गांव में 12 नवंबर 2009 को तत्कालीन विधायक रामचंद्र सिंह चेरो को उनके पांच-छह कार्यकर्ताओं के साथ माओवादी संगठन से निष्कासित संजय यादव व उसके दस्ते ने अपहरण कर लिया था. राजद विधायक का लाइसेंसी रिवाल्वर और कारतूस भी छीन लिया था. पुलिस के दबाव के बाद विधायक को दूसरी रात छोड़ा था. विशुनपुर (गुमला) के लापु में 22 नवंबर 2009 को नक्सलियों के विस्फोट कर सीआरपीएफ 41 बटालियन के एंटी लैंडमाइन वाहन को उड़ा दिया था. इसमें जवान प्रमोद सिंह व अरविंद सरकार के अलावा चालक प्रकाश मिंज शहीद हो गये थे.
जबकि सीआरपीएफ के नौ जवान व झारखंड पुलिस का एक एएसअाइ जख्मी हो गये थे. 26 नवंबर 2009 को खूंटी के अड़की स्थित जरंगा पुल पर पुलिस वाहन को उड़ा दिया था. इसमें हवलदार हरेंद्र पांडेय की मौत हो गयी थी. अड़की थाना प्रभारी धर्मदेव राम, एएसअाइ अर्जुन ओझा व जीप चालक चौकीदार चैला घायल हो गये थे. दो दिसंबर 2009 को गिरिडीह के पीरटांड़ स्थित तेलिया बरियार नाला के पास नक्सलियों ने लैंडमाइन विस्फोट कर दिया था.
इसमें सीआइएसएफ 153 बटालियन के जवान हरिपाल की मौत हो गयी थी. दुमका के शिकारीपाड़ा-रामपुरहाट मुख्य सड़क पर आठ दिसंबर 2009 को नक्सलियों के साथ मुठभेड़ हुई थी. इसमें सीमा सुरक्षा बल के हेड कांस्टेबल धर्मवीर सिंह व कांस्टेबल दिनेश शर्मा शहीद हो गये थे.
नक्सली जवानों के एसएलआर व इंसास के साथ कारतूस भी लूट ले गये थे. वहीं लोहरदगा के किस्को थाना क्षेत्र के केकरांग घाटी में 14 दिसंबर 2009 को नक्सलियों ने लैंडमाइन विस्फोट किया था. जिसमें मोटरसाइकिल सवार हवलदार गोपीचंद महतो की मौत हो गयी थी. चतरा के पत्थलगढ़ा थाना क्षेत्र के मेराल में 15 दिसंबर 2009 को नक्सलियों ने चौकीदार हीरा तुरी की हत्या कर दी थी.
गढ़वा के रंका तसरार घाटी में 16 दिसंबर 2009 को नक्सलियों ने लैंडमाइन विस्फोट कर दिया था. इसमें राजद प्रत्याशी गिरिनाथ सिंह के पुलिस पार्टी स्कॉर्ट पार्टी का एक वाहन क्षतिग्रस्त हो गया था. इसमें जैप वन के हवलदार रामकुमार क्षेत्री, आरक्षी सुदेश राम, निजी चालक वकील ठाकुर व एक स्थानीय महिला घायल हो गयी थी. इस घटना के बाद 18 दिसंबर 2009 को पलामू के मोहम्मदगंज सीताचुआ जंगल में नक्सलियों के लैंडमाइन विस्फोट में जैप-6 के हवलदार सत्येंद्र सिंह की मौत हो गयी थी.
एसआइ रामजी सिंह और एक ग्रामीण घायल हो गये थे. इसी दिन पलामू के विश्रामपुर नावा बाजार में बेस पुलिस कैंप पर नक्सलियों ने हमला किया था. इसमें बीएमपी-7 के हवलदार पुलस्त शर्मा की मौके पर ही मौत हो गयी थी. जबकि जबकि हवलदार सीताराम चौधरी और सिपाही सागर चौधरी घायल हो गये थे. इसके अलावा भी मुठभेड़ की कई वारदात हुई थी. जिसमें बड़े पैमाने पर पुलिस ने हथियार और अन्य साम्रगी बरामद किया था.
2014 में एक जवान शहीद, चार हुए थे घायल
13 नवंबर 2014 को गुमला के बिशुनपुर जंगल में नक्सलियों से मुठभेड़ में सीआरपीएफ कोबरा बटालियन के जवान संतोष कुमार को जांघ में गोली लग गयी थी. इलाज के लिए इन्हें रांची लाया गया था. वहीं चतरा के इटखोरी भद्रकाली मंदिर के पीछे जंगल में नक्सलियों ने लैंडमाइन विस्फोट कर पुलिस पार्टी को एंटी लैंडमाइन वाहन के साथ उड़ा दिया था. इसमें हवलदार प्रकाश चौरसिया शहीद हो गये थे. जबकि आरक्षी सचींद्र कुमार सिंह, अनुज कुमार सिंह व जय प्रकाश घायल हो गये थे.

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