निर्मला पुतुल
महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में काम हो
राज्य की सरकार के पांच वर्षों का सफर पूर्ण हो चुका है, लिहाजा फिर हम सबके सामने अपने लिए, अपने इलाके के लिए बेहतर जन प्रतिनिधि चुनने का अवसर सामने है.
साहित्यकार और एक महिला होने के नाते हमने महसूस किया है कि अभी भी झारखंड में साहित्य, कला-संस्कृति के लिए भी अभी बहुत काम करने की आवश्यकता है. क्योंकि जिस इलाके में साहित्य और कला-संस्कृति समृद्ध होती है, तमाम समृद्धियां उस इलाके में आती हैं. दुखद स्थिति यह भी है कि झारखंड और खास कर संताल परगना में महिलाओं की स्थिति अभी भी अच्छी नहीं है. उनकी समस्याओं के निदान को लेकर बहुत काम करना बाकी है.
उनके मान-सम्मान की बात हो, अधिकार की या उनको सशक्त बनाने की, ये सारे काम करके ही हम विकास की गति को तेज कर विकसित राज्यों की श्रेणी में झारखंड को ला सकते हैं, अन्यथा महिलाओं को सशक्त किये बिना समाज को सशक्त करना और सर्वांगीण विकास की परिकल्पना करना बेमानी है. यह कार्य धरातल पर होनी चाहिए. सरकार और राजनीतिक दल दलगत भावना व धर्म-जाति जैसे विचारों से ऊपर उठ कर विकास की राजनीति करें.
जनजातीय व क्षेत्रीय भाषाओं और साहित्य को समृद्ध बनाने को लेकर पहल करें. जल, जंगल व जमीन को तो बचायें ही, यहां की प्रतिभाओं को उचित अवसर प्रदान करें. घरेलू कामगार महिलाओं को लघु व कुटीर उद्योगों से जोड़ कर उन्हें स्वावलंबी बनाना होगा. राज्य में ऐसी नीतियां बने कि युवाओं को रोजगार के लिए भटकना न पड़े.
वोट की अपील
मतदान करने अवश्य निकलें. आपका एक मत झारखंड को संवारने में अहम साबित होगा. नि:संदेह चुनाव में सभी नेता अपनी-अपनी दावेदारी और लोक लुभावन वायदे के साथ आपका बेशकीमती वोट मांगने आयेंगे, पर वोट उन्हें ही दें, जो शिक्षित हो, ईमानदार हो. क्षेत्र की समस्याओं को समझता हो.