रांची : राज्य के मजदूरों को नि:शुल्क कपड़ा देने को लेकर श्रम विभाग द्वारा निकाला गया टेंडर नहीं खोला गया. इसमें पैंट-शर्ट की आपूर्ति के लिए चार टेंडर डाले गये थे, लेकिन साड़ियों की आपूर्ति के लिए केवल दो लोगों ने ही टेंडर डाला था. प्रतिभागियों की कमी के कारण टेंडर नहीं खोला जा सका. अब फिर से टेंडर किया जायेगा.
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निविदा नहीं खुली, होगा री-टेंडर
रांची : राज्य के मजदूरों को नि:शुल्क कपड़ा देने को लेकर श्रम विभाग द्वारा निकाला गया टेंडर नहीं खोला गया. इसमें पैंट-शर्ट की आपूर्ति के लिए चार टेंडर डाले गये थे, लेकिन साड़ियों की आपूर्ति के लिए केवल दो लोगों ने ही टेंडर डाला था. प्रतिभागियों की कमी के कारण टेंडर नहीं खोला जा सका. […]
नये टेंडर में पुरुष मजदूरों को धोती की जगह शर्ट-पैंट देने के लिए आपूर्तिकर्ता की खोज की जायेगी. श्रम विभाग के करीब आठ लाख मजदूरों के बीच लगभग 54 करोड़ रुपये से निशुल्क वस्त्र वितरण किया जाना है. पूर्व में निकाले गये टेंडर पर विवाद हुआ था. इस कारण श्रम विभाग के सचिव ने री-टेंडर की शर्तों में यह साफ करने का निर्देश दिया है कि पांच करोड़ रुपये तक वार्षिक टर्न ओवरवाली कंपनी ही टेंडर में शामिल हो सकती है.
कपड़ा खरीदने के लिए राशि सीधे मजदूरों को दें : इधर, कांग्रेस ने मजदूरों को वस्त्र खरीदने के लिए डीबीटी के जरिये राशि सीधे उनके एकाउंट में ट्रांसफर करने की मांग की है. कांग्रेस नेता अजयनाथ शाहदेव ने कहा कि इससे डीबीटी से टेंडर कर खरीदने और फिर से बांटने की दिक्कत से छुटकारा मिलेगा.
राशि में गड़बड़ी होने या कमीशन खाने की गुंजाइश भी खत्म हो जायेगी. उन्होंने कहा कि मजदूरों को कोई ड्रेस नहीं दी जा रही है. अगर वाकई में सरकार की मंशा वस्त्र देकर मजदूरों की मदद करने की है, तो मजदूरों को अपनी पसंद से कपड़ा खरीदने की आजादी भी दी जानी चाहिए.
महिला मजदूरों को साड़ी, तो पुरुष मजदूरों को दिया जायेगा शर्ट-पैंट
श्रम विभाग के आठ लाख मजदूरों को लगभग 54 करोड़ रुपये के वस्त्र बांटे जायेंगे
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