- ई-रिक्शा की तरह अवैध ऑटो पर भी प्रतिबंध लगाने की होने लगी मांग
- अधिक ऑटो होने की वजह से आये दिन लगता है जाम
- वाहनों की रफ्तार 30 से 40 किमी प्रति घंटा की जगह 10 से 15 किमी/घंटा हो गयी है
रांची : राजधानी की सड़कों पर चलने के लिए आरटीओ द्वारा 2335 ऑटो चालकों को परमिट जारी किये गये हैं, लेकिन स्थिति ठीक इसके उलट है. वर्तमान में शहर में आठ हजार से अधिक ऑटो चल रहे हैं. यानी निर्धारित परमिट से चार गुणा अधिक. नतीजतन, शहर की सड़कों पर वाहन चलाना आम लोगों के लिए दूभर हो गया है.शायद ही कोई सड़क बची है जहां जाम की स्थिति नहीं बनती है. इस कारण जिन सड़कों पर वाहनों को 30 से 40 किमी प्रति घंटा के रफ्तार से चलना चाहिए, वहां वाहनों की रफ्तार 10 से 15 किमी प्रति घंटा में सिमट कर रह जाती है.
ऑटो चालकों की इस मनमानी के खिलाफ अब मांग उठने लगी है कि जिस प्रकार से ई-रिक्शा चालकों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए मेन रोड पर इसे बैन कर दिया गया है, उसी प्रकार से ऑटो वालों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए प्रशासन व निगम कुछ व्यवस्था करे.
इन ऑटो पर नहीं होती कार्रवाई
बिना परमिट के चल रहे ऑटो चालकों के खिलाफ न तो ट्रैफिक पुलिस कार्रवाई करती है और न ही नगर निगम. इस कारण अवैध रूप से चल रहे ये ऑटो पूरे शहर में फर्राटा भरते हुए नजर आते हैं. हां, कभी-कभार दिखावे की कार्रवाई के लिए इन ऑटो चालकों से प्रशासन जुर्माने की वसूली कर लेता है.
ट्रैफिक नियमों की भी उड़ाते हैं धज्जियां
बिना परमिट वाले ऑटो हो या परमिट वाले ऑटो. ये जिस रास्ते पर चलते हैं वहां ट्रैफिक नियमों की धज्जियां उड़ाते रहते हैं. बीच सड़क पर सवारी उठाना हो या उतारना, या फिर किसी चौक के मुहाने पर घंटों ऑटो खड़ा रखना इनकी आदत में शामिल है.
लाखों के कैमरे किस काम के
पुलिस प्रशासन ट्रैफिक नियमाें का उल्लंघन करने पर चौक-चौराहों पर लगाये गये सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से लोगाें से जुर्माना वसूलता है. लेकिन प्रशासन को यह ध्यान नहीं है कि इन्हीं कैमरे के माध्यम से बिना परमिट के चल रहे ऑटो को चिह्नित करके इनसे भी जुर्माना वसूला जा सकता है.
अगर यह कदम प्रशासन उठाये तो उसे एक क्लिक में यह पता चल जायेगा की कौन-कौन से ऑटो बिना परमिशन के चल रहे हैं. इस प्रकार से तकनीक का उपयोग करके अवैध रूप से चल रहे इन ऑटो को नियंत्रित किया जा सकता है.
परिवहन विभाग की ओर से 2335 ऑटो (पेट्रोल व डीजल ) काे परमिट जारी किये गये थे. वर्तमान में लगभग एक हजार परमिट डेड हो गये है़ं परमिट स्थानांतरण के लिए हमलोगों ने कई बार आंदोलन किया, लेकिन आश्वासन ही मिला़ कोई कार्रवाई नहीं हुई़ जबकि ऑटो राजधानी की लाइफ लाइन है़
दिनेश सोनी, अध्यक्ष झारखंड डीजल चालक महासंघ (दिनेश गुट)