हार्ट अटैक के बाद रिम्स लाया गया, समय पर नहीं हो सका इलाज
मो परवेज कुरैशी
अति प्राचीन वाद्य यंत्रों के बीच टूहिला की अलग पहचान बनानेवाले टाटीसिलवे हरिनगर निवासी मशहूर वाद्य यंत्र वादक काली शंकर महली का 19 जुलाई को रिम्स में देहांत हो गया. 55 वर्षीय काली शंकर अपने पीछे पत्नी शुक्रमणि देवी, तीन बेटे राज, राजू, राजन महली व एक बेटी नीलू देवी को छोड़ गये. बच्चों ने बताया कि पापा को अचानक हार्ट अटैक हुआ. सुबह चार बजे उन्हें रिम्स लाया गया, लेकिन समय पर चिकित्सकों ने उनका इलाज नहीं किया. बच्चों ने बताया कि उनके पिता को बेड नहीं मिलने पर इलाज के लिए बरामदे में लिटाना पड़ा.
संघर्षमय रहा जीवन : काली शंकर महली ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरे पिता स्व तृप्तनाथ महली आकाशवाणी में सारंगी वादक थे. उनकी मृत्यु के बाद उन्होंने रिक्त पद के लिए आवेदन दिया था, लेकिन उनसे कहा गया कि आकाशवाणी का नाम बदल कर प्रसार भारती हो गया इसलिए फिर से आवेदन देना होगा.
कला-संस्कृति विभाग झारखंड के 2008-09 के निदेशक अनुराग गुप्ता ने झारखंड के गुरु-शिष्य के प्रशिक्षण के लिए काली शंकर महली और बांसुरी वादक लालू शंकर महली के लिए आवेदन जमा करवाया, लेकिन अनुराग गुप्ता के पद से हटते ही यह काम भी अधूरा रह गया. इसके अलावा वे अपने परिवार का भरन पोषण आकाशवाणी रांची व दूरदर्शन में कार्यक्रम पेश कर अजिर्त आय से कर रहे थे.
लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं

