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डॉक्टर्स डे पर विशेष : खत्म हो गया है मरीज और डॉक्टर के बीच का विश्वास

‘मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट’ लागू करने की बढ़ती मांग पर बोले राजधानी के पुराने डॉक्टर रांची : चिकित्सा सेवा भाव और विश्वास का पेशा है. लेकिन, वर्तमान समय में डॉक्टरों में धन कमाने की होड़ और मरीजों की बढ़ती अपेक्षाओं ने डॉक्टर व मरीज के बीच दूरी बढ़ा दी है. नतीजतन इस पेशे से लोगों का […]

‘मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट’ लागू करने की बढ़ती मांग पर बोले राजधानी के पुराने डॉक्टर
रांची : चिकित्सा सेवा भाव और विश्वास का पेशा है. लेकिन, वर्तमान समय में डॉक्टरों में धन कमाने की होड़ और मरीजों की बढ़ती अपेक्षाओं ने डॉक्टर व मरीज के बीच दूरी बढ़ा दी है. नतीजतन इस पेशे से लोगों का विश्वास उठता जा रहा है. अस्पताल में तोड़फोड़ और मारपीट की घटनाएं बढ़ रही हैं. हालांकि, वर्ष 1970 के दशक के डॉक्टर भी मानते हैं चिकित्सा सेवा में गिरावट आयी है. इस कारण युवा डॉक्टर मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट का सुरक्षा कवच चाहते हैं.
जब हमलोग वर्ष 1976 में हाउस सर्जन के रूप में सेवा दे रहे थे, तो मात्र 90 रुपये मिलते थे, लेकिन हमलोग पैसा बढ़ाने के लिए हड़ताल नहीं करते थे.
चिकित्सा सेवा को लोग बड़ी इज्जत से देखते थे. आरा को जब मैं छोड़ रहा था, तो पूरे गांव के लोग स्टेशन पर छोड़ने आये थे. तब मुझे लगा कि लोगों का विश्वास पर खरा उतरना पैसा से ज्यादा जरूरी है. आज का माहौल बदल गया है. डॉक्टर प्रोडक्ट बन गया है, जिससे लोगों की उम्मीदें बढ़ गयी हैं. परिजन पैसा खर्च करते हैं, तो डॉक्टर से उम्मीद करते हैं कि वह हर हाल में मरीज को ठीक करे.
डॉ एसपी मुखर्जी, पद्मश्री व वरिष्ठ चिकित्सक
डॉक्टर ही नहीं नेता को भी अब पहले से ज्यादा सुरक्षा चाहिए. हमारे समय में सही में सुरक्षा के लिए अलग से कोई कानून की जरूरत नहीं थी, लेकिन अब परिस्थिति बदल गयी है. मरीज और डॉक्टर के बीच का विश्वास पूरी तरह खत्म हो गया है. आइपीसी की धारा तो है, लेकिन इसके बावजूद सुरक्षा चाहते हैं, तो कोई न कोई कारण होगा ही. डॉक्टरी पेशा में गिरावट तो आयी है, लेकिन मरीज व उनके परिजनों को भी विश्वास व सुरक्षित माहौल देना होगा. डॉक्टर अपने पेशा के प्रति ईमानदारी रखें.
डॉ एचपी नारायण, वरिष्ठ न्यूरो सर्जन
चिकित्सा सेवा में पहले से कमी तो आयी ही है़ पहले डॉक्टर के प्रति लोगों की श्रद्धा थी, लेकिन अब विरोध व द्वेष की भावना ज्यादा है. डॉक्टर पर मरीज को विश्वास नहीं है और मरीज को डॉक्टर आत्मीय भाव से नहीं देखते हैं.
मुझे याद है. वर्ष 1959 में हमारे टीचर डॉ बीसी राॅय हमेशा कहते थे कि मरीज को पहले प्राथमिकता देनी है. वह हमें गाइड करते थे, लेकिन आजकल सीनियर डॉक्टर जूनियर को नैतिक शिक्षा के बारे में जानकारी नहीं देते हैं परिजन भी उग्र रहते हैं, मारपीट व तोड़फोड़ के इस माहौल में अगर मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू होगा, तो डॉक्टरों को सुरक्षा मिलेगी़
डॉ सिद्धार्थ मुखर्जी, वरिष्ठ फिजिशियन
डॉक्टरों की राय
डॉक्टर और मरीज का संबंध विश्वास पर आधारित है. आज कहीं न कहीं इन संबंधों मेें सामाजिक ठेस पहुंची है. इसका सबसे ज्यादा खामियाजा जरूरतमंद और निर्दोष जनता को भुगतना पड़ रहा है. समाज व डॉक्टर दोनों का यह दायित्व है कि वह इस पवित्र संबंध को फिर स्थापित करें.
डाॅ उज्ज्वल रॉय, न्यूरोलाॅजिस्ट
चिकित्सा का पेशा विश्वास पर टिका है. विश्वास नहीं, तो संजीवनी बूटी का भी कोई असर नहीं हो सकता है. अपने काम के प्रति ईमानदारी और सेवा भाव से ही डॉक्टरी पेशे में खुशियां हासिल की जा सकती हैं. हर डॉक्टर की पहली प्राथमिकता उनके मरीज होने चाहिए.
डाॅ दीपक गुप्ता, कार्डियाेलॉजिस्ट
स्वास्थ्य का गहरा संबंध मस्तिष्क व मानसिकता से है. निरोग का मतलब मानसिक स्वस्थ होना है. आज की जीवनशैली में छोटी बातें मानसिक अवसाद व तनाव का कारण बनती जा रही है, जो विभिन्न बीमारी का संकेत है. हमेशा सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः पर काम करना चाहिए.
डाॅ केशव, मनोचिकित्सक
स्वस्थ रहने से ही हम अच्छा जीवन व्यतीत कर सकते हैं. जब हमारा शरीर स्वस्थ होगा, तो हमारा हार्ट भी स्वस्थ रहेगा, इसलिए स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना चाहिए. नियमित व्यायाम व पारंपरिक भोजन को हमारे दैनिक आहार में शामिल करना चाहिए.
डॉ नीरज प्रसाद, कार्डियोलॉजिस्ट
डॉक्टर व मरीज के बीच का संबंध आपसी विश्वास पर टिका हुआ होता है. अगर मरीज व परिजन डॉक्टर पर विश्वास करेंगे, तभी डॉक्टर भी शत-प्रतिशत अपना रिजल्ट दे पायेंगे. आजकल मरीज व डॉक्टरों के बीच जो दूरी बन गयी है, उसे शीघ्र ही पाटना होगा.
डाॅ विजय मिश्रा, आइसीयू स्पेशलिस्ट
डॉक्टर अपने मरीज को हमेशा बचाने के लिए जी-जान लगा देता है, लेकिन अक्सर लोग गंभीर मरीज को अस्पताल पहुंचाते हैं. गंभीर मरीज को जीवित कर देने की उम्मीद पाल लेते यही गड़बड़ है. डॉक्टर हमेशा चाहता है कि उसका मरीज स्वस्थ हो जाये.
डाॅ एमके सेनापति, यूरोलॉजिस्ट
डॉक्टर भगवान नहीं हैं़ अगर हम उन्हें भगवान मानने लगेंगे, तो मन में यही लगने लगता है कि उससे गलती नहीं होगी. लेकिन ऐसा नहीं होता है. अगर ऐसा होता तो कभी कोई डाॅक्टर व उसका परिवार नहीं मरता. मरीज व डॉक्टर के बीच का विश्वास खंडित हो गया है. समाज में बदलाव की जरूरत है. डॉक्टर भी पैर पुजाने की चाहत छाेड़ दें.
डॉ डीके झा, फिजिसियन रिम्स
डॉक्टर होना सिर्फ एक काम नहीं है, बल्कि एक चुनौतीपूर्ण वचनबद्धता है. युवा डॉक्टरों को डॉ बिधानचंद्र राय की तरह जवाबदेही के साथ डॉक्टरी पेशा में सेवा करना चाहिए. सम्मान बचाये रखने की पहल करनी होगी. वर्तमान में डॉक्टरी ही ऐसा पेशा है, जिस पर लोगों का विश्वास है. इसे बनाया रखना हम डॉक्टरों के हाथ में है.
डॉ सरोज राय
डॉक्टर व मरीज के बीच का संबंध बेहतर होना चाहिए, लेकिन इसके बीच में दूरी बन गयी है. परिजनों को भी डॉक्टर पर विश्वास करना चाहिए तभी संबंधों में प्रगाढ़ता आयेगी.
डाॅ सबाज
डॉक्टर व मरीज के बीच का संबंध हमेशा से सही रहे इसके लिए सबका सहयोग जरूरी है. डॉक्टर हमेशा यह प्रयास करता है कि मरीज स्वस्थ रहे, लेकिन कई बार ऐसा नहीं होता है. इसको परिजनों को समझना चाहिए.
डाॅ कुणाल बंका
मरीज को बेहतर सेवा देने की सीख डॉक्टरी पढ़ाई में ही मिल जाती है. हम प्रयास भी करते है, लेकिन कई बार चाह कर भी डॉक्टर अपने मरीज को बचा नहीं पाता है. इसका मतलब यह नहीं कि वह जानबूझ कर मरीज का भला नहीं चाहा.
डॉ रोहित लाल

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