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विज्ञान का भारतीय परंपरा से रहा है जुड़ाव

रांची : नासा से जुड़े प्रसिद्ध अंतरिक्ष विज्ञानी डाॅ ओम प्रकाश पांडेय ने कहा कि अब आधुनिक विज्ञान भी ‘चेतना’ के विषय पर चला गया है़ चेतना पर काम करने के साथ ही हम भारतीय परंपरा से जुड़ गये है़ं आज विश्व इस विषय पर काम कर रहा है़ वह शुक्रवार को सभ्यता अध्ययन केंद्र […]

रांची : नासा से जुड़े प्रसिद्ध अंतरिक्ष विज्ञानी डाॅ ओम प्रकाश पांडेय ने कहा कि अब आधुनिक विज्ञान भी ‘चेतना’ के विषय पर चला गया है़ चेतना पर काम करने के साथ ही हम भारतीय परंपरा से जुड़ गये है़ं

आज विश्व इस विषय पर काम कर रहा है़ वह शुक्रवार को सभ्यता अध्ययन केंद्र द्वारा रामानुजम इंस्टीट्यूट कोकर में आयोजित ‘सृष्टि रचना: आधुनिक बनाम वैदिक विज्ञान’ विषयक संगोष्ठी में विचार व्यक्त कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि सृष्टि की रचना एक विस्तृत विषय है़ आधुनिक विज्ञान में बिग बैंग से पहले बात नहीं की जाती, क्योंकि आधुनिक विज्ञान भौतिक विज्ञान (मेटेरियल साइंस) है़ मेटेरियल साइंस, जहां से फिजिक्स शुरू होता है अर्थात जहां लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई की बात आती है़
बिग बैंग एक ‘अंडे’ में विस्फोट था़ जब अंडे में विस्फोट हुआ, तो अंडा बनने में भी कुछ समय लगा होगा़ इसके लिए कुछ अव्यय की आवश्यकता हुई होगी़ वह कहां से आया, इसके विषय में आधुनिक विज्ञान कुछ नहीं कहता़, पर भारतीय विज्ञान परंपरा यह बताती है़ विज्ञान को भारतीय संदर्भ में पढ़ना महत्वपूर्ण है़ कार्यक्रम में विधायक जीतू चरण राम, ज्ञान प्रकाश जालान, आरएसएस के क्षेत्रीय संपर्क प्रमुख अनिल ठाकुर व अन्य थे.
चीजों को भारतीय संदर्भ में देखना महत्वपूर्ण
सभ्यता अध्ययन केंद्र नयी दिल्ली के केंद्रीय अध्यक्ष रवि शंकर ने कहा कि विश्व इतिहास में भी दुनिया भर में विचित्र बातें पढ़ायी जाती है़ं सभ्यता और अनुशासन का अंतर भी नहीं समझा जाता़ महाभारत के बाद की सभ्यता को सिंधु घाटी की सभ्यता क्यों कहा जाता है? महाभारत के बाद की सभ्यता क्यों नहीं कहा जाता?

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