रांची : खूंटी के दर्जनों गांव पत्थलगड़ी से प्रभावित है. सुदूर गांव में पुलिस-प्रशासन से ग्रामीण दूर हो रहे हैं. सरकारी योजना चलाना इस इलाके में परेशानी का कारण बन गया है. जमीनी स्तर पर काम करने वाले सरकार के लोग भी ग्रामीणों का भ्रम दूर नहीं कर पा रहे हैं. सरकार की योजनाओं को ग्रामीण अपनी जमीन से जोड़ कर देख रहे हैं. प्रभात खबर की टीम लगातार खूंटी के पत्थलगड़ी वाले इलाके का सच खंगालने में जुटी है. पत्थलगड़ी के एक वर्ष पूरे होने पर सरकारी योजनाओं का हाल जानने की कोशिश है. इस इलाके में ग्रास रूट पर काम करनेवाला सरकार का तंत्र फेल है.
ब्लॉक के कर्मचारी, सहिया-सेविका, एएनएम, रोजगार सेवक, पंचायत सेवक से लेकर चौकीदार तक ग्रामीणों से सरकार का तार नहीं जोड़ पा रहे हैं. गांव के लोग सरकारी योजनाओं का लाभ लेना नहीं चाहते हैं. अपना आधार कार्ड तक छिपाना चाहते हैं. प्रभात खबर की टीम जब मारंगहादा थाना पहुंची, तो यहां कई जानकारी मिली. इस थाने में थानेदार सहित 30 से ज्यादा जवान हैं. खूंटी से 25 किमी दूर जंगल में यह थाना है. सूचना मिली कि इस थाना के पास पहले चाय-नाश्ते की दुकान थी, जो बंद हो गयी. इस संबंध में बताया गया कि चाय-नाश्ता के लिए जवानों को एक से डेढ़ किमी दूर जाना पड़ता है.
पूर्वजों को याद करने के लिए करते हैं पत्थर की पूजा : पूरे क्षेत्र में ग्रामीण अपनी परंपराओं व संस्कृति के साथ जुड़े है़ं इसमें किसी तरह की छेड़छाड़ बरदाश्त नहीं करते है़ं इस इलाके में पत्थलगड़ी की पुरानी परंपरा रही है़ अपने पूर्वजों को याद करने के लिए पत्थर का निशान बनाते हैं. इन दिनों इस इलाके में अपने पूर्वजों को याद करने के लिए पत्थर की पूजा कर रहे है़ं पत्थरों की साफ-सफाई भी हो रही है़ गांव के सीमांकन के लिए भी कई इलाके में पुराने पत्थर गांव में मिलते है़ं कोचाांग, डाडीगुटु, मारंगहादा, हाबुइडीह सहित खूंटी के कई इलाके में इस तरह की पत्थलगड़ी आम है़ हाल के दिनों में ग्राम सभा के अधिकार को लेकर भी पत्थलगड़ी की गयी है़ इसको लेकर आपत्ति जतायी जा रही है़ इसमें संविधान से लेकर व्यवस्था तक पर सवाल उठाये जा रहे हैं.

