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निजी कंपनियों के सहयोग से बनेंगे ग्रिड

रांची : झारखंड में भी बिजली ट्रांसमिशन नेटवर्क का विस्तार पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत हो सकेगा. निजी कंपनियां भी चाहें तो खुद से भी ट्रांसमिशन लाइन लगा सकती हैं. बदले में उसे उस लाइन से बिजली लेनेवालों को शुल्क देना होगा. यानी झारखंड में चौबीस घंटे निर्बाध और गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति के लिए राज्य […]

रांची : झारखंड में भी बिजली ट्रांसमिशन नेटवर्क का विस्तार पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत हो सकेगा. निजी कंपनियां भी चाहें तो खुद से भी ट्रांसमिशन लाइन लगा सकती हैं. बदले में उसे उस लाइन से बिजली लेनेवालों को शुल्क देना होगा. यानी झारखंड में चौबीस घंटे निर्बाध और गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति के लिए राज्य में निजी क्षेत्र की कंपनियां भी संचरण नेटवर्क का विकास करेंगी.
विकास कैसे हो, किन शर्तों पर हो और विकास के बाद किन नीतियों का अनुपालन अनिवार्य होगा. इसे तय करने के लिए झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा ट्रांसमिशन के लिए तीन नये रेगुलेशन और दो पुराने रेगुलेशन में संशोधन का प्रस्ताव लाया गया है.
ये रेगुलेशन हैं जेएसइआरसी (प्लानिंग अॉफ इंट्रा स्टेट ट्रांसमिशन) रेगुलेशन 2019, जेएसइआरसी (प्रोसिड्यूर, टर्म एंड कंडीशन फॉर ग्रांट अॉफ ट्रांसमिशन लाइसेंस) रेगुलेशन 2019, जेएसइआरसी (फ्रेमवर्क फॉर शेयरिंग अॉफ इंट्रा स्टेट ट्रांसमिशन चार्ज) रेगुलेशन 2019, अमेंडमेंट इन जेएसइआरसी (स्टेट ग्रिड कोड) रेगुलेशन 2008 व अमेंडमेंट इन जेएसइआरसी (टर्म्स एंड कंडीशन फॉर डिटरमिनेशन अॉफ ट्रांसमिशन टैरिफ) रेगुलेशन 2015.
नियामक आयोग द्वारा इन प्रस्तावों पर शुक्रवार को राजधानी के एक होटल में जनसुनवाई की गयी. आयोग के अध्यक्ष अरविंद प्रसाद, सदस्य आरएन सिंह व पीके सिंह ने सुनवाई की. संचालन आयोग के सचिव एके मेहता ने किया. सुनवाई में झारखंड संचरण निगम लिमिटेड के एमडी निरंजन प्रसाद समेत टाटा पावर, स्टरलाइट पावर, इनलैंड पावर समेत विभिन्न कंपनियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे.
सुनवाई के दौरान आयोग के चेयरमैन अरविंद प्रसाद ने बताया कि संचरण नेटवर्क बेहतर नहीं होगा, तो बिजली वितरण बेहतर तरीके से नहीं हो पायेगा. एक ही कंपनी झारखंड ऊर्जा संचरण निगम नहीं बल्कि अन्य कंपनियां भी संचरण नेटवर्क का विकास करेंगी. कंपनियां राज्य के लिए संचरण नेटवर्क के विकास पर हुए खर्च का भार सरकार पर डालेंगी. अगर सरकार इसकी पूरी भरपाई करती है तो उपभोक्ताओं पर इस खर्च का भार नहीं पड़ेगा.
श्री प्रसाद ने कहा कि सरकार अगर खर्च और संचालन लागत का वहन नहीं करती है तब उपभोक्ताओं पर बिजली की ऊंची दर की मार न पड़े इसके लिए नीति निर्धारण किया जा रहा है. कंपनियां सस्ती दर पर उपलब्ध बिजली खरीदकर वितरण दर को स्थिर बनाये रखने में जुटी रहें, यह सुनिश्चित किया जा रहा है. इस दौरान इनलैंड पावर के लेखा-जोखा पर भी सुनवाई का आयोजन किया गया.
जरूरत के मुताबिक होगा नेटवर्क का विकास
आयोग के चेयरमैन श्री प्रसाद ने कहा कि कंपनियां वर्तमान और निकट भविष्य की बिजली की जरूरत के मुताबिक ही संचरण नेटवर्क का विकास करें, ताकि सरकार अथवा उपभोक्ता पर बोझ न पड़े. इसके लिए कंपनियों को संचरण नेटवर्क का विकास करने से पहले सर्वे रिपोर्ट देनी होगी.
इंट्रा स्टेट ग्रिड संचरण नेटवर्क का रास्ता साफ
राज्य में इंट्रा स्टेट ग्रिड संचरण नेटवर्क का रास्ता साफ हो गया है. पीपीपी मोड पर बनने जा रहे 19 बड़े ग्रिड सब-स्टेशन का वार्षिक संचरण शुल्क अदा करने की मंजूरी राज्य सरकार ने दे दी है.
निजी कंपनियों से निवेश करा कर ग्रिड सब-स्टेशनों का निर्माण कराने की तैयारी में झारखंड ऊर्जा संचरण निगम लिमिटेड (जेयूएसएनएल) जुटा है. इन 19 ग्रिड सब-स्टेशनों को संचालित करने पर प्रतिमाह औसतन 60 करोड़ रुपये आयेगा. इस वार्षिक संचरण शुल्क का वहन राज्य सरकार करेगी.
क्या है इंट्रा स्टेट संचरण नेटवर्क
ग्रिड सब-स्टेशनों एवं संबंधित संचरण लाइनों का ऐसा जाल है जिसका विस्तार केवल राज्य के अंदर हो. इससे उच्च क्षमता पर उत्पादित बिजली का स्थानांतरण वितरण सब-स्टेशनों तक किया जाता है. राज्य में 24 घंटे निर्बाध और गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति के लिए यह जरूरी है.
यहां बनेंगे ग्रिड सब-स्टेशन
400/220 केवी ग्रिड चांडिल, मांडर, दुमका, कोडरमा और पतरातू में बनेंगे. इससे संबंधित लाइनों का भी विकास किया जायेगा. 220/132 केवी ग्रिड हजारीबाग, बरकट्टा, नोवामुंडी, जादुगोड़ा, तमाड़, पालाजोरी, जसीडीह, गोमिया, तोपचांची, बलियापुर, खूंटी और सिमडेगा में बनाने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. इनके साथ ट्रांसमिशन लाइन बनेंगी.

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