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बेड़ो : शिक्षा को बढ़ावा दें, हड़िया-दारू त्यागें

पड़हा जतरा में डॉ रामेश्वर उरांव ने आदिवासी समाज से की अपील बेड़ो : प्रखंड में अलग-अलग जगहों पर सोमवार को पड़हा जतरा सह सभा समारोह का आयोजन किया गया. बेड़ो बाजारटांड़ व बारीडीह बगीचा में आयोजित जतरा सह सभा समारोह में हजारों की संख्या में पड़हा प्रेमी शामिल हुए. दोनों समारोह में आयोजन कर्ताओं […]

पड़हा जतरा में डॉ रामेश्वर उरांव ने आदिवासी समाज से की अपील
बेड़ो : प्रखंड में अलग-अलग जगहों पर सोमवार को पड़हा जतरा सह सभा समारोह का आयोजन किया गया. बेड़ो बाजारटांड़ व बारीडीह बगीचा में आयोजित जतरा सह सभा समारोह में हजारों की संख्या में पड़हा प्रेमी शामिल हुए.
दोनों समारोह में आयोजन कर्ताओं के नेतृत्व में पड़हा निशान लकड़ी के बने हाथी-घोड़ा के अलावा रंपा-चंपा व झंडों के साथ शोभायात्रा निकाली गयी. एक ही दिन दो अलग-अलग स्थानों पर आयोजित कार्यक्रम को लेकर पुलिस प्रशासन चौकस रहा.
बेड़ो बाजारटांड़ में आयोजित 53वें वार्षिक पड़हा जतरा सह सभा समारोह में मुख्य अतिथि अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव ने कहा कि पड़हा सामाजिक – सांस्कृतिक व्यवस्था है.
देश भर के आदिवासियों की भाषा-संस्कृति एक जैसी है. उन्होंने आदिवासियों से शिक्षा को बढ़ावा देने व हड़िया-दारू त्यागने की अपील की. विधायक गंगोत्री कुजूर ने कहा कि पड़हा व्यवस्था बचाये रखने के लिए स्व करमचंद भगत के सपनों को उनके पुत्र डॉ रवींद्र नाथ भगत साकार कर रहे हैं.
विनोबा भावे विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ रवींद्रनाथ भगत ने कहा कि लोकतंत्र की अवधारणा का जन्म ही पड़हा से हुआ है. इसकी जड़ें हमारी पड़हा व्यवस्था से निकलकर पूरी दुनिया के सामाजिक ढांचे में फैल गयी है. पड़हा व्यवस्था को इसकी मौलिकता के साथ आनेवाली पीढ़ी को सौंपना ही हमारी प्राथमिकता है. समारोह को पद्मश्री सिमोन उरांव, पाड़हा राजा महादेव कुजूर, गोयंदा उरांव, बिशु उरांव सहित कई लोगों ने संबोधित किया.

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