डॉक्टरों के लिए सरकार ने रखी शर्त
रांची : झारखंड में जनजातीय भाषा नहीं जानने वाले डॉक्टर को प्रोन्नति नहीं मिलेगी. प्रोन्नति पाने के लिए डॉक्टरों को संताली, मुंडारी, उरांव या अन्य किसी जनतातीय भाषा का ज्ञान रखना अनिवार्य होगा.
राजस्व पर्षद ने डॉक्टरों की प्रोन्नति के लिए ली जाने वाली परीक्षा में जनजातीय भाषाओं का ज्ञान अनिवार्य कर दिया है. उल्लेखनीय है कि राजस्व पर्षद ही चिकित्सकों की प्रोन्नति के लिए परीक्षा का आयोजन करता है. अब प्रोन्नति पाने के लिए डॉक्टरों को चार जनजातीय भाषाओं में से एक की परीक्षा अनिवार्य रूप से पास करनी होगी. जिन चार जनजातीय भाषाओं की परीक्षा होगी, वह मुंडारी, संताली, उरांव और हो है.
अब तक डॉक्टरों को प्रोन्नति के लिए केवल दो पेपर की परीक्षा देनी होती थी. राजस्व पर्षद द्वारा हिंदी और एकाउंट्स की परीक्षा ली जाती थी. परीक्षा पास करने वाले डॉक्टर को वेतनवृद्धि के लिए ट्रेजरी ट्रेनिंग में भेजा जाता था. ट्रेजरी ट्रेनिंग के बाद डॉक्टरों को वेतनवृद्धि देते हुए उनको प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के प्रभारी व समकक्ष पदों पर पदस्थापित करने के लिए प्रोन्नति दी जाती थी. अब डॉक्टरों को हिंदी और एकाउंट्स के अलावा मुंडारी, संथाली, उरांव और हो में से एक भाषा की परीक्षा अनिवार्य रूप से पास करनी होगी.
केंद्रीय परीक्षा समिति के सचिव शशि शेखर प्रसाद ने इस बारे में पत्र जारी किया है. पत्र में कहा गया है कि झारखंड राज्य के स्वास्थ्य सेवा (भर्ती, प्रोन्नति एवं अन्य सेवा शर्त) नियमावली, 2010 के आलोक में केंद्रीय परीक्षा समिति, राजस्व पर्षद, झारखंड द्वारा राज्य के स्वास्थ्य सेवा के चिकित्सकों के लिए जनजातीय भाषा की परीक्षा का आयोजन करने का फैसला लिया गया है. इसमें नये नियम प्रभावी होंगे.