लीजिए, गप्पू चचा को ई कैसे पता चल गया. कोयलांचल की एक सीट में गजबे उलटफेर हो गया. दिल्ली में सोंटा चला और पांच बार वाले पांडेय बाबा आउट हो गये. ई सीट पर ढेरे फसाद भी था. कोयलांचल में धाक रखने वाले, दंबग एगो विधायक भी चुनाव लड़ने के लिए तनतनाइल थे. रोज-रोज का किचकिच दिल्ली एक दिन में शांत कर दिया. अब ई सीट पर केला का गौध पहुंचेगा. लेकिन मामला इधरो गड़बड़े है. मौसा दावेदार है़ सीट मिला, तो दनादन केला छील कर खाने लगे.
समर्थक पर भी उछल-कूद मचाने लगे. नौकरी-चाकरी छोड़ कर नेतागिरी में कूदे. इनके करीबी अफसर बाबू भी टकटकी लगाये हैं. लेकिन गप्पू चचा बता रहे थे कि सिनवे आहिस्ता-आहिस्ता बदल रहा है. पार्टी के नेता का भी मन कुलबुला रहा है. कहीं यही न कूद जायें. गिरिडीह के रास्ते नेताजी निकले, तो मौसा पीछे छूट जायेंगे.