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रांची : परिजन खींच रहे थे ट्रॉली व व्हीलचेयर, इमरजेंसी में घंटों पड़े रहे शव, मेडिसिन ओपीडी में हंगामा

रांची : रिम्स के निजी सुरक्षाकर्मियों और ट्रॉलीमैन के हड़ताल पर चले जाने के बाद यहां इलाज के लिए आये मरीजों के परिजन ट्रॉली और व्हीलचेयर खींचते नजर आये. ट्रॉली पर चादर बिछाने, मरीज को इमरजेंसी या ओपीडी में पहुंचाने और वार्ड में शिफ्ट करने का काम परिजनों को ही करना पड़ा. हालांकि, इस दौरान […]

रांची : रिम्स के निजी सुरक्षाकर्मियों और ट्रॉलीमैन के हड़ताल पर चले जाने के बाद यहां इलाज के लिए आये मरीजों के परिजन ट्रॉली और व्हीलचेयर खींचते नजर आये. ट्रॉली पर चादर बिछाने, मरीज को इमरजेंसी या ओपीडी में पहुंचाने और वार्ड में शिफ्ट करने का काम परिजनों को ही करना पड़ा. हालांकि, इस दौरान अस्पताल की सुरक्षा में तैनात सैप के जवानों ने भी मरीजों की काफी मदद की.
इधर, जानकारी के अभाव में जिस मरीज को इएनटी ओपीडी में जाना था वह सर्जरी में पहुंच गया. कई परिजन तो अपने मरीज को लेकर घंटों अस्पताल में चक्कर लगाते रहे. ट्रॉलीमैन के नहीं होने के कारण इमरजेंसी सहित कई वार्ड में घंटों शव पड़े रहे.
मजबूरन परिजन को ही शव का पोस्टमार्टम के लिए ले जाना पड़ा. हड़ताल का सबसे ज्यादा असर ओपीडी पर पड़ा. डॉक्टर चेंबर में मरीजों को भीड़ लग गयी थी, जिससे मरीज को देखने में दिक्कत हुई. मेडिसिन ओपीडी में तो हंगामा हो गया. हंगामा बढ़ने की वजह से डॉक्टर चेंबर छोड़ कर बाहर निकल गये.
निदेशक कार्यालय के सामने दिया धरना
निजी सुरक्षाकर्मी और ट्रॉलीमैन सुबह से ही निदेशक कार्यालय के सामने धरने पर बैठ गये थे. हाथ में पोस्टर और तख्तियां लिये हुए ये लोग रिम्स प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे.
दोपहर करीब 12 बजे निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह आये, लेकिन कुछ देर में ही नर्सिंग कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में चले गये. पूर्व सांसद डॉ सुबोधकांत सहाय के सामने निदेशक द्वारा सरकार से बातचीत का आश्वासन देने के बाद भी निजी सुरक्षाकर्मी नहीं माने. वे दिन भर निदेशक कार्यायल के सामने धरने पर ही बैठे रहे.
एक झटके में चली जायेगी सैकड़ों की नौकरी : सुबोधकांत
सुरक्षाकर्मियों के समर्थन में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय रिम्स पहुंचे थे. मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने सवाल उठाया कि रिम्स में वर्षों से कार्यरत सैकड़ों सुरक्षाकर्मियों व ट्रॉलीमैन की नौकरी से एक झटके में कैसे खत्म की जा सकती है? सरकार नौकरी और रोजगार के नाम पर आंकड़ों का खेल खेल रही है.
दूसरी ओर, वर्षों से सेवा दे रहे सैकड़ों सुरक्षाकर्मियों को एक झटके में नौकरी से निकालने जा रही है. श्री सहाय निदेशक से मिलने उनके कार्यालय गये, लेकिन निदेशक नहीं थे. निदेशक एक कार्यक्रम में थे, लेकिन सूचना मिलने पर वह आये. श्री सहाय ने कहा कि सुरक्षा एजेंसी बदलने का निर्णय लेने से पहले प्रबंधन और सरकार को यह सोचना चाहिए कि इनकी रोजी-रोटी कैसे चलेगी?
निदेशक ने सुबोधकांत से कहा
रिम्स को बेहतर बनाने में मदद करें नहीं तो कहिए, हम चले जायेंगे
निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबाेधकांत सहाय को बताया कि सरकार ने भूतपूर्व सैनिकों को नियुक्त करने को कहा है. शासी परिषद की बैठक में यह फैसला हुआ है, इसलिए तत्काल नहीं बदला जा सकता है. वह सरकार से बात करेंगे. जो आदेश होगा, उसे मानेंगे. पूरे देश में भूतपूर्व सैनिकाें को सुरक्षा का जिम्मा देने का निर्णय हुआ है. सुरक्षाकर्मी हमारे कर्मी नहीं है.
एजेंसी ने उनको नियुक्त किया है. निदेशक ने यह भी कहा कि रिम्स आपका है. आपको इसे बेहतर बनाना है, तो हमसे करवा लीजिए. नहीं तो कहिए, हम चले जायेंगे. सुबाेधकांत ने कहा कि आपकी विवशता को हम समझते हैं, लेकिन इन गरीब लोगों पर भी ध्यान दें.
शाम में एजेंसी के प्रतिनिधि को बुलाया
निदेशक ने एजेंसी को दी चेतावनी कहा : दोबारा ऐसा नहीं होना चाहिए
शाम 5:30 बजे रिम्स निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह और अपर निदेशक मृत्युंजय वर्णवाल ने निजी सुरक्षाकर्मियों और ट्रॉलीमैन को नियुक्त करनेवाली एजेंसी के प्रतिनिधियों को वार्ता के लिए बुलाया. निदेशक ने स्पष्ट किया कि अस्पताल में नियम संगत नहीं है. इस प्रकार की घटना दोबारा नहीं होनी चाहिए.
वार्ता के दौरान सुरक्षाकर्मियों का एक प्रतिनिधिमंडल भी वहां पहुंचा और न्यूनतम वेतनमान नहीं देने व समय पर वेतन नहीं मिलने की शिकायत की. इसपर निदेशक ने कहा कि न्यूनतम वेतनमान व समय पर वेतन भुगतान मिले शीघ्र सुनिश्चित किया जायेगा. इसके बाद सभी सुरक्षाकर्मी और ट्रॉलीमैन शाम छह बजे ड्यूटी पर लौट गये.

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