- आखिर कब तक विजय जैसे जांबाज पाक की नापाक हरकत का शिकार होते रहेंगे
- दो दिन पहले ही फोन पर की थी बात, बोले थे : जल्द आऊंगा और धुर्वा में बनाऊंगा घर, पर चले गये
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रांची : मेरे पति को विस्फोट कर जैसे उड़ाया वैसे ही दुश्मनों को उड़ाये सरकार
रांची : पुलवामा में आतंकियों की कायरतापूर्ण कार्रवाई में गुमला के रहनेवाले सीआरपीएफ जवान विजय सोरेंग गुरुवार को शहीद हो गये. इनकी पत्नी कार्मेला सोरेंग झारखंड सशस्त्र पुलिस की महिला बटालियन-10 में हवलदार हैं. फिलवक्त वह रांची के डोरंडा स्थित नेपाल हाउस की सुरक्षा में तैनात हैं. प्रभात खबर से बातचीत में उन्होंने कहा कि […]
रांची : पुलवामा में आतंकियों की कायरतापूर्ण कार्रवाई में गुमला के रहनेवाले सीआरपीएफ जवान विजय सोरेंग गुरुवार को शहीद हो गये. इनकी पत्नी कार्मेला सोरेंग झारखंड सशस्त्र पुलिस की महिला बटालियन-10 में हवलदार हैं. फिलवक्त वह रांची के डोरंडा स्थित नेपाल हाउस की सुरक्षा में तैनात हैं.
प्रभात खबर से बातचीत में उन्होंने कहा कि गुरुवार को वह टीवी देख रही थी. तभी उन्हें पता चला कि पुलवामा में आतंकियों ने फिदायनी हमला किया है. इसमें सीआरपीएफ के कई जवान शहीद हुए हैं. इसके बाद पति का हाल जानने के लिए लिए कई बार उनको फोन किया. लेकिन फोन नहीं लगा. रात 10 बजे गुमला के बसिया से इनके ससुर ने फोन पर सूचना दी कि विजय अब नहीं रहे.
यह सुनते ही कलेजा धक से रह गया. लगा सब कुछ खत्म हो गया. मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वे हमें बीच मझदार में छोड़कर कैसे जा सकते हैं. दो दिन पहले ही, तो उन्होंने फोन किया था. कहा था, सड़क पर बर्फ जमी है. रास्ता बंद है. रास्ता खुलते ही हमलोग आगे जायेंगे. तुम अपना और बच्चों का ध्यान रखना. धुर्वा में जल्द ही तुमलोगों के लिए छोटा सा घर बनाऊंगा.
इसके लिए 10 दिन की छुट्टी लेकर आऊंगा. यह कहते ही उनकी आंखें भी भर आयी. थोड़ी देर शांत रहने के बाद बोली, आखिर कब तक विजय जैसे जांबाज पाकिस्तानियों की कायरतापूर्ण कार्रवाई का शिकार होते रहेंगे. मैं चाहती हूं कि जैसे मेरे पति को विस्फोट कर उड़ाया, वैसे ही दुश्मनों को उड़ाये सरकार. साथ ही बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाने के साथ ही उन्हें नौकरी भी दे.
1993 में हुआ था प्रेम विवाह
कार्मेला और विजय सोरेंग की लव मैरेज 1993 में हुई थी. पति के फौजी होने के कारण जैप-10 महिला बटालियन में ड्यूटी करने के साथ ही उन्होंने बच्चों की परवरिश की. बड़ा बेटा खूंटी से बीए कर रहा है. बेटी बरखा छठी कक्षा में और छोटा बेटा राहुल दूसरी कक्षा में है. दोनों छत्तीसगढ़ के एक आवासीय विद्यालय में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.
वह अकेली ही रांची के सदर थाना क्षेत्र के सरना टोली में किराये के घर में रहती है. घटना के बाद से उन्होंने कुछ खाया नहीं है. उनकी तबीयत लगातार खराब हो रही है. सीने और पेट में उन्हें दर्द की शिकायत है. उनकी देखभाल के लिए भतीजी के अलावा जैप-10 महिला बटालियन की कुछ महिला पुलिसकर्मी भी उनके घर पर है.
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