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रांची : जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग, नौ भाषाओं की पढ़ाई स्वतंत्र रूप से होगी

रांची : केंद्रीय पुस्तकालय स्मृति सभागार में शुक्रवार को जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग व नागपुरी भाषा परिषद के संयुक्त तत्वावधान में प्रफुल्ल जयंती सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. इस अवसर पर नागपुरी भाषा साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए प्रफुल्ल कुमार राय सम्मान से चंद्रदेव सिंह और […]

रांची : केंद्रीय पुस्तकालय स्मृति सभागार में शुक्रवार को जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग व नागपुरी भाषा परिषद के संयुक्त तत्वावधान में प्रफुल्ल जयंती सह सम्मान समारोह का आयोजन किया गया. इस अवसर पर नागपुरी भाषा साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने के लिए प्रफुल्ल कुमार राय सम्मान से चंद्रदेव सिंह और क्षितिज कुमार राय को शॉल, प्रशस्ति पत्र और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया.

साथ ही युवा लेखक-साहित्यकार व कलाकार योगेश कुमार महतो के नागपुरी कहानी संग्रह बड़का दोइन और नागपुरी के विवाह गीत का अतिथियों के द्वारा लोकार्पण किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रांची विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडे ने प्रफुल्ल कुमार राय के साथ गुजारे पलों के बारे में बताया.

उन्होंने कहा कि अक्सर उनसे कई मुद्दों पर वार्तालाप हुआ करती थी. जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग को स्थापना काल से ही प्रफुल्ल जी का सहयोग मिलता रहा है. उन्होंने कहा कि आज वैश्विक स्तर पर रांची विश्वविद्यालय की पहचान जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के द्वारा ही है.

उन्होंने कहा कि विभाग में नौ भाषाओं की पढ़ाई स्वतंत्र रूप से हो, इस पर एचआरडी ने अपनी सहमति दे दी है. इसी सत्र से नौ भाषाओं की पढ़ाई शुरू हो, इसके लिए प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग अपने आप में काफी समृद्ध हो चुका है.

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए नागपुरी भाषा परिषद के अध्यक्ष डॉ भुवनेश्वर अनुज ने कहा कि नागपुरी भाषा के चहुंमुखी विकास में प्रफुल्ल कुमार राय का बहुत ही बहुमूल्य योगदान रहा है. उन्होंने कहा कि हमें आपसी वैमनस्य को दरकिनार कर भाषा में एकरूपता लाने की आवश्यकता है. उसके लिए जो भी कमियां हैं, उन कमियों को आपस में मिल बैठ कर दूर करने की आवश्यकता है.
कुरमाली भाषा परिषद के अध्यक्ष डॉ राजाराम महतो ने कहा कि भाषा-संस्कृति किसी भी राज्य व देश की पहचान होती है. इसके बिना विकास की कल्पना नहीं की जा सकती. इसके विकास के लिए हमें समाज में एकजुटता लाने का प्रयास करना होगा. जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ त्रिवेणी नाथ साहू सहित अन्य ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया.
कार्यक्रम का संचालन डॉ उमेश नंद तिवारी ने किया. मौके पर शकुंतला मिश्रा, सहायक प्राध्यापक डॉ अशोक कुमार बड़ाईक, डॉ गिरिधारी राम गोंझू, डॉ राम कुमार, डॉ खालिक अहमद, डॉ अनिल कुमार ठाकुर, डॉ जिंदर सिंह मुंडा, प्रो वीरेंद्र कुमार महतो, डॉ निरंजन कुमार महतो, राम कुमार तिर्की, वंदना टेटे, डॉ एमलिन केरकेट्टा सहित अन्य उपस्थित थे.

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