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रांची : रिम्स में साल-दर-साल बढ़ रही मरीजों की संख्या, साल भर में छह लाख 30 हजार मरीजों का हुआ इलाज
राजीव पांडेय रांची : रिम्स के एमआरडी विभाग के आंकड़ों की मानें, तो वर्ष 2018 में ओपीडी में कुल 6,31,648 मरीजों का इलाज किया गया. इसमें सेंट्रल इमरजेंसी में आये 54,962 मरीज भी शामिल हैं. इसके अलावा 17,570 मरीजों की मेजर (बड़ी) सर्जरी विभिन्न विभागों ने की गयी है. जानकारी के अनुसार रिम्स के विभिन्न […]
राजीव पांडेय
रांची : रिम्स के एमआरडी विभाग के आंकड़ों की मानें, तो वर्ष 2018 में ओपीडी में कुल 6,31,648 मरीजों का इलाज किया गया. इसमें सेंट्रल इमरजेंसी में आये 54,962 मरीज भी शामिल हैं. इसके अलावा 17,570 मरीजों की मेजर (बड़ी) सर्जरी विभिन्न विभागों ने की गयी है.
जानकारी के अनुसार रिम्स के विभिन्न विभागों के ओपीडी में रोजाना औसतन 2100 मरीजों इलाज किया गया है. अकेले मेडिसिन विभाग ने 1,09,393 मरीजों काे परामर्श दिया. वहीं, दूसरे स्थान पर स्किन एवं कुष्ठ विभाग का है, जहां 54,962 मरीजों को इलाज किया गया. अस्थि रोग विभाग ने एक साल में 50,476 मरीजों को, शिशु विभाग ने 40,676, नेत्र विभाग ने 35,439 और सर्जरी विभाग ने 34904 मरीजों को परामर्श दिया.
सुपरस्पेशियलिटी विभाग की बात की जाये, तो कार्डियाेलॉजी में 27,206, कैंसर में 6,935, यूरोलॉजी में 9,078 और पीडियेट्रिक्स विभाग ने 3213 बच्चों का इलाज किया गया है. एमआरडी की रिपोर्ट बताती है कि सर्जरी के मामले में भी रिम्स में मरीजों की संख्या बढ़ी है. रिम्स में बीते एक साल में 17,0570 मरीजों की मेजर सर्जरी की गयी. वहीं, विभिन्न विभागों में करीब 18 हजार मरीजों को भर्ती कर इलाज किया गया है.
साल 2018 में रिम्स में सर्जरी का आंकड़ा
स्त्री एवं प्रसूति रोग 3,961
सर्जरी विभाग 2,786
कार्डियोलॉजी 1,887
अस्थि रोग 1,664
न्यूरो सर्जरी 1,354
नेत्र रोग 1,199
इएनटी 510
साल 2018 में रिम्स में भर्ती हुए मरीज
मेडिसिन 26,674
सर्जरी विभाग 12,822
न्यूरो सर्जरी 11,010
शिशु रोग 9,081
कार्डियोलॉजी 3,068
कैंसर विंग 1,443
नहीं रुकेगी सर्जरी, एक माह में खरीद लेंगे हार्ट लंग मशीन
रिम्स में हुई सफल हार्ट सर्जरी पर स्वास्थ्य मंत्री ने की प्रेस वार्ता, कहा
रांची : स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने कहा है कि राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में ओपेन हार्ट सर्जरी होना गौरव की बात है. हमने दो दिनों में दो मरीजों की ओपेन हार्ट सर्जरी कर स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपनी पहचान बनायी है.
इसके लिए पीजीआइ और कुछ निजी अस्पतालों से सहयोग लिया गया. एक माह के अंदर हार्ट लंग मशीन की खरीदारी कर ली जायेगी, जिससे ओपेन हार्ट सर्जरी में निरंतरता आयेगी. श्री चंद्रवंशी सोमवार को आयोजित पत्रकार वार्ता में रिम्स में हुए सफल ओपेन हार्ट सर्जरी की जानकारी दे रहे थे.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि पीजीआइ चंडीगढ़ से आये कार्डियेक सर्जन डॉ आनंद मिश्रा, रिम्स के कार्डियेक सर्जन व विभागाध्यक्ष डॉ अंशुल कुमार और डॉ राकेश चौधरी का प्रयास सराहनीय रहा है.
रिम्स निदेशक डॉ दिनेश कुमार सिंह ने कहा कि रिम्स में पहली बार ओपेन हार्ट सर्जरी पूरे रिम्स परिवार के लिए सुखद अनुभूति है. हार्ट की सर्जरी जटिल होती है, इसलिए चंडीगढ़ से हमने सहयोग के लिए डॉ अानंद काे बुलाया था. निजी अस्पताल जिन्होंने हमारी मदद की है, हम उनके शुक्रगुजार हैं. आलम अस्पताल ने अपना सहयोग दिया है. हमने मशीन उधार मांग कर ऑपरेशन किया है, लेकिन यह बात सरकार के सामने रखकर हम जल्द से जल्द अपनी मशीन खरीदेंगे. यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है, इसलिए जो समस्याएं आयेंगी उन्हें दूर किया जायेगा.
अगला कदम किडनी ट्रांसप्लांट शुरू करना
पत्रकारों द्वारा सर्जरी की दर के बारे में पूछे जाने पर रिम्स निदेशक ने बताया कि एम्स में जो हार्ट सर्जरी की दर है, उसे अपना लिया जायेगा. अब हमारा प्रयास किडनी ट्रासप्लांट शुरू करने का है. शीघ्र ही आपको इस सेवा के शुरू करने की सूचना दी जायेगी. किडनी रोग विशेषज्ञ को नियुक्त करने के लिए कई लोग संपर्क में है. नियमानुसार उनकी नियुक्ति की जायेगी.
हमारा प्रयास है कि देश के विभिन्न राज्य में बिहार व झारखंड के स्पेशलिस्ट डाॅक्टर जो विभिन्न अस्पतालों में सेवा दे रहे है, उनको यहां लाया जायेगा. ओपेन हार्ट सर्जरी के दौरान ओटी की कल्चर रिपोर्ट के सवाल पर निदेशक ने कहा कि प्राइमरी कल्चर रिपोर्ट के आधार पर सर्जरी की गयी है. संक्रमण होने पर व्यक्ति को दवा शुरू कर दी जाती है. बाद में रिपोर्ट आने पर उसके आधार पर दवा की मात्रा बढ़ा दी जाती है.
रांची : रिम्स में लगेगी राज्य की पहली न्यूक्लिक एसिड टेस्ट मशीन
रांची : स्वास्थ्य विभाग, रिम्स रांची में न्यूक्लिक एसिड टेस्ट (नैट) मशीन लगायेगा. इससे रक्त दाता के खून में शुरुआती दौर वाले एचअाइवी (टाइप-1 एंड 2), एचबीवी तथा हेपेटाइटिस-सी सहित अन्य वायरस की पहचान हो सकेगी. एनएचएम सूत्रों के अनुसार यह मशीन राज्य की पहली होगी. अब तक न तो किसी सरकारी अस्पताल में और न ही किसी निजी अस्पताल में यह मशीन उपलब्ध है.
इस मशीन की सहायता से होनेवाली जांच के बगैर यदि कोई खून किसी व्यक्ति को दिया जाता है, तो उसकी जान को खतरा हो सकता है. जानकारों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति एचअाइवी या हेपेटाइटिस से संक्रमित होता है, तो शुरुआती 30-40 दिनों (इनक्यूबेशन पीरियड) में उसमें इसके लक्षण नहीं पहचाने जा सकते हैं. यानी यदि कोई एेसा व्यक्ति, 30-40 दिन से पहले अपना खून किसी और को देता है, तो अभी होने वाली रक्त की जांच से एड्स या हेपेटाइटिस का पता नहीं लगाया जा सकता तथा खून लेनेवाले की जान को खतरा हो सकता है.
किराये पर ले रही है राज्य सरकार
वर्ष 1990 के बाद अस्तित्व में आयी यह मशीन महंगी है तथा अभी दुनिया के 33 देशों में इस्तेमाल की जा रही है. विदेश से आयात की जाने वाली यह मशीन राज्य सरकार किराये पर अॉपरेटर के साथ ले रही है.
मशीन इंस्टॉल करने के लिए टेंडर निकाला जा चुका है. केंद्र सरकार प्रति यूनिट खून की जांच के लिए एक हजार रुपये की दर से दो करोड़ रुपये दे रही है. इस तरह इस रकम से 20 हजार यूनिट ब्लड की जांच हो सकेगी. केंद्र की पहल पर यह मशीन अन्य राज्यों में भी पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लग रही है.
हर साल आता है 40 हजार यूनिट ब्लड
रिम्स में सालाना करीब 40 हजार यूनिट ब्लड आता है. इनमें से आधे की नैट से जांच हो सकेगी. प्राथमिकता के तौर पर उन्हीं रक्त की जांच की जानी है, जो थैलिसिमिया, सिकल सेल या फिर हिमोफिलिया से ग्रस्त व्यक्ति को देनी होगी. वहीं, यह जांच उस रक्त के लिए भी की जा सकेगी, जो बार-बार खून चढ़ाने की जरूरत वाले किसी मरीज को देनी पड़ती है.
यहीं के डॉक्टरों ने की सर्जरी, हमने तो बस सहयोग किया : डॉ आनंद मिश्रा
पीजीआइ चंडीगढ़ के कार्डियेक सर्जन डॉ आनंद मिश्रा ने पत्रकारों से कहा कि रिम्स में हुई दोनों हार्ट सर्जरी यहीं के डॉक्टरों ने की है. हमने तो सिर्फ उनका सहयोग किया. हार्ट की सर्जरी में पूरी टीम का सहयोग रहता है. उन्होंने कहा यहां का कार्डियेक ओटी वर्ल्ड क्लास का है.
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