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आगमन का पुण्यकाल-16 : खुश रहने का समय

फादर अशोक कुजूर किसी प्रदेश में एक राजा था. उसके पास सबकुछ था, प्रजा भी सुखी थी़ लेकिन वह स्वयं बहुत दुखी था़उसके मंत्रियों ने कई तरह के उपाय किये कि राजा खुश हो जायें, पर स्थिति जस की तस थी़ राजा का अवसाद बढ़ता जा रहा था़ एक दिन एक मंत्री ने राजा को […]

फादर अशोक कुजूर
किसी प्रदेश में एक राजा था. उसके पास सबकुछ था, प्रजा भी सुखी थी़ लेकिन वह स्वयं बहुत दुखी था़उसके मंत्रियों ने कई तरह के उपाय किये कि राजा खुश हो जायें, पर स्थिति जस की तस थी़ राजा का अवसाद बढ़ता जा रहा था़ एक दिन एक मंत्री ने राजा को बताया कि सुदूर गांव में एक गरीब किसान रहता है, जो हमेशा खुश रहता है़ शायद उसके पास खुश होने का कोई मंत्र हो़ राजा ने मंत्री की बात मान कर किसान को राज दरबार में ले आने का फरमान दिया़ किसान डरता-डरता दरबार में हाजिर हुआ़
राजा ने उससे हमेशा खुश रहने का कारण पूछा़ किसान ने कहा- महाराज, मैं हर दिन ऊपर स्वर्ग की ओर निहारता हूं और खुद से कहता हूं कि मेरे जीवन का पहला मकसद उस स्वर्ग तक पहुंचना है़ फिर मैं नीचे धरती को निहारता हूं और खुद से पूछता हूं कि मेरे मरने पर जमीन का कितना छोटा टुकड़ा मेरी कब्र के काम आयेगा़
फिर मैं अपने चारों तरफ देखता हूं और खुद से कहता हूं कि कई लोग मुझसे कई गुणा बदतर हालत में हैं. मेरे पास कम है, लेकिन कई लोगों से ज्यादा है़ ये तीनों सत्य मुझे बताते हैं कि सच्ची खुशी कहां है़ इसलिए मेरे पास शिकायत करने का कोई कारण नहीं है़ राजा समझ गये उन्होंने ढेर सारा धन देकर किसान को विदा किया़ हम इस संसार में क्या लेकर आये थे और क्या लेकर जायेंगे? जो कुछ कमाया है, यहीं छोड़कर जाना है़
हमारा मकान चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, मरने पर सिर्फ छह गज जमीन की ही जरूरत होगी. हम स्वर्ग से आये हैं और हमारे जीवन का सबसे बड़ा मकसद यही होना चाहिए कि हम वहां वापस कैसे पहुंचे़ं आगमन काल हमें अपने जीवन की प्राथमिकताओं का मूल्यांकन करने का अवसर देता है़ लेखक डॉन बॉस्को यूथ एंड एजुकेशनल सर्विसेज बरियातू के निदेशक हैं.

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