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आगमन का पुण्यकाल-15 : ईश्वर पर भरोसा रखें
फादर अशोक कुजूर एक बार एक पति-पत्नी अन्य यात्रियों के साथ एक छोटी नाव में नदी पार कर रहे थे. बरसात का मौसम था़ जब नाव नदी के बीचोबीच थी, कि अचानक नदी में बाढ़ आ गयी. नाव हिचकोले खाने लगी़ ऐसा प्रतीत हुआ कि नाव डूब जायेगी़ पत्नी डर से अपने पति से चिपक […]
फादर अशोक कुजूर
एक बार एक पति-पत्नी अन्य यात्रियों के साथ एक छोटी नाव में नदी पार कर रहे थे. बरसात का मौसम था़ जब नाव नदी के बीचोबीच थी, कि अचानक नदी में बाढ़ आ गयी. नाव हिचकोले खाने लगी़ ऐसा प्रतीत हुआ कि नाव डूब जायेगी़ पत्नी डर से अपने पति से चिपक गयी. उसका पति सेना में था़ वह निडर होकर चुपचाप नदी को देख रहा था़ पत्नी से रहा नहीं गया़ उसने अपने पति से पूछा- तुम्हें डर नहीं लग रहा है? यह सुन कर पति ने अपनी थैली से एक चाकू निकाला और अपनी पत्नी के गले से लगा कर कहा- मेरे हाथ में चाकू है़ मैं तुम्हारा गला काट सकता हू़ं क्या तुम्हें डर लग रहा है?
पत्नी ने आश्चर्य से अपने पति को देखा और कहा- तुम्हारे चाकू से मुझे डर क्यों लगेगा? तुम मेरे पति हो, मुझसे प्रेम करते हो़ तुम मुझे क्यों मारोगे? पति ने अपनी पत्नी का हाथ पकड़ते हुए कहा- यह बाढ़ चाकू है़ ईश्वर हमारे पिता हैं. वे हमसे प्रेम करते हैं. वे हमारा नाश होने क्यों देंगे? धीरज रखो, सब ठीक हो जायेगा़ ईश्वर हमारे साथ हैं और मैं तुम्हारे साथ हू़ं पत्नी को ढाढ़स मिला़ थोड़ी देर में नाव नदी के किनारे सकुशल लग गयी.
जीवन में हम समस्याओं की वजह से बहुत परेशान रहते हैं. अनजानी आशंकाओं को सोच कर डर का जीवन बिताते हैं. अगर हम यह विश्वास करते हैं कि ईश्वर हमारे पिता हैं, वे हमसे प्रेम करते हैं और हमारा विनाश नहीं होने देंगे, तो हम डर वाला जीवन क्यों बितायें?
आगमन काल हमें यह आश्वासन देता है कि ईश्वर ने हमें नहीं छोड़ा है़ वे हमें बचाने के लिए मुक्तिदाता को भेज रहे हैं. समस्याएं होने के बावजूद आगमन काल उम्मीद का समय है. आशावान बनने का समय है़ ईश्वर की योजनाओं पर भरोसा रखे़ं ईश्वर जो कुछ करते हैं, हमारे भले के लिए करते हैं.लेखक डॉन बॉस्को यूथ एंड एजुकेशनल सर्विसेज बरियातू के निदेशक हैं.
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