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आगमन का पुण्यकाल-11 : समस्या का दूसरा पहलू भी देखें
फादर अशोक कुजूर एक पिता कोई किताब पढ़ने में व्यस्त थे, पर उनका बेटा बार-बार आता और उल्टे-सीधे सवाल पूछ कर उन्हें परेशान कर रहा था़ पिता के समझाने व डांटने का भी उस पर कोई असर नहीं पड़ रहा था़ उन्होंने सोचा कि यदि बच्चे को किसी और काम में उलझा दिया जाये, तो […]
फादर अशोक कुजूर
एक पिता कोई किताब पढ़ने में व्यस्त थे, पर उनका बेटा बार-बार आता और उल्टे-सीधे सवाल पूछ कर उन्हें परेशान कर रहा था़ पिता के समझाने व डांटने का भी उस पर कोई असर नहीं पड़ रहा था़
उन्होंने सोचा कि यदि बच्चे को किसी और काम में उलझा दिया जाये, तो बात बन सकती है़ उन्होंने पास पड़ी एक सीनरी (प्राकृतिक दृश्य) की तस्वीर उठा ली, उसे कई टुकड़ों में काट दिया और कहा- तुम्हें इन टुकड़ों को फिर से जोड़ कर यही दृश्य बनाना होगा़ बेटा तुरंत तस्वीर बनाने में लग गया और पिता यह सोच कर खुश होने लगे कि अब वे आराम से दो- तीन घंटे किताब पढ़ेंगे़ लेकिन यह क्या, पांच मिनट ही बीते थे कि बेटा दौड़ता हुआ आया और बोला- यह देखिए पिता जी, मैंने तस्वीर तैयार कर ली है़ पिता ने आश्चर्य से देखा, तस्वीर बिल्कुल सही थी़ पिता ने पूछा- तुमने इतनी जल्दी तस्वीर कैसे जोड़ ली?
यह तो मुश्किल था़ बच्चे ने कहा- पापा, यह बिल्कुल आसान था़ आपने जो दृश्य दिया था, उसके पिछले हिस्से में एक कार्टून बना था़ मैंने बस वो कार्टून कंप्लीट कर दिया और तस्वीर अपने आप तैयार हो गयी़
कई बार समस्या ऐसी ही होती है़ सामने से देखने पर वो बड़ी भारी-भरकम लगती है, लेकिन जब हम उसका दूसरा पहलू देखते हैं, तो वही समस्या आसान बन जाती है़ आगमन काल हमें जीवन को ईश्वरीय नजरिए से देखने का आह्वान करता है़ आगमन उम्मीद और आशा का समय है़ ईश्वर की योजना पर भरोसा करने का समय है़ ईश्वर जो करता है, अच्छा ही करता है़ लेखक डॉन बॉस्को यूथ एंड एजुकेशनल सर्विसेज बरियातू के निदेशक हैं.
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