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एग्रो-फूड समिट : 2028 तक पूर्ण ऑर्गेनिक होगा झारखंड, सिक्किम भेजेंगे किसानों को, जर्सी गाय के वितरण पर लगायी जायेगी रोक

ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड समिट के दौरान आॅर्गेनिक सेक्टर के सेमिनार में कृषि मंत्री ने कहा रांची : कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह ने कहा कि 2028 तक झारखंड पूर्ण रूप से आॅर्गेनिक होगा. इसके बाद राज्य में यूरिया, डीएपी और रासायनिक खादों का प्रयोग नहीं होगा. अभी सिक्किम में ऐसा हो रहा है. इसे […]

ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड समिट के दौरान आॅर्गेनिक सेक्टर के सेमिनार में कृषि मंत्री ने कहा
रांची : कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह ने कहा कि 2028 तक झारखंड पूर्ण रूप से आॅर्गेनिक होगा. इसके बाद राज्य में यूरिया, डीएपी और रासायनिक खादों का प्रयोग नहीं होगा. अभी सिक्किम में ऐसा हो रहा है. इसे देखने और प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए किसानों को सिक्किम भेजा जायेगा. श्री सिंह ने कहा कि भारत ऋषि-मुनियों का देश रहा है.
यहां की परंपरा समृद्ध रही है. हमें अपनी जीवन शैली अपनाने के लिए पारंपरिक व्यवस्था में लौटना होगा. श्री सिंह गुरुवार को होटवार स्थित खेलगांव में ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड समिट के दौरान आॅर्गेनिक फॉर्मिंग पर आयोजित सेक्टोरल सेमिनार में बोल रहे थे. श्री सिंह ने कहा कि जर्सी गाय का दूध लगातार 10 साल पीने पर डिप्रेशन की बीमारी हो जा रही है. विभाग ने तय किया है कि सरकारी स्कीम के तहत अब जर्सी गाय के वितरण पर रोक लगेगी. अगले वित्तीय वर्ष में जैविक खेती पर 65 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे. इसमें 50 फीसदी अन्नदाता को बांटा जायेगा.
मन शुद्ध होगा, तभी अन्न भी शुद्ध होगा
प्रजापति ब्रह्मकुमारी के बीके राजेंद्र ने कहा कि जैविक के साथ-साथ यौगिक खेती भी जरूरत है. यौगिक खेती तभी होगी, जब मन शुद्ध होगा. मन शुद्ध होगा, तभी अन्न भी शुद्ध होगा. अन्न शुद्ध रहेगा, तो शरीर बीमार नहीं होगा. मन प्रसन्न होगा, तो नशा नहीं होगा. इससे पैसे की बचत होगी. किसान कमाई कम नहीं करते हैं, लेकिन उनकी 75 फीसदी राशि बीमारी, नशा और कोर्ट कचहरी में चली जाती है.
बीएयू के सहायक प्राध्यापक डॉ चंद्रशेखर सिंह, रीजनल सेंटर फॉर आॅर्गेनिक फॉर्मिंग के कृष्ण बिहारी, जैविक खेती पर काम करने वाले नारायण उपाध्याय तथा केरल के बॉबी आइजेक ने भी विचार रखे. ओफाज झारखंड के सीइओ ने राज्य में जैविक खेती के क्षेत्र में हो रहे कार्यों की जानकारी दी. इस मौके पर विभाग के संयुक्त सचिव मंजुनाथ भजयंत्री ने भी विचार रखा.
झारखंड में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस खोलेगा इजरायल
इजरायल दूतावास की प्रभारी माया कदोश ने झारखंड में सेंटर फॉर एक्सीलेंस खोलने की घोषणा की. कंट्री पार्टनर सेमिनार के दौरान कहा कि भारत के साथ इजरायल का पुराना संबंध है. भारत में कृषि के क्षेत्र में 27 सेंटर अॉफ एक्सीलेंस इजरायल सरकार के साथ चल रहे हैं. इजरायल सरकार जल्द ही झारखंड में एक सेंटर ऑफ एक्सीलेंस खोलने का प्रयास करेगी.
यहां झारखंड के किसानों के अनुकूल उपकरण तैयार कराकर खेती करायी जायेगी. इजरायल में बहुत खेती नहीं होती है. ड्रिप इरीगेशन से खेती होती है. वहां गंदे पानी का उपयोग खेती के लिए ट्रीटमेंट कर किया जाता है. इजरायल के प्रतिनिधि योनी ने कहा कि वहां के किसान इज्जत के साथ खेती करते हैं. किसान वही उपजाते हैं, जो बाजार में बिकता है. इसके लिए कोई भी तकनीक उपयोग कर सकते हैं. आनेवाली चुनौतियों से नहीं डरते हैं.
भारत में हो रहा है इजरायल की तकनीक का उपयोग
जैन एरीगेशन के सुरेंद्र माखिजा ने कहा कि संस्था माइक्रो इरीगेशन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रदर्शन कर रही है. इजरायल में तैयार की गयी तकनीक का उपयोग भारत में हो रहा है. अब जैन इरीगेशन पौधा भी तैयार कर रही है. करीब 20 करोड़ टिश्यू कल्चर से पौधे तैयार हो रहे हैं. नेटाफिन इरीगेशन के कृष्णनाथ महामुलकर ने कहा कि झारखंड में सबसे अधिक पानी चावल में लगता है. संस्था ने अब चावल में भी ड्रिप इरीगेशन की तकनीक विकसित कर ली है. संतोष पारीख ने बताया कि अब खेती में सेटेलाइट तकनीक का प्रयोग हो रहा है.
इससे सेटेलाइट से ही खेतों की व्यवस्था समझ आ जायेगी. इससे खेतों को पानी दी जायेगी. इस मौके पर इजरायल केमिकल लिमिटेड के मुकेश गुप्ता ने भी विचार रखा. कृषि विभाग के संयुक्त सचिव मंजुनाथ भजयंत्री ने कहा कि झारखंड सरकार इजरायल सरकार के साथ मिल कर काम करना चाहती है. इसके लिए झारखंड सरकार हर संभव सहयोग देने के लिए तैयार है. इस मौके पर कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह ने भी विचार रखा. धन्यवाद ज्ञापन गव्य विभाग के उप निदेशक एमपी सिंह ने किया.
प्रमुख लोग जो थे मौजूद
केंद्रीय मंत्री सुदर्शन भगत, सरयू राय, नीलकंठ सिंह मुंडा, सीपी सिंह, लुईस मरांडी, नीरा यादव, राज पालिवार, विकास आयुक्त डीके तिवारी, डीजीपी डीके पांडेय, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सुनील बर्णवाल के अलावा विभिन्न देशों के राजदूत और किसान मौजूद थे.
भारत-चीन का कृषि संबंधी आपसी आयात-निर्यात घटा
रांची : चीन में कॉटन सहित अन्य कृषि उत्पाद का कुल उत्पादन बढ़ा है. लेकिन बीते पांच वर्षों में भारत और चीन के बीच होनेवाला आपसी आयात-निर्यात घटा है. भारत से चीन में होनेवाला निर्यात जहां 67.3 फीसदी कम हुआ है, वहीं भारत को होनेवाला आयात भी 36.6 फीसदी घटा है. इसकी वजह स्पष्ट नहीं है. दोनों देशों को इस मुद्दे पर आपसी बातचीत करनी चाहिए. ये बातें चीनी सरकार के कृषि मंत्रालय में कृषि व्यापार प्रोत्साहन केंद्र के उप महानिदेशक डॉ सांग जुगो ने कही. वह कंट्री सेशन फॉर चाइना के दौरान अपनी विचार व्यक्त कर रहे थे.
डॉ सांग ने प्रजेंटेशन के माध्यम से बताया कि चीन से होनेवाले कुल निर्यात के मामले में भारत का स्थान 17वां है. उन्होंने कहा कि चीन भारत के कृषि क्षेत्र में निवेश करना चाहता है तथा भारत से इसमें सहयोग की उम्मीद है. उधर, चीन से आये फलों के व्यापारी झाउ झायोली, पैन देहुइ व वांग मैगजियो ने कहा कि गत डेढ़ वर्षों से भारतीय लोगों को चीनी सेब का स्वाद नहीं मिल रहा. भारत में इनका आयात बंद है. इसे शुरू होना चाहिए.
यातायात संभालने में लगे हैं सिविल डिफेंस नागरिक सुरक्षा बल के जवान
रांची : फूड समिट में सिविल डिफेंस नागरिक सुरक्षा बल को ट्रैफिक, सुरक्षा व्यवस्था व भीड़ को नियंत्रण करने के लिए लगाया गया है़ सिविल डिफेंस के उप प्रधान बिरसा उरांव ने बताया कि सुरक्षा बलों को 17 चौक पर लगाया गया है़ होटल रेडिशन ब्लू से अशोक नगर हरमू होते हुए रातू रोड, एसएसपी आवास, करमटोली चौक व रिम्स होते हुए बूटी मोड़ खेलगांव तक जाने वाले चौक पर जवानों को लगाया गया है़
दो हॉल में लगी है एग्रो-फूड प्रदर्शनी
रांची : खेलगांव में चल रहे एग्रीकल्चर एंड फूड समिट के आयोजन स्थल पर एग्रो-फूड प्रदर्शनी लगी है. दो हॉल में लगी यह प्रदर्शनी दर्शनीय है. यहां खेती-बारी के विभिन्न उपकरण, डेयरी व पॉल्ट्री उद्योग से जुड़े स्टॉल हैं. विभिन्न प्रकार की हेचरी यहां प्रदर्शित की गयी है. बेरोजगार युवा ऐसी हेचरी के जरिये स्वरोजगार अपना सकते हैं. प्रदर्शनी में राज्य के अपने दूध मेधा के कई स्टॉल हैं. यहां दूध, दही, पेड़ा, घी व दही के उत्पाद उपलब्ध हैं. डेयरी तकनीक को समझने के लिए एक स्टॉल प्रदर्शनी हॉल के बाहर भी लगाया गया है.
मवेशियों के लिए चारा भी यहां प्रदर्शित किया गया है. इसके अलावा जैविक खेती के लिए विभिन्न कंपनियों के खाद यहां देखे जा सकते हैं. सरकार की विभिन्न संस्थाअों झासकोलैंप, झामकोफेड व समेति के अलावा मत्स्य विभाग के स्टॉल पर भी इनसे जुड़ी जानकारी व उत्पाद उपलब्ध हैं. प्रदर्शनी देखते-देखते अाप थक जायें, तो मेधा की लस्सी तथा अमूल के विभिन्न उत्पाद से अाप अपनी भूख व प्यास बुझा सकते हैं.

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