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रांची : नये हाइकोर्ट भवन के निर्माण में होती रही वित्तीय गड़बड़ी, राशि बढ़ाने की बात जजों से भी छिपायी
मनोज लाल रांची : झारखंड हाइकोर्ट (भवन) के निर्माण में शुरू से ही वित्तीय अनियमितताएं होती रहीं. टेंडर फाइनल करने के पहले भी बड़ी अनियमिताएं हुई. योजना के लिए 366 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति मिली थी, लेकिन इसमें से 31 करोड़ रुपये घटा कर टेंडर किया गया. फिर इसी 31 करोड़ का काम तय ठेकेदार […]
मनोज लाल
रांची : झारखंड हाइकोर्ट (भवन) के निर्माण में शुरू से ही वित्तीय अनियमितताएं होती रहीं. टेंडर फाइनल करने के पहले भी बड़ी अनियमिताएं हुई. योजना के लिए 366 करोड़ की प्रशासनिक स्वीकृति मिली थी, लेकिन इसमें से 31 करोड़ रुपये घटा कर टेंडर किया गया.
फिर इसी 31 करोड़ का काम तय ठेकेदार मेसर्स रामकृपाल कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड को बिना टेंडर के ही दे दिया गया. सरकार की जांच कमेटी ने इसे घोर अनियमितता माना है. कमेटी ने अब एग्रीमेंट बंद करने की सिफारिश की है.
भवन निर्माण विभाग की अोर से जांच कमेटी को यह दलील दी गयी कि हाइकोर्ट की बिल्डिंग कमेटी के निदेर्शों के कारण कई मदों में मात्रा की वृद्धि की गयी, जिससे अतिरिक्त खर्च बढ़ा. एक अतिरिक्त एडवोकेट ब्लॉक के निर्माण में 26 करोड़, भवन के प्लिंथ हाइट की वृद्धि में 20 करोड़ सहित अन्य कार्यों को मिला कर कुल 64.26 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत आयी है. कमेटी ने जांच में पाया कि विभाग के इंजीनियरों ने हाइकोर्ट की बिल्डिंग कमेटी की बैठक में राशि बढ़ोतरी की मात्रा से न्यायाधीशों को अवगत नहीं कराया था.
88.16 करोड़ रुपये की अतिरिक्त बढ़ोतरी : नये प्रस्तावित काम में फर्नीचर पर करीब 17.87 करोड़ व आंतरिक सज्जा के काम में करीब 70.29 करोड़ खर्च दिखाया गया है. यानी फर्निशिंग के काम पर करीब 88.16 करोड़ रुपये की अतिरिक्त बढ़ोतरी कर दी गयी है.
कमेटी ने पाया कि इतनी बड़ी राशि का काम इंजीनियरों ने खुद केवल एक पत्र लिख कर उसी ठेकेदार को दे दिया. पत्र में न तो राशि का उल्लेख किया गया और न ही किसी दर का. बिना टेंडर यह काम आवंटित कर दिया गया. कमेटी ने इस तरह से काम आवंटित कर देने को वित्तीय नियमावली के नियम व पीडब्ल्यूडी कोर्ड के प्रावधानों का खुला उल्लंघन माना है.
200 से अधिक नये काम जोड़े गये
इंजीनियरों ने 200 से अधिक ऐसी कामों को जोड़ा है, जो एग्रीमेंट में नहीं थे. इसकी दर भी शिड्यूल रेट में शामिल नहीं है. उनका भुगतान भी बाजार दर पर ही किया गया है.
एग्रीमेंट बंद करने की सिफारिश : विकास आयुक्त डॉ डीके तिवारी, अपर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, केके सोन, विनय चौबे, सुनील कुमार और विधि विभाग के प्रधान सचिव संजय प्रसाद की कमेटी ने हाइकोर्ट निर्माण की योजना का एग्रीमेंट बंद करने की सिफारिश कर दी है.
कमेटी ने लिखा है कि इस योजना की प्रशासनिक स्वीकृति की राशि (366 करोड़) की सीमा के अंदर तक की राशि का काम कराया जाये और एग्रीमेंट बंद कर दिया जाये. नये व अतिरिक्त काम के लिए हाइकोर्ट की बिल्डिंग कमेटी के समक्ष सारे तथ्यों को रखा जाये. फिर एक नया पैकेज बना कर ओपेन टेंडर के माध्यम से काम कराया जाये. जांच कमेटी ने स्पष्ट कर दिया है कि करीब 698 करोड़ की पुनरीक्षित प्रशासनिक स्वीकृति के प्रस्ताव को अमान्य कर दिया जाये.
प्रशासनिक स्वीकृति की राशि तक काम करा कर एकरारनामा खत्म करने व नये सिरे से काम कराने की सिफारिश
88.17 करोड़ की फर्निशिंग का काम बिना टेंडर के ही रामकृपाल कंस्ट्रक्शन को ही दे दिया गया
99.66 करोड़ बढ़े दर वृद्धि, लेबर सेस, आकस्मिकता, बिजली-पानी कनेक्शन के नाम पर
239 करोड़ मिल चुके हैं ठेकेदार को
एग्रीमेंट की राशि करीब 265 करोड़ के विरुद्ध ठेकेदार को 239 करोड़ का भुगतान कर दिया गया है. विभाग ने कमेटी को बताया कि किस तरह से योजना में राशि की बढ़ोतरी हुई है. इस कारण 40.16 करोड़ की लागत बढ़ी. अतिरिक्त आइटम पर 77.67 करोड़, जोड़े गये नये कार्य पर 214.78 करोड़, दर वृद्धि, लेबर सेस, बिजली और पानी कनेक्शन पर 99.66 करोड़ जोड़े गये हैं. मूल एकरारनामा के बाद पुनरीक्षित प्राक्कलन के लिए यह तैयार किया गया है.
हाइकोर्ट भवन निर्माण योजना (राशि करोड़ रुपये में)
प्रशासनिक स्वीकृति 366
निविदा आमंत्रित की गयी 267.66
(31 करोड़ निकाल कर)
कार्य आबंटन की राशि 264.58
मात्रा में वृद्धि के कारण बढ़ा 40.16
अतिरिक्त आइटम पर बढ़ा 77.67
नये कार्य पर बढ़ा 214
दर बढ़ने, लेबर सेस,आकस्मिकता, बिजली-पानी प्रबंध पर बढ़ा 99.66
एग्रीमेंट के बाद राशि में बढ़ोतरी 431.49
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