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रांची : रिम्स के सामने 15 दिन तड़पता रहा युवक, नहीं मिला इलाज, मरने पर मॉर्चरी में रखवाया शव

दुकानदारों ने नौ अक्तूबर को ही जिला विधिक सेवा प्राधिकार को दे दी थी सूचना रांची : रिम्स परिसर स्थित कॉफी सेंटर के सामने इलाज के अभाव में एक युवक ने सोमवार रात दम तोड़ दिया. जीते जी तो इस युवक को इलाज नहीं मिला, लेकिन मौत की सूचना मिलने पर रिम्स प्रबंधन ने उसका […]

दुकानदारों ने नौ अक्तूबर को ही जिला विधिक सेवा प्राधिकार को दे दी थी सूचना
रांची : रिम्स परिसर स्थित कॉफी सेंटर के सामने इलाज के अभाव में एक युवक ने सोमवार रात दम तोड़ दिया. जीते जी तो इस युवक को इलाज नहीं मिला, लेकिन मौत की सूचना मिलने पर रिम्स प्रबंधन ने उसका शव उठावा कर मॉर्चरी में रखवा दिया.
इधर, रिम्स परिसर स्थित दुकानदानों की मानें, तो यह युवक करीब 15 दिनों से यहां लावारिस हालत में पड़ा हुआ था. उसके पैर में पट्टी बंधी हुई थी, जिससे लग रहा था कि किसी अस्पताल में उसका इलाज किया गया था.
दुकान के सामने पड़े इस युवक के मल-मूत्र की बदबू उठने पर दुकानदाराें ने जिला विधिक सेवा प्राधिकार को नौ अक्तूबर को इसकी सूचना दे दी थी, लेकिन किसी ने इस युवक को अस्पताल में भर्ती कराने की जहमत नहीं उठायी. दुकानदारों ने जिला विधिक सेवा प्राधिकार को दिये पत्र में यह बताया गया कि रिम्स परिसर में चार लावारिस इधर-उधर पड़े हुए हैं. इसमें से दो की जान खतरे में है. समय पर इलाज करा कर उनकी जान बचायी जा सकती है. लावारिस लोगों का मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं है. ऐसे में उन्हें रिनपास भी भेजा जा सकता है. दुकानदारों ने मौखिक रूप से रिम्स प्रबंधन को भी इसकी जानकारी दी थी.
ये हाल है!
रिम्स प्रबंधन को भी दी जानकारी लेकिन लावारिस युवक को नहीं मिला इलाज
करीब 15 दिनों तक रिम्स परिसर स्थित कॉफी सेंटर के सामने पड़ा रहा युवक
मरीजों को रिम्स परिसर में लावारिस छोड़ जाते हैं लोग
दुकानदारों का कहना है कि रिम्स प्रबंधन तो मरीजाें को भर्ती कर मानव धर्म का सही ढंग से निर्वहन नहीं करता है, लेकिन इसके लिए कई लोग जिम्मेदार हैं. 108 एंबुलेंस, पुलिस की गाड़ी व कई लोग ऐसे लावारिस लोगाें को अस्पताल परिसर में लाकर छोड़ जाते हैं. ऐसे लोगाें का कोई नहीं होता है, इसलिए रिम्स भी भर्ती नहीं लेता है. अंत में ऐसे लावारिस की मौत हो जाती है.
लावारिस लोगों को खोजना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि लोग अस्पताल परिसर में कही छोड़ कर चले जाते है. जानकारी तब मिलती है, जब मरीज की मौत हो जाती है. इलाज मिलना सबका अधिकार है. जिला प्रशासन से भी इसमें सहयोग लिया जायेगा, ताकि ऐसे लोगों के इलाज की समुचित व्यवस्था की जाये.
डॉ आरके श्रीवास्तव, निदेशक रिम्स

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