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रांची : विकास की जितनी बातें हो रही हैं, उतनी ही बढ़ रही महिलाओं के खिलाफ हिंसा : दयामनी

जेंडर वायलेंस पर कार्यरत एनजीओ के बीच सहयोग विकसित करने पर ऑक्सफैम का राष्ट्रीय परामर्श राज्य गठन के बाद महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, अब तक महिला नीति नहीं बनी है रांची : सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बरला ने कहा कि राज्य गठन के बाद महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों […]

जेंडर वायलेंस पर कार्यरत एनजीओ के बीच सहयोग विकसित करने पर ऑक्सफैम का राष्ट्रीय परामर्श
राज्य गठन के बाद महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, अब तक महिला नीति नहीं बनी है
रांची : सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बरला ने कहा कि राज्य गठन के बाद महिलाओं के खिलाफ हिंसा के मामलों में बढ़ोतरी हुई है़ विकास की बातें जितनी हो रही हैं, उतनी ही महिलाअों के खिलाफ हिंसा भी बढ़ रही है़ उनके शोषण के नये तरीके इजाद हो रहे है़ं छोटी बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले भी लगातार आ रहे हैं. राज्य में अब तक महिला नीति नहीं बनी है़
डायन हत्या, मानव तस्करी के खिलाफ कानून ज्यादा असरदार साबित नहीं हो रहे़ कानून के छिद्रों को खोज कर उन्हें बंद कराने की जरूरत है़ विस्थापित महिलाओं के पुनर्स्थापन की समुचित नीति होनी चाहिए़ दयामनी बारला बुधवार को पुरुलिया रोड स्थित एसडीसी सभागार में जेंडर वायलेंस पर कार्यरत एनजीओ के बीच सहयोग विकसित करने पर ऑक्सफैम की ओर से आयोजित राष्ट्रीय परामर्श कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं.
उन्होंने कहा कि संतोषी की भूख से मौत, कुपोषण से मौत, शिक्षा की सुविधा न होना, 67 प्रतिशत महिलाओं में रक्ताल्पता जैसी बातों के बीच हम यह कैसे मानें की राज्य का विकास हो रहा है? किसान महिलाओं की बात भी होनी चाहिए़ उनके हाथ से जंगल, जमीन, पानी निकल रहे है़ं
हम विकास विरोधी नहीं, पर यह पलायन, विस्थापन, मानव तस्करी के मामलों को बढ़ाने वाला न हो़ महिलाओं के विषय पर काम करने वाले लोगों को एकजुट होने की जरूरत है़ कार्यक्रम को पत्रकार मधुकर, भोजन का अधिकार अभियान से जुड़े बलराम, डॉ नसरीन जमाल, अजय कुमार, प्रवीण आनंद, प्रत्युष प्रकाश, रजनी किरण, श्रावणी बोस आदि ने भी संबोधित किया़
महिलाओं के खिलाफ हिंसा मामले में आगे चल रहा झारखंड : ओक्सफैम की क्षेत्रीय प्रबंधक रंजना दास ने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो रिपोर्ट 2017 व भारत में अपराध सांख्यिकी 2016 के अनुसार, देश में महिलाओं के खिलाफ हिंसा के 1़ 6 प्रतिशत (5,453) मामले झारखंड में दर्ज किये गये़ दहेज के कारण होने वाली मौतों में झारखंड की हिस्सेदारी 3़ 6 प्रतिशत है़ 2012 से 2014 के बीच डायन के नाम पर 127 महिलाओं की हत्या हुई़ झारखंड में 2011 में घरेलू हिंसा के 9452 मामले दर्ज हुए़
विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, बाल विवाह के मामलों में झारखंड देश में प्रथम तीन स्थानों में है़ पिछले साल दिसंबर में चार महिलाओं को जला कर मार डाला गया़ 19 जून को कोचांग में जागरूकता कार्यक्रम के लिए गयी एनजीओ की पांच लड़कियों के साथ दुष्कर्म किया गया़ इस मामले के साथ झारखंड में गैंग रेप के 77 मामले लंबित है़ं

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