रांची: सीबीआइ मुख्यालय ने जेपीएससी घोटाले में कॉपियों के पुनमरूल्यांकन के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट में अपील की अनुमति नहीं दी है. अब सीबीआइ को कॉपियों के पुनमरूल्यांकन अपने स्तर से कराने की व्यवस्था करनी होगी. हाइकोर्ट ने विशेष न्यायाधीश की अदालत के पुनमरूल्यांकन से संबंधित आदेश को रद्द कर दिया था.
रांची सीबीआइ ने मुख्यालय से इस फैसले के खिलाफ अपील करने की अनुमति मांगी थी.जेपीएससी के सदस्यों व राजनीतिज्ञों के रिश्तेदारों की नियुक्ति में हुई गड़बड़ी को पकड़ने के लिए सीबीआइ ने कॉपियों के पुनमरूल्यांकन की रणनीति अपनायी थी. पुनमरूल्यांकन में किसी तरह की अड़चन नहीं हो, इसलिए सीबीआइ ने विशेष न्यायाधीश की अदालत में आवेदन दर कर इस सिलसिले में उचित दिशा-निर्देश देने का अनुरोध किया था. विशेष न्यायाधीश की अदालत ने आवेदन पर विचार के बाद कॉपियों के पुनमरूल्यांकन का आदेश दिया था.
इसके बाद जेपीएससी द्वारा बनायी गयी विशेषज्ञों की टीम से कॉपियों का पुनमरूल्यांकन कराना शुरू किया. इसमें बड़े लोगों के रिश्तेदारों को अधिक नंबर देने का मामला प्रकाश में आया. इसके बाद आयोग ने पुनमरूल्यांकन कराने से इनकार कर दिया. साथ विशेष न्यायाधीश की अदालत के आदेश को हाइकोर्ट में चुनौती दी. हाइकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद विशेष न्यायाधीश के आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया कि अदालत जांच की दिशा नहीं निर्धारित कर सकती है. वह जांच एजेंसी को यह निर्देश दे सकती है कि वह कैसे जांच करे. हाइकोर्ट ने विशेष न्यायाधीश के फैसले को रद्द करते हुए अपने फैसले में यह भी कहा कि अगर सीबीआइ चाहे तो अपने स्तर से कापियों का पुनमरूल्यांकन करा सकती है. हाइकोर्ट के इस फैसले के बाद जेपीएससी-वन और जेपीएससी-टू की कॉपियों के पुनमरूल्यांकन का काम पूरी तरह बंद हो गया. रांची सीबीआइ ने इस स्थिति से निबटने के लिए हाइकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की अनुमति मांगी. मुख्यालय ने अपील की अनुमति नहीं दी. साथ ही यह निर्देश दिया कि वह अपने स्तर के कॉपियों के पुनमरूल्यांकन कराये.