जनजातीय होते हुए भी एसटी आरक्षण का नहीं मिल रहा है लाभ
अगली बैठक में अपनी बातों को पुख्ता करने को कहा गया है
रांची : जनजातीय परामर्शी परिषद (ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल या टीएसी) की उप समिति की बैठक बुधवार को प्रोजेक्ट भवन सभागार में हुई. तय एजेंडा के अनुसार इसमें वैसी कुछ जातियों के बारे में चर्चा हुई, जिन जातियों को माना जाता है कि जनजातीय होते हुए भी एसटी आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है. इनमें लोहार, घटवाल, भुईंहर मुंडा, खुंटकटी मुंडा, कपाट मुंडा व चीक बड़ाइक जातियां शामिल हैं.
ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में संबंधित जातियों का प्रतिनिधिमंडल भी उपस्थित था. सबसे ज्यादा चर्चा लोहार व लोहरा पर हुई. इन प्रतिनिधियों ने उपसमिति को अपनी जाति की परंपरा, रीति-रिवाज, संस्कृति व मान्यता संबंधी बातें बतायी व कहा कि ये सारी चीजें जनजातीय समुदाय से मेल खाती हैं. हालांकि, कुछ मामले में उप समिति की अोर से इन प्रतिनिधियों से प्रमाण के तौर पर तकनीकी कागजात भी मांगे गये.
भुईंहर मुंडा लोगों ने कोई कागजात प्रस्तुत नहीं किया. वहीं बैठक में मौजूद तांती समुदाय के एक प्रतिनिधि अपनी बातें कहते हुए रोने लगे. उन्होंने कहा कि उनकी जाति को अछूतों में भी अछूत बना दिया गया है. बैठक के बाद उप समिति के एक सदस्य सुखदेव भगत ने बताया कि विभिन्न जातीय प्रतिनिधियों से अगली बैठक में अपनी बातों को पुख्ता करने को कहा गया है. गौरतलब है कि मुख्यमंत्री यह चाहते हैं कि यदि किसी लिपिकीय भूल या 1908 के बाद 1932 के खतियान में विभिन्न जातियों के नाम दर्ज करते वक्त यदि कोई फेरबदल हो गयी है, तो इस आधार पर संबंधित जातियों को एसटी आरक्षण का लाभ लेने से रोक नहीं जाना चाहिए.
इसी संबंध में रिपोर्ट व अनुशंसा के लिए टीएसी की एक उप समिति बना कर इस मुद्दे कौ सौंप दिया है. बुधवार की बैठक में सुखदेव भगत, आदिवासी कल्याण आयुक्त गौरी शंकर मिंज व डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान (टीआरआइ) के निदेशक डॉ रणेंद्र उपस्थित थे.