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रांची : मुझे रास्ते से हटाने की साजिश कर रही सरकार : स्टेन स्वामी

रांची/नामकुम : महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा से जुड़े मामले में घिरे फादर स्टेन स्वामी बुधवार को मीडिया से रूबरू हुए. स्वामी ने मंगलवार को उनके घर व दफ्तर में की गयी छापेमारी को अपने खिलाफ षड्यंत्र बताया. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार उन्हें चुप कराकर रास्ते से हटाने के लिए यह सब […]

रांची/नामकुम : महाराष्ट्र के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा से जुड़े मामले में घिरे फादर स्टेन स्वामी बुधवार को मीडिया से रूबरू हुए. स्वामी ने मंगलवार को उनके घर व दफ्तर में की गयी छापेमारी को अपने खिलाफ षड्यंत्र बताया.
उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार उन्हें चुप कराकर रास्ते से हटाने के लिए यह सब कुछ कर रही है. पुणे के भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के पीछे कौन सा संगठन है, न तो मुझे इसकी जानकारी है और न ही उससे कोई संबंध है. इस घटना में मेरा नाम क्यों घसीटा जा रहा है, यह जांच का विषय है.
उन्होंने कहा कि मंगलवार सुबह अचानक पुणे पुलिस की एक टीम मेरे घर व कार्यालय पहुंची.पूछने पर उन्होंने बताया कि भीमा कोरेगांव की घटना के बाद दर्ज एफआइआर में आपका भी नाम है. पुलिस ने सर्च के लिए नोटिस भी दिखायी. नोटिस मराठी भाषा में लिखी थी. पुणे पुलिस की टीम ने मेरा लैपटॉप,फोन व अन्य सामान जब्त करं ली.
जब्ती सूची मराठी में तैयार कर मुझे उस पर हस्ताक्षर करने का दबाव बनाया. मैं सिर्फ हिंदी व अंग्रेजी पढ़ और लिख सकता हूं, ऐसे में मेरे वकीलों के कहने पर पुलिस ने हिंदी में जब्ती सूची भेजने का आश्वासन दिया. तब मैंने उस पर हस्ताक्षर किया.
फादर स्टेन ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि अगर मेरे खिलाफ कोई भी प्राथमिकी दर्ज की गयी है, तो मेरा अधिकार है कि मुझे उस प्राथमिकी की एक प्रति सौंपी जाये. लेकिन मुझे कोई कॉपी नहीं दी गयी. मुझे मंगलवार दोपहर में यह जानकारी मिली कि देश के अन्य हिस्सों में भी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं व वकीलों के यहां छापे पड़ रहे हैं. कुछ को गिरफ्तार भी किया गया है.
उग्रवादी के नाम पर जेल में बंद 3000 विचाराधीन लोगों का लड़ रहा केस : मैं पिछले कई दशकों से झारखंड के आदिवासी क्षेत्र में काम कर रहा हूं. मैंने विस्थापन, भूमि अधिग्रहण जैसे मुद्दों को लेकर संघर्ष किया है. मैंने उग्रवादी के नाम पर जेल में बंद 3000 विचाराधीन लोगों के मानवाधिकार के लिए केस भी दर्ज किया है, जिस कारण मुझ पर ऐसी कार्रवाई की जा रही है. सरकार का कदम एक अघोषित आपातकाल की तरह है तथा लोकतंत्र पर यह बड़ा हमला है.
इनसेट : आदिवासी मूलवासियों के अधिकारों के साथ हो रहा है खिलवाड़
स्टेन स्वामी ने कहा कि झारखंड में आदिवासी मूलवासियों के अधिकारों के साथ खिलवाड़ हो रहा है. यहां न तो कानून का पालन किया जा रहा है और न सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का. राज्य में पांचवी अनुसूची, पेसा कानून, वन अधिकार कानून, खनिजों पर अधिकार सब कुछ आज हाशिए पर है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में स्पष्ट कहा है कि जिसकी जमीन है, खनिज उसी का होगा, लेकिन सरकार इसको नजरअंदाज कर रही है.
इनसेट : झूठे मामले वापस लेने व पूरे प्रकरण की मानवाधिकार आयोग से जांच की मांग
फादर स्टेन स्वामी ने सरकार द्वारा किये गये झूठे मामलों को वापस लेने तथा हिरासत में लिए गए सभी लोगों का अविलंब रिहा करने की मांग की है. उन्होंने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं व वकीलों पर पुलिस की कार्रवाई की राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से निष्पक्ष जांच करने की भी मांग की है.
बॉक्स :
मिशनरी संस्थाओं को किया जा रहा है बदनाम :
प्रेस वार्ता के दौरान स्टेन स्वामी के साथ उपस्थित अधिवक्ता सावरी राम व सोलोमन ने कहा कि झारखंड में 170 वर्षों से ईसाई समुदाय काम कर रहा है, पर आज तक एक भी धर्म परिवर्तन का केस नहीं हुआ. न ही किसी को सजा हुई है. अभी हाल के दिनों में जो कुछ भी देखा जा रहा है वह सब कुछ राजनीतिक खेल है. राजनीति हमेशा जात, धर्म, भाषा व क्षेत्र को लेकर होती है. लेकिन हम सबका साथ चाहते हैं. मोदी सरकार भी सबका साथ, सबका विकास की बात कहती है, जो अच्छी बात है,पर इसे अमल में भी लाना होगा. आज जो भी मानवाधिकार की बात कह आवाज उठा रहे हैं, उन्हें चिह्नित कर उन पर कार्रवाई की जा रही है.
एक सवाल के जवाब में स्टेन स्वामी ने कहा कि वह भला क्यों चाहेंगे कि प्रधानमंत्री की हत्या करायी जाये. प्रधानमंत्री स्वस्थ रहें, सुखी रहें, यही कामना करेंगे.

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