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रांची : महिलाएं कचरे से तैयार करती हैं उत्तम खाद
45 दिन से तीन माह का लगता है समय रांची : कहावत है कि जहां चाह वहां राह. इसको चरितार्थ कर रही है टाटीसिलवे के ईद-गिर्द के गांवों की महिलाएं. गांवों की प्रगतिशील किसान एवं महिलाएं अब रासायनिक खाद के बदले उत्तम प्राकृतिक खादों को कृषि कार्य के लिए उपयोग कर रही हैं. इन ऑर्गेनिक […]
45 दिन से तीन माह का लगता है समय
रांची : कहावत है कि जहां चाह वहां राह. इसको चरितार्थ कर रही है टाटीसिलवे के ईद-गिर्द के गांवों की महिलाएं. गांवों की प्रगतिशील किसान एवं महिलाएं अब रासायनिक खाद के बदले उत्तम प्राकृतिक खादों को कृषि कार्य के लिए उपयोग कर रही हैं. इन ऑर्गेनिक खादों का निर्माण घर एवं खेतों के सूखा और गीला कचरे से किया जा रहा है.
पौधों के लिए कंपोस्ट पोषक तत्वों से भरपूर होता है और यह बाजार में नहीं मिलता है. इसे महिलाएं खुद तैयार करती हैं. खेत से आनेवाले सभी प्रकार के पुआल, घास, खरपतवार, पत्तियां, घर के झाड़न एवं पशुओं के गोबर को जलाया नहीं जाता है.
इनको इकट्ठा कर पेड़ की छाया में नाडेप और कंपोस्ट खाद बनाये जा रहे हैं. इसे बनाने में 45 दिन से लेकर तीन माह का समय लगता है. इसके लिए उषा मार्टिन सीएसआर टीम के ग्रामीण सुपरवाइजर गांव-गांव में प्रगतिशील किसानों एवं महिलाओं को प्रशिक्षण देते हैं. सीएसआर हेड डॉ मयंक मुरारी ने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष 2017-18 में कार्पोरेट सोशल रिस्पांसिबलिटी के तहत 131 लोगों ने कंपोस्ट, 61 लोगों ने नाडेप एवं 36 ने वर्मीकंपोस्ट का निर्माण कराया. आरा पंचायत के भक्तू टोपो और वरदान कुजूर ने पहली बार जैविक खाद का निर्माण इस साल किया. उनका कहना है कि कंपोस्ट तैयार कर पौधों को अत्यंत संतुलित पोषक तत्व हमलोग अब खुद ही उपलब्ध कराते हैं.
चतरा गांव के विनीता देवी 40 डिसमिल में सब्जी की खेती करती है. खुद के निर्मित जैविक खाद का उपयोग करती है. वह बताती है कि इससे पैसे की बचत के अलावा रासायनिक खाद रहित सब्जी का उत्पादन होता है.
कैसे करें जैविक खाद का निर्माण
कंपोस्ट के लिए तीन फुट लंबा और इतना ही चौड़ा गड्ढ़ा खोदा जाता है. गड्ढा में पहले चारों तरफ पानी का छिड़काव कर उसे नम बनाया जाता है.
इसके बाद पत्ते, पौधे, रसोई एवं घर के अन्य गलने योग्य कचरा को उसमें रखते हैं. इस पर एक तह गोबर को बिछाते हैं. इसके बाद पुन: पानी का छिड़काव कर कूड़ा कचरा पत्ते से भर देते हैं. इसके बाद पूरे गड्ढे को पांव से दबाते हैं. इस प्रकार गड्ढे को भर दिया जाता है और समय समय पर पानी डालते है. दो से तीन माह में यह पोषक तत्वों से भरपूर नाडेप कंपोस्ट तैयार हो जाता है.
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