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न सूचना मिली, न क्षतिपूर्ति की राशि, याचिका निष्पादित

रांची : सूचना अधिकार अधिनियम के तहत आवेदक चुटिया निवासी हरि अग्रवाल को न तो मांगी गयी सूचना मिली और न ही जनसूचना पदाधिकारी के आदेश के आलोक में क्षतिपूर्ति के तौर पर 25,000 रुपये का भुगतान हुआ. इधर, मुख्य सूचना आयुक्त आदित्य स्वरूप ने हरि अग्रवाल की याचिका को निष्पादित कर दिया है. सूचना […]

रांची : सूचना अधिकार अधिनियम के तहत आवेदक चुटिया निवासी हरि अग्रवाल को न तो मांगी गयी सूचना मिली और न ही जनसूचना पदाधिकारी के आदेश के आलोक में क्षतिपूर्ति के तौर पर 25,000 रुपये का भुगतान हुआ. इधर, मुख्य सूचना आयुक्त आदित्य स्वरूप ने हरि अग्रवाल की याचिका को निष्पादित कर दिया है.
सूचना पाने के लिए आवेदक 30 माह तक सूचना आयोग द्वारा निर्धारित की गयी सुनवाई की विभिन्न तिथियों पर उपस्थित हुआ, लेकिन उसे कुछ भी हासिल नहीं हुआ. मुख्य सूचना आयुक्त ने पटना हाइकोर्ट के द्वारा पारित आदेश का हवाला देते हुए याचिका निष्पादित की है. कहा गया है कि ऐसे वाद जिसमें आयोग ने जनसूचना पदाधिकारी के खिलाफ आरटीआइ एक्ट 2005 की धारा 20 (1) एवं धारा 20 (2) और लोक प्राधिकार के खिलाफ 19(8)(बी) में कार्रवाई की है, उसे निष्पादित माना जायेगा.
इसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया जायेगा. क्योंकि पटना हाइकोर्ट का स्पष्ट आदेश है कि अगर किसी मामले में हर्जाना या विभागीय कार्रवाई का आदेश दिया गया है, तो यह आदेश पारित करने वाले अधिकारी का दायित्व नहीं है कि उसे हर्जाना की राशि दिलाये या फिर विभागीय कार्रवाई का अनुपालन कराये. आदेश में यह भी कहा गया है कि आयोग द्वारा पारित सुसंगत आदेश एवं वाद विशेष में यदि उसके विरुद्ध हाइकोर्ट में कोई याचिका दायर की गयी हो और उसमें अगर कोई आदेश पारित किया गया हो, तो एेसे सभी कागजात की प्रतियां जन सूचना पदाधिकारी/ डीम्ड जनसूचना पदाधिकारी के नियंत्री विभाग को अनुपालनार्थ भेज दी जाये.
संबंधित विभाग इस संबंध में कृत कार्रवाई प्रतिवेदन आयोग को भेजेंगे. मुख्य सूचना आयुक्त ने आयोग के सचिव को निर्देश दिया है कि इस अपीलवाद में दंडात्मक आदेश संबंधित सभी कागजात जन सूचना पदाधिकारी के प्रशासी विभाग को अनुपालनार्थ भेज दें. यदि प्रशासी विभाग को इस अपीलवाद से संबंधित अन्य कोई भी कागजात की आवश्यकता हो, तो उसकी छायाप्रति उपलब्ध करायें.
मुख्य सूचना आयुक्त ने पटना हाइकोर्ट के आदेश का दिया हवाला
2015 में सदर अनुमंडल पदाधिकारी से मांगी थी सूचना
हरि अग्रवाल ने एक अगस्त 2015 को सदर अनुमंडल पदाधिकारी, रांची से आरटीआइ के तहत सूचना मांगी थी. इसमें चुटिया रांची के प्लॉट नंबर 414 के विवादित रास्ते के संबंध में सदर अनुमंडल पदाधिकारी रांची द्वारा की गयी कार्रवाई की संचिका की छाया प्रति उपलब्ध कराने का आग्रह किया था. साथ ही झारखंड हाइकोर्ट द्वारा एलपीए 36/05 में पारित आदेश के संबंध में की गयी कार्रवाई की जानकारी देने को कहा गया था. इसकी सूचना नहीं मिलने पर श्री अग्रवाल ने सूचना आयोग में अपील की थी.
क्षतिपूर्ति के तौर पर 25 हजार रुपये देने का हुआ था आदेश
बार-बार आदेश देने के बावजूद सूचना नहीं देने पर सूचना आयुक्त हिमांशु चौधरी ने 12 सितंबर 2017 को आदेश पारित करते हुए अपीलकर्ता को क्षतिपूर्ति के रूप में 25 हजार रुपये की राशि बैंक ड्राफ्ट के माध्यम से देने का आदेश दिया था. साथ ही 13 अप्रैल 2018 को सुनवाई की तिथि निर्धारित करते हुए अपीलकर्ता को सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था.
कहा गया था कि अगर सूचना नहीं दिया गया तो 25 हजार रुपये का व्यक्तिगत आर्थिक दंड लगाया जायेगा. इसके बाद मामले की सुनवाई निर्धारित तिथि पर नहीं हुई. शिकायतकर्ता की ओर से आवेदन दिये जाने के बाद मुख्य सूचना आयुक्त ने 17 मई 2018 को पटना हाइकोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए याचिका निष्पादित कर दिया.
राज्यपाल के पास की गयी है शिकायत
इस मामले को लेकर शिकायतकर्ता हरि अग्रवाल ने राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को पत्र भेज कर इसकी शिकायत की है. इसमें पूरे घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए पूरे मामले की जांच करा कर उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया है. इसकी प्रति राष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष को भी भेजी गयी है.

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