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रांची : महाप्रबंधक सुशील कुमार ने सरकार को लिखा पत्र, कोऑपरेटिव बैंक घोटाले में जांच की अनुशंसा

शकील अख्तर रांची : झारखंड राज्य कोऑपरेटिव बैंक के महाप्रबंधक सुशील कुमार ने पदभार ग्रहण करने के दो सप्ताह के अंदर ही सरकार को पत्र लिख कर बैंक में हुए करोड़ों के घोटाले की उच्चस्तरीय जांच की अनुशंसा की है. उन्होंने कोऑपरेटिव बैंक में हुए करोड़ों के गबन, मरम्मत के नाम पर टेंडर में गड़बड़ी, […]

शकील अख्तर
रांची : झारखंड राज्य कोऑपरेटिव बैंक के महाप्रबंधक सुशील कुमार ने पदभार ग्रहण करने के दो सप्ताह के अंदर ही सरकार को पत्र लिख कर बैंक में हुए करोड़ों के घोटाले की उच्चस्तरीय जांच की अनुशंसा की है.
उन्होंने कोऑपरेटिव बैंक में हुए करोड़ों के गबन, मरम्मत के नाम पर टेंडर में गड़बड़ी, घटिया किस्म के चेक बुक की आपूर्ति, ऋण वितरण सहित कुल नौ बिंदुओं पर जांच की अनुशंसा की है.
सहायक महाप्रबंधक ने फाइल देने में नहीं दिखायी दिलचस्पी : सरकार को लिखे पत्र में उन्होंने कहा है कि 21 जून 2018 को जारी आदेश के आलोक में उन्होंने महाप्रबंधक का पदभार संभाला. इसके बाद उन्होंने सहायक महाप्रबंधक संदीप सेन से बैंक से संबंधित आवश्यक दस्तावेज और फाइलों की मांग की. पर सहायक महाप्रबंधक ने कोई दिलचस्पी नहीं ली. इसके बाद उन्होंने अपने स्तर से कुछ दस्तावेज की जांच की. इस दौरान विभिन्न प्रकार की अनियमितताएं सामने आयी.
देवघर में बिना जरूरत आपूर्ति कर दी एक लाख चेक बुक : महाप्रबंधक ने चेक बुक से संबंधित मामलों की गड़बड़ी का उल्लेख करते हुए अपने पत्र में कहा है कि देवघर स्थित सभी शाखाओं में बिना जरूरत के ही एक लाख से अधिक चेक बुक की आपूर्ति कर दी गयी. चेक में सुरक्षा मानकों को नहीं अपनाया गया है. चेक बुक के मामले में रिजर्व बैंक की ओर से निर्धारित मानकों का उल्लंघन किया गया है. चेक बुक घटिया किस्म का है.
बाजार दर से अधिक पर ग्लो साइन बोर्ड लगाने का काम : उन्होंने लिखा है कि कोऑपरेटिव बैंक की सभी 105 शाखाओं में 80 हजार रुपये की दर से ग्लो साइन बोर्ड लगाने का काम किया जा रहा है, जो बाजार दर से काफी अधिक है.
बैंकों में पहले ही काफी संख्या में पॉश मशीन है. इसके बावजूद पॉश मशीन की खरीद की जा रही है. पत्र में ऑडिट रिपोर्ट का हवाला देते बिशुनपुर शाखा में हुए सात करोड़ रुपये से अधिक के गबन की विस्तृत जांच कराने की अनुशंसा की गयी है. चाईबासा शाखा में नियमों का उल्लंघन कर निर्धारित सीमा से अधिक कर्ज देने, रिटायर्ड कर्मचारियों को अधिक वेतन पर नौकरी पर रखने के मामले को भी जांच की अनुशंसा की गयी है.
सेवा नियमित करने की भी जांच हो
महाप्रबंधक ने उन कर्मचारियों की भी जांच की अनुशंसा की है, जिनकी सात साल पीछे की तिथि से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या कर सेवा नियमित का गयी थी. पर दो महीने बाद ही इस गलती के पकड़ में आने के बाद सेवा नियमित करने के आदेश को रद्द कर दिया गया था.
Prabhat Khabar Digital Desk
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