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रांची : डेढ़ साल तक सितम सहती रही कर्रा की सोनी, हुई मुक्त, जानें पूरी घटना के बारे में

लता रानी रांची : कर्रा की सोनी (बदला हुआ नाम) को बाजार घुमाने के बहाने दलालों ने मोटी रकम लेकर दिल्ली ले जाकर बेच दिया था. वह जब बेची गयी थी, तो उसकी उम्र करीब 14 साल थी. अाज 16 साल की हो गयी है और आजाद है. डेढ़ साल तक जुल्म की शिकार होती […]

लता रानी
रांची : कर्रा की सोनी (बदला हुआ नाम) को बाजार घुमाने के बहाने दलालों ने मोटी रकम लेकर दिल्ली ले जाकर बेच दिया था. वह जब बेची गयी थी, तो उसकी उम्र करीब 14 साल थी. अाज 16 साल की हो गयी है और आजाद है. डेढ़ साल तक जुल्म की शिकार होती रही सोनी कहती है कि वह अब घर से बाहर कदम नहीं रखेगी. सोनी को सखी सहेली संस्था की मदद से रेस्क्यू कर रांची लाया गया है.
डरी-सहमी सोनी कर्रा से दिल्ली व दिल्ली से रांची तक के सफर को याद कर सिहर उठती है. उसने बताया कि एक दिन वह अपनी सहेली के साथ खेल रही थी, तभी सुशांति नाम की एक लड़की आयी और बाजार घुमाने के बहाने गोविंदपुर स्टेशन के पास ले गयी. उसके साथ दो आैर लड़कियां लापुंग की मिनी और रांची की गाेपी (दोनों बदला हुआ नाम) भी थीं.
वहां पहले से मौजूद समीर लोहरा से सुशांति ने परिचय कराया. फिर वह हमलोगों को ट्रेन में बैठा कर ले जाने लगा. कुछ दूर ट्रेन चलने के बाद समीर ने तीनों को बाथरूम में बंद कर दिया़ काफी देर बाद बाथरूम से निकाला तो सोनी को शक हुआ.
जब तक वह कुछ समझ पाती समीर ने तीनों को कोल्ड ड्रिंक पिला दिया. उसे पीते ही तीनों बेहोश हो गयीं. जब होश आया, तो सामने समीर था, लेकिन सुशांति नहीं दिखी. जब वह सुशांति को खोजने लगी, तो समीर ने कहा कि वह आगे बोगी में गयी है. इसके बाद सुशांति का कुछ पता नहीं चला.
समीर ही वापस लेकर आया
बकौल सोनी जब वह ट्रेन से उतरी तो पता चला कि वह दिल्ली में है. फिर तीनों को अलग-अलग घरों में काम करने के लिए बेचा जा चुका है.
सोनी ने कहा कि उसे राजौरी गार्डेन के राजू सिंह नामक सरदार के घर भेजा गया. डेढ़ साल तक वह प्रताड़ित होती रही. घर में बाहर से ताला बंद करके रखा जाता था़ सुबह एक कप चाय मिलती थी और रात में नमक और तीन रोटी़ मैं हर दिन उन्हें अपने घर भेज देने के लिए कहती थी तो वो लोग कहते थे कि हमने तुम्हें खरीदा है. इसके लिए पूरे पैसे दिये है़ं
इस बीच 18 मई 2018 को समीर मुझे वहां लेने आया़ उसने काम करने के एवज में मुझे 20 हजार रुपये दिये. इसके बाद 19 मई को वह समीर के साथ रांची के लिए रवाना हुई और 20 मई को रांची पहुंचने के बाद कर्रा बाजार में छोड़ कर भाग गया़ हालांकि, बाकी दोनों सहेली कहां हैं, यह उसे नहीं पता है.
सखी सहेली संस्था ने निभायी मुख्य भूमिका
सोनी को रेस्क्यू करने का काम आशा संस्था द्वारा संचालित सखी सहेली क्लब ने किया. क्लब में शामिल लड़कियां झारखंड में ट्रैफिकिंग पर काम कर रही है़ं इसी का नतीजा है कि कुछ समय पहले किये गये सर्वे में पता चला था कि गांव की कुछ लड़कियां गायब है़ं, जिसमें सोनी भी शामिल है़ पता चला कि सोनी के गांव में समीर का आना-जाना था़
उस पर क्लब के सदस्यों की नजर थी़ समीर को ग्राम सभा में कहा गया कि यदि वो लड़कियों को लेकर नहीं आता है, तो ग्राम सभा उसे सरेआम दंडित करेगी़ इसके बाद ही समीर दिल्ली जाकर सोनी को लेकर आया. इस मामले में खूंटी थाने में प्राथमिकी भी दर्ज है. फिलहाल समीर और सुशांति फरार है़ं वर्तमान में सोनी को आशा संस्था ने गोद लिया है और उसे पढ़ाने के लिए अपने सीजनल हॉस्टल में दाखिला दिया है़

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