II मनोज लाल II
मामला संज्ञान में आने पर सचिव ने सारे उपायुक्तों को दिया निर्देश
रांची : जमीन का अधिक से अधिक मुआवजा हासिल करने के लिए बाजार मूल्य ज्यादा दिखाने की कोशिश हो रही है. यह काम राज्य के करीब सभी जगहों पर हो रहा है. कुछ ऐसे लोग हैं, जो जमीन की फर्जी खरीद-बिक्री दिखा कर जमीन का बाजार मूल्य ज्यादा दर्शा रहे हैं.
फिर इस आंकड़ा को सरकार या जिला प्रशासन के समक्ष पेश कर रहे हैं, ताकि ज्यादा मुआवजा मिल सके. मामला संज्ञान में आने के बाद राजस्व, निबंधन एवं भूमि सुधार सचिव केके सोन ने सारे उपायुक्तों को इस पर रोक लगाने का निर्देश दिया है. उन्होंने सभी डीसी से कहा है कि वे इस पर आवश्यक कार्रवाई करें. इसके तहत भूमि के बाजार मूल्य के निर्धारण में फर्जी खरीद-बिक्री की दर या मूल्य को प्रचलित बाजार मूल्य का सूचक नहीं मानें. इस पर उपायुक्त विचार करेें तथा ऐसे आंकड़ों पर ध्यान दें, बल्कि दर या मूल्य का सही आंकड़ा पता करें.
सचिव ने यह भी लिखा है कि जिला स्तर पर भू-अर्जन के कार्यों के सिलसिले में संंबधित अधिनियम के प्रावधानों को कठोरता से अनुपालन करवाने की जरूरत है.
सचिव ने उपायुक्तों को लिखा कि उन्हें पूर्व में ही भूमि या उस पर बने संरचनाअों के मूल्यांकन के संबंध में पहले ही आवश्यक दिशा-निर्देश दिया जा चुका है. इसका पालन सही तरीके से हो. यह भी प्रावधान किया गया है कि अधिग्रहण की जानेवाली जमीन में अवस्थित मकानों या भवनों के मूल्यांकन में जिला समाहर्ता, सक्षम अभियंता या उस क्षेत्र के अन्य विशेषज्ञों की सेवा ली जा सकती है.
एक्ट के मुताबिक समुचित मुआवजा का भुगतान नियमानुसार किया जाये, लेकिन फर्जी खरीद-बिक्री व वास्तविकता से परे आकलन आदि के कारण होनेवाले किसी भी तरह के अतिरिक्त भुगतान की स्थिति से बचने का प्रयास किया जाये. अगर कहीं से भी मुआवजा की मांग हो, तो उपायुक्त राशि के संबंध में खुद संतुष्ट हो जायें, तभी राशि भुगतान करने की कार्रवाई करें.