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रांची :एडीजी एमवी राव के पत्र को सरकार ने किया खारिज, 15 दिन में मांगा जवाब
रांची : एडीजी एमवी राव के पत्र को राज्य सरकार ने खारिज कर दिया है. गृह विभाग ने एमवी राव को पत्र लिख कर कहा है कि उनके आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की जायेगी, क्योंकि सीआइडी एडीजी के पद से स्थानांतरण को गलत बताते हुए पत्र में आपने इसे दुर्भावनापूर्ण इरादा और साजिश बताया […]
रांची : एडीजी एमवी राव के पत्र को राज्य सरकार ने खारिज कर दिया है. गृह विभाग ने एमवी राव को पत्र लिख कर कहा है कि उनके आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं की जायेगी, क्योंकि सीआइडी एडीजी के पद से स्थानांतरण को गलत बताते हुए पत्र में आपने इसे दुर्भावनापूर्ण इरादा और साजिश बताया है.
क्या है गृह विभाग के पत्र में : एडीजी एमवी राव को लिखे पत्र में कहा गया है कि डीजीपी डीके पांडेय के विरुद्ध आपने आरोप लगाये, जिसे मीडिया ने प्रमुखता से प्रकाशित किया. हाइकोर्ट में आइए (हस्तक्षेप याचिका) भी दायर की गयी.
इस वजह से राज्य सरकार की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा. इस पूरे प्रकरण में प्रथम दृष्टया आपकी संलिप्तता परिलक्षित होती है. आपका उक्त आचरण अखिल भारतीय सेवाएं (आचार) नियमावली, 1968 के नियम-3(1)7, 7(1), 8 एवं 9 के प्रावधानों के विरुद्ध और सरकारी सेवक के अमर्यादित आचरण की श्रेणी में आता है. यही वजह है कि आपके आवेदन पर कोई कार्रवाई किया जाना तर्कसंगत प्रतीत नहीं होता.
15 दिन में जवाब मांगा
गृह विभाग ने पत्र में एडीजी को कहा है कि उनके आवेदन को अस्वीकृत करते हुए यह निर्देश दिया जाता है कि उपरोक्त कदाचार के संबंध में अपना स्पष्टीकरण पत्र प्राप्ति के 15 दिनों के अंदर सरकार को दें कि क्यों नहीं आपके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाये. उक्त अवधि में स्पष्टीकरण का जवाब नहीं देने पर सरकार एक पक्षीय कार्रवाई करेगी.
पत्र में राव ने क्या आरोप लगाये थे
एडीजी एमवी राव ने गृह विभाग को दिसंबर 2017 में पत्र लिखा था. कहा था कि डीजीपी डीके पांडेय के आदेश पर बकोरिया कांड की जांच धीमी नहीं करने के कारण सीआइडी के एडीजी पद से उनका तबादला कर दिया गया था.डीजीपी ने कहा था कि न्यायालय के किसी आदेश से चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है.
डीजीपी के इस आदेश का विरोध करते हुए उन्होंने जांच की गति सुस्त करने, साक्ष्यों को मिटाने और फर्जी साक्ष्य बनाने से इनकार कर दिया था. इसके तुरंत बाद उनका तबादला सीआइडी से नयी दिल्ली स्थित ओएसडी कैंप में कर दिया गया था. यह एक बड़े अपराध को दबाने और अपराध में शामिल अफसरों को बचाने की साजिश है.
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