II राजेश झा II
रांची : झारखंड के सबसे बड़े सरकारी औद्योगिक संस्थान हेवी इंजीनियरिंग कॉर्पोरेशन (एचइसी) में विनिवेश की खबर मात्र से झारखंड के जनप्रतिनिधियों का गुस्सा उबाल पर है. इस बीच, खबर है कि केंद्र सरकार ‘मदर ऑफ इंडस्ट्री’ की हिस्सेदारी निजी कंपनी को बेचना चाहती है. लेकिन, नीति आयोग ने कहा है कि इस कंपनी को सरकार को चलाना चाहिए. नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एचइसी का पुनरुद्धार किया जाये.
आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को इस दिशा में सोचना चाहिए कि एचइसी को कैसे और आगे बढ़ाया जाये. एचइसी के प्लांट्स का अाधुनिकीकरण किया जाये. नीति आयोग ने कंपनी को बिजनेस के अन्य क्षेत्रों में ले जाने का भी सुझाव दिया है. बताया जाता है कि नीति आयोग ने जिन 24 कंपनियों में विनिवेश करने का सुझाव दिया है, उनमें एचइसी का नाम नहीं है.
एचइसी में विनिवेश की खबर से राजनीतिक दलों, यूनियनों के साथ-साथ श्रमिकों में भी उबाल है. इस संबंध में श्रमिक संगठनों ने एक बैठक कर कहा है कि कंपनी को बेचने की जरूरत नहीं है. इसका पुनरुद्धार किया जाना चाहिए. सरकार को आर्थिक मदद देनी चाहिए, ताकि कंपनी का विस्तार हो. तय हुआ कि श्रमिक संगठनों का एक प्रतिनिधिमंडल सीएमडी से मिलेगा और यह मांग करेगा कि यदि एचइसी में विनिवेश की बात गलत है, तो प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्थिति स्पष्ट करें. उधर, सोमवार की शाम पांच बजे सभी निबंधित संघों की बैठक होगी, जिसमें आगे के कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार होगी.
विनिवेश नहीं, आधुनिकीकरण की हो रही बात : अभिजीत घोष
Q एचइसी में विनिवेश की चर्चा है, क्या कहेंगे ?
विनिवेश की खबर अखबारों में अा रही है. इस दौरान मैं दिल्ली व मुंबई में था. खबर से गहरा आघात हुआ है. मेरे पास विनिवेश को लेकर कोई सूचना नहीं है. एचइसी के जीर्णोद्धार की बात हो रही है. प्लांटों के आधुनिकीकरण की बात हो रही है. नीति आयोग ने जिन 24 कंपनियों में विनिवेश की लिस्ट जारी की है, उनमें एचइसी का नाम नहीं है.
Q एचइसी का भविष्य क्या है ?
एचइसी के कर्मी काम के प्रति समर्पित हैं. चालू वित्तीय वर्ष समाप्त होने में महज डेढ़ माह का समय बचा है. प्रबंधन का फोकस कंपनी कैसे बढ़े, इस पर है. इसके लिए प्रबंधन को कर्मियों व यूनियन से पूरा सहयोग मिल रहा है. जिस लगन से कर्मी काम कर रहे हैं, एचइसी के परफाॅर्मेंस में पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में काफी सुधार हुआ है.
Q एचइसी को आगे बढ़ाने के लिए क्या कदम उठाये जा रहे हैं ?
पिछले सप्ताह ही एचइसी को रेलवे से 62 करोड़ रुपये का कार्यादेश मिला है. एचइसी के पास अभी करीब 1400 करोड़ रुपये का कार्यादेश है. कई विदेशी कंपनियों से अद्यतन तकनीक के लिए एमओयू किया गया है. मुंबई में भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर के अधिकारियों से बातचीत की और कार्यादेश देने को कहा है.
Q विनिवेश की खबर से एचइसी के कर्मी हताश हैं ?
पिछले दिनों भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते एचइसी के दौरे पर आये थे, तो उन्होंने कर्मियों से कहा था कि लगन से कार्य करें और इसे नयी बुलंदी पर ले जायें.
उन्होंने एचइसी का भविष्य उज्ज्वल बताया था. एचइसी कर्मियों को हताश होने की जरूरत नहीं है. प्रबंधन एचइसी को आगे बढ़ाने के लिए पूरा प्रयास कर रहा है. एचइसी का उत्पादन बढ़ेगा, तो कर्मियों की डिमांड भी पूरी होगी.
Q एचइसी का नेटवर्थ अभी निगेटिव है ?
यह सही है. लेकिन जैसे ही राज्य सरकार से जमीन के एवज में राशि मिल जायेगी, नेटवर्थ पॉजेटिव हो जायेगा. एचइसी का भविष्य उज्ज्वल है.
सीएमडी ने यूनियन और अधिकारियों के साथ अलग-अलग की मैराथन बैठक, बोले : काम पर दें ध्यान
एचइसी के सीएमडी अभिजीत घोष ने एचइसी के अभियंताओं के साथ शुक्रवार को जगन्नाथ नगर क्लब में बैठक की. बैठक में उन्होंने कहा कि एचइसी में विनिवेश या निजीकरण की कोई बात नहीं है. इस तरह के अफवाहों से बचें और काम पर ध्यान दें.
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उन्होंने कहा कि हमें दुख हुआ कि इस तरह का समाचार के बाद आप लोग बैठक करने लगे. ऐसा नहीं होना चाहिए था. आप लोगों को पहले अपने सीनियर से बात करनी चाहिए थी. अगर वहां से कोई जानकारी आपको नहीं मिल रही है, तो निदेशक के पास जाते या मेरे पास भी आकर बात करते. हमने किसी को भी अपने पास आने से कभी नहीं मना किया है.
श्री घोष ने कहा कि हम सब एक परिवार के सदस्य हैं. जब परिवार के किसी सदस्य को किसी तरह का दिक्कत आती है, तो बुजुर्ग से बात करते हैं और उसका समाधान भी निकालते हैं. उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अभी तक कोई भी विनिवेश या निजीकरण के संबंध में कोई अधिकारिक सूचना नहीं आयी है. इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है. कंपनी की लक्ष्य को ध्यान में रख कर कार्य करें. वहीं, शुक्रवार को रांची पहुंचने के बाद सीएमडी ने सबसे पहले एचइसी के निदेशकों के साथ बैठक की. इसके बाद विभिन्न श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ एचइसी में विनिवेश नहीं होने की बात कही.
विनिवेश की बात झूठी है, तो प्रेस वार्ता कर बतायें सीएमडी
रांची : हटिया प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन के महामंत्री राणा संग्राम सिंह के आह्वानपर एचइसी के सभी निबंधित श्रमिक संघों की बैठक एचइसी मुख्यालय में हुई. बैठक में एचइसी में विनिवेश को लेकर सभी यूनियनों ने बारी-बारी से अपनी बातें रखीं.
बैठक में निर्णय लिया गया कि राणा संग्राम सिंह की अध्यक्षता में एचइसी के सीएमडी से एक प्रतिनिधिमंडल मिलेगा. प्रतिनिधिमंडल सीएमडी से कहेगा कि एचइसी में विनिवेश की बात गलत है, तो वे प्रेस वार्ता कर स्थिति स्पष्ट करें. सोमवार को शाम पांच बजे सभी निबंधित संघों की बैठक होगी, जिसमें आगे के कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार होगी.
बैठक में हटिया प्रोजेक्ट वर्कर्स यूनियन से राणा संग्राम सिंह व लीलाधर सिंह, हटिया कामगार यूनियन से लालदेव सिंह, हटिया मजदूर लोक मंच से महामंत्री रामकुमार नायक, हटिया मजदूर यूनियन के अध्यक्ष भवन सिंह, एचइसी लिमिटेड श्रमिक कर्मचारी यूनियन के महामंत्री कृष्णमोहन सिंह, जनता मजदूर यूनियन के महामंत्री एसजे मुखर्जी, इसके अलावा पीके गांगुली, प्रकाश विप्लव, एस सेन, कैलाश पति साहू, जान मोहम्मद, भुवनेश्वर तिवारी, शैल कुमार, कमलेश सिंह, राममोहन बैठा, जगरनाथ महतो, महेंद्र कुमार आदि उपस्थित थे.
यूके की टाटा स्टील एचइसी से बनाना चाहता है उपकरण
टाटा स्टील, यूके कंपनी का एक प्रतिनिधिमंडल शुक्रवार को एचइसी के दौरे पर आया. प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्ट जॉन फेरीमैन कर रहे थे. टाटा स्टील स्ट्रीप प्रोडक्टस टेल्बोट, यूके की सौ वर्ष से अधिक पुरानी कंपनी है. एचइसी के अधिकारी ने बताया कि टाटा स्टील कंपनी का आधुनिकीकरण होना है. इसमें टीसीइ उसका इंजीनियरिंग कंसल्टेंट है. कंपनी एचइसी से उपकरण लेना चाहती है. इसी क्रम में टीम ने एचइसी का दौरा किया है. टीम को एचइसी की क्षमता के बारे में एचइसी मुख्यालय में सीएमडी अभिजीत घोष के नेतृत्व में प्रेजेंटेशन दिया गया और विस्तार से बताया गया कि एचइसी किन-किन क्षेत्रों में कार्य कर सकता है.
बैठक के बाद कंपनी के अधिकारियों ने एचइसी के विभिन्न प्लांटों को दौरा किया व एचइसी में उपलब्ध संसाधन के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की. एचइसी के अधिकारी ने बताया कि यूके की कंपनी ने मेटेर्लिकल क्रेन, सिंटर प्लांट इक्यूपमेंट और मेटेरियल हैंडलिंग सिस्टम के प्रति रुचि दिखायी है. इसमें एचइसी को महारत हासिल है. बैठक में एचइसी के सीएमडी अभिजीत घोष व अन्य निदेशक उपस्थित थे. वहीं टाटा स्टील, यूके की ओर से मैनुफैक्चरिंग निदेशक मार्टिन डुग्गन, इंजीनियरिंग निदेशक माइक विक्से शामिल थे. टीम में टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर टीसीई के डॉ तपन चौधरी भी शामिल थे.
सामूहिक प्रयास से ही एचइसी बचेगा : लालदेव
हटिया कामगार यूनियन, एटक के अध्यक्ष लालदेव सिंह ने कहा कि एचइसी को केंद्र सरकार द्वारा निजी क्षेत्र को सौंपने की खबर से कर्मचारियों में आक्रोश व अपने रोजगार के प्रति हताशा उत्पन्न हो गयी है. इसका नकारात्मक असर एचइसी के उत्पादन पर पड़ना शुरू हो गया है. फरवरी व र्माच माह उत्पादन वर्ष का अंतिम माह होता है. उन्होंने प्लांटों में कर्मियों से आह्वान किया कि उत्पादन लक्ष्य को प्राप्त करने में ध्यान दें. एचइसी को बचाने के लिए सामूहिक प्रयास की जरूरत है. इस लिए सबसे पहले उत्पादन जरूरी है.
एचइसी कर्मियों में रोष, कहा : विनिवेश की जरूरत नहीं, प्लांटों का आधुनिकीकरण करे केंद्र सरकार
एचइसी में विनिवेश को लेकर शुक्रवार को भी कर्मियों में आक्रोश दिखा. एचइसी के विभिन्न प्लांटों, मुख्यालय, नेहरू पार्क आदि जगहों पर एचइसी की भविष्य पर चर्चा होती रही. कर्मियों ने कहा कि हर बार एचइसी के कर्मियों ने अपनी उपयोगिता साबित की है. 60 वर्ष पुराने मशीन से अत्याधुनिक मशीनों का निर्माण किया है. एक ओर सरकार मेक इन इंडिया का नारा बुलंद कर रही है, वहीं एचइसी जैसी मदर इंडस्ट्री को बंद करने का षड्यंत्र कर रही है. केंद्र सरकार आर्थिक मदद कर एचइसी के मशीनों का आधुनिकीकरण करे.
पं नेहरू की सोच को एचइसी के कर्मियों ने अब तक साकार किया है. एचइसी में विनिवेश करना शर्म की बात है. इससे सरकार का नारा ‘मेक इन इंडिया’ खोखला साबित हो रहा है. पिछले दिनों भारी उद्योग मंत्री जब एचइसी का दौरा किया था, तो उन्होंने एचइसी के आधुनिकीकरण का अश्वासन दिया था.
रामकुमार नायक
एचइसी को किसी भी हाल में बिकने नहीं दिया जायेगा. इसके लिए जो भी करना पड़ेगा, करेंगे. एचइसी मातृ उद्योग है और झारखंड की शान है. देश-विदेश में इसकी ख्याति है. सामरिक दृष्टिकोण से भी यह देश का गौरव है. राज्य सरकार अपनी संवैधानिक दायित्व का निर्वहन कर एचइसी को बचाने के लिए प्रयास करे.
एवी आजाद
एचइसी की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर मातृ उद्योग की है. इसे बंद करने या विनिवेश एक बहुत बड़ी साजिश प्रतीत होता है. जब से स्मार्ट सिटी बनना शुरू हुआ है, तभी से पूरे एचइसी को बंद करने का योजना बनायी गयी है. इसका जोरदार विरोध होगा. राज्य सरकार अपनी दायित्व का निर्वहन कर इसे बचाये.
बीके प्रसाद
एचइसी को बेचने की जो प्रक्रिया चल रही है, उस पर सरकार को पुनर्विचार करना चाहिए और एचइसी को अच्छे ढंग से चालाने के लिए मदद करनी चाहिए. एचइसी को अगर बेचा गया, तो बहुत बड़ा आंदोलन होगा. प्रधानमंत्री से अपील है कि वे एचइसी कर्मियों की भावना को कुचलने का काम नहीं करें. इस पर तत्काल रोक लगाया जाये.
महेंद्र कुमार
एचइसी राष्ट्र की धरोहर है. एचइसी के कर्मी 60 वर्ष पुरानी मशीन पर कार्य कर रहे हैं. इससे लागत अधिक आती है. एचइसी निजी कंपनियों की तरह लाभ अर्जित कर दिखायेगा. केंद्र सरकार एचइसी को आर्थिक मदद कर फिर से खड़ा करने का प्रयास करे न कि विनिवेश कर बंद करने की साजिश करे.
धनेश बैठा
यह एचइसी में विनिवेश होना विस्थापितों के साथ छलावा है. सभी विस्थापित एक बार फिर इसको लेकर जोरदार आंदोलन करेंगे. निजी कंपनी को आवासीय परिसर में प्रवेश नहीं करने देंगे. विस्थापितों ने जमीन एचइसी को दी थी. जरूरत पड़ी, तो विनिवेश को लेकर विधानसभा व सचिवालय का भी घेराव करेंगे.
विंदेश्वर सिंह