रांची : उत्तरी छोटानागपुर और दक्षिणी छोटानागपुर की कुर्मी/महतो/तांती जाति को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने के प्रस्ताव से संबंधित सवाल पर केंद्र ने बताया कि इस तरह का कोई प्रस्ताव मंत्रालय में लंबित नहीं है. राज्य सरकार ने इस तरह की सिफारिश केंद्र काे नहीं भेजी है.
मालूम हो कि सांसद रामटहल चौधरी आैर लक्ष्मण गिलुआ ने लोकसभा में जनजातीय कार्य मंत्री सुदर्शन भगत से झारखंड के संबंध उत्तरी छोटानागपुर और दक्षिणी छोटानागपुर की कुर्मी/महतो/तांती जाति को अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने के संबंध में सवाल पूछा था. पहला सवाल था कि क्या झारखंड सरकार ने साल 2004 में केंद्र सरकार से इसके संबंध में सिफारिश की थी.
दूसरे सवाल में पूछा गया कि क्या सरकार का इन जातियों को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने का विचार है. अगर है, तो कब तक ऐसा किये जाने की संभावना है. मंत्रालय ने जवाब दिया है कि झारखंड सरकार ने 2004 में कुरमी, महतो आदि जातियों के समावेशन के संबंध में एक प्रस्ताव भेजा था, तांती समुदाय के समावेशन के संबंध में कोई प्रस्ताव झारखंड सरकार से प्राप्त नहीं हुआ.
वहीं वर्ष 2015 में झारखंड सरकार द्वारा प्रस्तुत कुर्मी, कुड़मी समुदाय के संबंध में मानव जाति विज्ञान संबंधी रिपोर्ट इन जातियों का अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का समर्थन नहीं करती. परंतु यह सिफारिश की गयी थी कि समुदाय की जैसी थी, वैसी ही स्थिति में बरकरार रखा जाये. इसकी जानकारी मंत्रालय ने 31 जुलाई 2015 को पत्र के माध्यम से झारखंड सरकार को दे दी थी. भारत सरकार के पास आगे की कोई कार्रवाई लंबित नहीं है. राज्य सरकार ने झारखंड की अनुसूचित जनजातियाें की सूची में कुर्मी-कुड़मी (महताे) काे शामिल करने की सिफारिश नहीं की है.
