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न टाइपिस्ट है, न रीडर, सुपरविजन रिपोर्ट कौन लिखे

रांची: राजधानी में अपराध पर अंकुश लग सके, इसके लिए थानों को अपग्रेड कर दिया गया. साथ ही थानेदार के रूप में सब इंस्पेक्टर की जगह इंस्पेक्टर की पोस्टिंग की गयी. पोस्टिंग होने लगी, तो थानेदारों को इंस्पेक्टर के रूप में साधारण मामले में केस के सुपरविजन की जिम्मेवारी भी मिली. लेकिन मैनपावर की कमी […]

रांची: राजधानी में अपराध पर अंकुश लग सके, इसके लिए थानों को अपग्रेड कर दिया गया. साथ ही थानेदार के रूप में सब इंस्पेक्टर की जगह इंस्पेक्टर की पोस्टिंग की गयी. पोस्टिंग होने लगी, तो थानेदारों को इंस्पेक्टर के रूप में साधारण मामले में केस के सुपरविजन की जिम्मेवारी भी मिली. लेकिन मैनपावर की कमी के कारण हालात ऐसे हो गये कि रांची के थानों में अक्तूबर माह तक सुपरविजन के 1067 केस लंबित हो गये.
जानकारी के मुताबिक कई ऐसे भी थाने हैं, जहां सुपरविजन रिपोर्ट लिखने के लिए न तो टाइपिस्ट है और न ही रीडऱ स्थिति यह हो गयी है कि अधिकांश थानेदार रोजाना की विधि-व्यवस्था और अत्यधिक काम होने के कारण सुपरविजन रिपोर्ट तैयार करने के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं. अगर केस का सुपरविजन कर भी ले रहे हैं, तो रीडर नहीं हो पाने के कारण वे सुपरविजन रिपोर्ट टाइप नहीं करवा पा रहे हैं. जिसके कारण सुपरविजन लंबित रह जा रहा है.
तीन थानों में न टाइपिस्ट और न ही रीडर : सदर थाना में प्रति माह करीब 40 से 45 केस दर्ज होते हैं. जिनमें किसी माह 30 केस तो किसी माह 35 केस साधारण (एनएसआर) होते हैं. ऐसे केस में सुपरविजन रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेवारी संबंधित थानेदार की होती है. लेकिन सदर थानेदार के इंस्पेक्टर ऑफिस में न कोई रीडर है और न ही टाइपिस्ट.
कुछ ऐसी ही स्थिति सुखदेवनगर थाने की है. सुखदेवनगर थाना के अधीन पंडरा ओपी भी है. सुखदेवनगर थाना में जहां प्रति माह करीब 40 से 45 केस होते हैं. वहीं दूसरी ओर पंडरा ओपी में 20 से 25. सुखदेवनगर थाना और पंडरा ओपी में मिला कर प्रतिमाह 40 से 45 केस साधारण नेचर के दर्ज होते हैं. जिनमें सुपरविजन रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेवारी सुखदेवनगर थाना प्रभारी की होती है. लेकिन सुखदेवनगर थाना प्रभारी के इंस्पेक्टर ऑफिस में सुपरविजन रिपोर्ट तैयार करने के लिए न रीडर है और न ही टाइपिस्ट.
वहीं गोंदा थाने में भी रीडर नहीं है. जबकि लोअर बाजार थाना में भी प्रतिमाह 40 से 45 केस दर्ज हाेते हैं, लेकिन यहां इंस्पेक्टर ऑफिस में मात्र एक मुंशी है. जिसके सहारे सुपरविजन रिपोर्ट तैयार होती है.
थानेदार के रूप में इंस्पेक्टर की जिम्मेदारी
आइटी एक्ट और गंभीर प्रवृत्ति से जुड़े केस का अनुसंधान करना.
रोजाना एंटी क्राइम चेकिंग और गश्ती के साथ थाना में लोगों
की समस्या सुनना.
वर्तमान में वाहन चेकिंग अभियान की जिम्मेवारी
पुलिस मुख्यालय से लेकर एसएसपी और मुख्यमंत्री
जनसंवाद के मामले में रिपोर्ट तैयार करना.
विधि-व्यवस्था, धरना-प्रदर्शन, वीआइपी मूवमेंट में ड्यूटी.
कोई घटना होने पर वहां जाना और घटना स्थल का निरीक्षण करना.
पासपोर्ट से लेकर चरित्र सत्यापन, आर्म्स लाइसेंस के लिए प्रतिवेदन तैयार करवाना.
अक्तूबर माह तक सुपरविजन के 1067 केस लंबित
सुपरविजन नहीं होने का असर
सुपरविजन नहीं हाेने से कार्रवाई
में हो रही है देरी
दुर्घटना और वाहन चोरी के केस
में मुआवजा मिलने में देरी
लंबित केस की संख्या में बढ़ोतरी का होना
पीड़ित पक्ष को समय पर नहीं मिल पाता है न्याय
सुपरविजन लंबित रहने के कारण
थानेदारों का रोजाना की विधि- व्यवस्था की ड्यूटी में व्यस्त रहना
सुपरविजन रिपोर्ट टाइप करने के लिए अधिकांश थानों में मैनपावर की कमी
केस के अनुसंधानक समय पर डायरी नहीं देते हैं
सुपरविजन के लिए समय पर गवाह का उपस्थित नहीं होना
थानाें में लंबित सुपरविजन के केस
थाना प्रभारी सुखदेवनगर 182
थाना प्रभारी सदर 149
थाना प्रभारी लोअर बाजार 65
थाना प्रभारी जगन्नाथपुर 87
थाना प्रभारी बरियातू 77
थाना प्रभारी लालपुर 130
थाना प्रभारी नामकुम 53
थाना प्रभारी चुटिया 07
थाना प्रभारी टाटीसिलवे 08
थाना प्रभारी ओरमांझी 27
थाना प्रभारी खलारी 00
थाना प्रभारी गोंदा 09
थाना प्रभारी कोतवाली 10
थाना प्रभारी हिंदपीढ़ी 24
थाना प्रभारी रातू 65
थाना प्रभारी कांके 34
थाना प्रभारी डोरंडा 16
थाना प्रभारी डेली मार्केट 00
सर्किल इंस्पेक्टर बेड़ो 03
थाना प्रभारी अरगोड़ा 42
थाना प्रभारी धुर्वा 13
सर्किल इंस्पेक्टर अनगड़ा 10
सर्किल इंस्पेक्टर मांडर 06
सर्किल इंस्पेक्टर सदर पश्चिमी 33
सर्किल इंस्पेक्टर सोनाहातू 03
आंकड़े अक्तूबर माह तक के हैं

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